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87 वर्षीया लक्ष्‍मी बनीं छात्रा, 93 वर्षीय पारसनाथ में भी जगी शिक्षा की ललक

डबल एमए लक्ष्‍मी इग्‍नू से दूरस्‍थ शिक्षा के माध्‍यम से कर रही पोषण एवं आहार का कोर्स

लखनऊ। कहते हैं कि पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती, व्यक्ति जब चाहे मजबूत इरादा कर आगे की पढ़ाई कर सकता है और अपने ज्ञान को बढ़ा सकता है। इसे सिद्ध कर दिखाया है शिक्षिका रह चुकीं लखनऊ की 87 वर्षीया लक्ष्‍मी श्रीवास्‍तव ने। पढ़ाई के प्रति लक्ष्‍मी के जज्‍बे को देखते हुए लखनऊ स्थित इग्‍नू क्षेत्रीय केंद्र ने जनवरी, 2019 में प्रमाण पत्र कार्यक्रम में प्रवेश दिया है। यही नहीं इनसे प्रेरणा लेकर एक अन्‍य 93 वर्षीय बुजुर्ग पारसनाथ पाठक में भी आगे पढ़ने की ललक जागी है।

 

इग्‍नू के  सहायक क्षेत्रीय निदेशक डॉ कीर्ति विक्रम सिंह ने बताया कि सुश्री लक्ष्मी श्रीवास्तव पेशे से शिक्षिका रह चुकी हैं और सेवानिवृत्ति‍ के बाद महानगर, लखनऊ स्थित आस्था ओल्ड ऐज हॉस्पिटल में निवास कर रहीं हैं। उन्होंने संस्कृत एवं भूगोल विषय में एमए किया है तथा निरन्तर ज्ञान अर्जन करने के उद्देश्य से इग्नू के पोषण एवं आहार में प्रमाण-पत्र कार्यक्रम, जो कि छह माह का कार्यक्रम है उसमें प्रवेश कराया है।

पढाई का खर्च इग्‍नू के अधिकारी वहन करेंगे

डॉ मनोरमा सिंह ने बताया कि इग्नू के ज्ञानवाणी एफएम चैनल के कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग के लिए आस्था ओल्ड ऐज हॉस्पिटल में जाना हुआ, जहाँ लक्ष्मी श्रीवास्तव ने पढ़ने की इच्छा जाहिर की। उन्‍होंने बताया कि लक्ष्‍मी श्रीवास्‍तव की लगन को देखते हुए इग्‍नू ने न सिर्फ प्रवेश दिया है बल्कि उनकी इस शिक्षा का खर्च क्षेत्रीय केन्द्र के अधिकारी वहन करेंगे। उन्होंने कहा कि इग्नू दूरस्थ माध्यम से अपने कोर्सेस का संचालन करता है, जो उन व्यक्तियों के लिए बहुत लाभकारी होता है, जो रोजगार व अन्य सामाजिक सरोकारों के साथ अपनी पढ़ाई को पूरी करना चाहते हैं।

 

अविवाहित हैं लक्ष्‍मी श्रीवास्‍तव, सात वर्षों से रह रहीं आस्‍था ओल्‍ड एज हॉस्पिटल में  

आस्था ओल्ड ऐज हॉस्पिटल के संस्थापक डॉ अभिषेक शुक्ला ने कहा कि लक्ष्मी श्रीवास्तव का यह प्रयास अन्य लोगों को भी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित कर रहा है। उनसे प्रेरणा लेकर सेंटर पर रह रहे एक अन्‍य 93 वर्षीय बुजुर्ग पारसनाथ पाठक ने भी शिक्षा ग्रहण करने की इच्‍छा जतायी है। शीघ्र ही इस बारे में इग्‍नू को अवगत कराया जायेगा। उन्‍होंने बताया कि लक्ष्‍मी श्रीवास्‍तव अविवाहित हैं और आस्‍था सेंटर में पिछले 7 वर्षों से रह रही हैं। डॉ शुक्‍ला ने बताया कि लक्ष्‍मी श्रीवास्‍तव बहुत सकारात्‍मक सोच रखती हैं तथा केंद्र पर रहने वाले सभी बुजुर्गों को प्रेरित करती रहती हैं।