कैडेवर पर दिया गया ओरल कैंसर के ऑपरेशन का प्रशिक्षण।
केजीएमयू में तीसरी ओरल प्री कैंसर एंड कैंसर कांग्रेस 2019 शुरू
लखनऊ। तम्बाकू खाना नुकसानदायक तो है ही, लेकिन रात को मुंह में दबाकर सो जाना नुकसान करने की तेजी को बढ़ा देता है। क्योंकि दिन में सलाइवा बनने से इसकी सलाइवा की एक पर्त मुंह के अंदर बनी रहती है, साथ ही सलाइवा के साथ तम्बाकू से निकलने वाला कार्सिनोजिन बह जाता है जबकि रात को लार बनती नहीं है तो तम्बाकू से निकलने वाला कार्सिनोजिन लगातार मुंह के अंदर दबायी हुई जगह पर सीधे अटैक करता है जो कि उस जगह कैंसर बना देता है।
तीसरी ओरल प्री कैंसर एंड कैंसर कांग्रेस 2019 का आयोजन के मौके पर यह जानकारी दंत संकाय की प्रो दिव्या मेहरोत्रा ने देते हुए बताया कि इसी प्रकार जो लोग खैनी वाली तम्बाकू का प्रयोग करते हैं वह भी मुंह में एक जगह दबा लेते हैं, इससे भी उस स्थान पर नुकसान होता है।
डॉ दिव्या ने कहा कि यह लोगों का भ्रम है कि सुपारी खाने से नुकसान नहीं होता, उन्होंने कहा कि सुपारी खाने से प्री कैंसर होता है जो कि ध्यान न दिये जाने पर कैंसर में तब्दील हो जाता है। यह पूछने पर कि सुपारी तो पुरातन काल से चली आ रही है और इसका प्रयोग तो पूजापाठ में भी किया जाता है इस पर उन्होंने कहा कि पहले सुपारी सीधे पेड़ से लायी जाती थीं और उसे उसी रूप में रखा जाता था। लोग साबित सुपारी घर पर ही काट कर खाते थे और पान में प्रयोग करते थे लेकिन अब प्रॉसेस्ड सुपारी का चलन बढ़ गया है, ज्यादातार पान वाले और बाकी लोग भी कटी हुई सुपारी का प्रयोग करते हैं, चूंकि बाजार से आने वाली कटी हुई सुपारी प्रॉसेस्ड होती है इसीलिए यह कार्सिनोजिन पैदा करती है। जो कि कैंसर के लिए जिम्मेदार होता है।
फ्रेश कैडेवर पर सिखायी कैंसर की सर्जरी
तीसरी ओरल प्री कैंसर एंड कैंसर कांग्रेस 2019 का आयोजन गुरुवार को शुरू हुआ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विवि में हो रही इस कॉन्फ्रेंस के पहले दिन मुंह में होने वाले कैंसर यानी ओरल कैंसर को लेकर फ्रेश कैडेवर (डेड बॉडी) पर कैंसर की सर्जरी करना (कैडवरिक डिसेक्शन) स्टूडेंट्स को सिखाया गया।
यह जानकारी देते हुए कैडवरिक डिसेक्शन की समन्वयक डॉ दिव्या मेहरोत्रा ने बताया कि इसी के साथ नाक की डिफॉरिमिटी ठीक करने के लिए की जाने वाली सर्जरी भी कैडेवर पर करा कर सिखाया गया। इसके अलावा डीएचआर एमआरयू लैब में कैंसर मरीज के लिए जेनेटिक स्टडी की ट्रेनिंग दी। इसमें सैम्पल से कैसे जीन्स की स्टडी की जाती है, यह सिखाया गया। चौथी कार्यशाला डिपार्टमेंट ऑफ ओरल मेडिसिन एंड रेडियोलॉजी में प्रो रजनीश पाटिल ने करायी। इसमें सीटी स्कैन से देखकर सर्जरी करने वाले हिस्से को कितना हटाना है, फिर उस जगह को कैसे भरना है, यह सारी प्लानिंग करना सिखाया गया।