![](http://sehattimes.com/wp-content/uploads/2017/05/20170530_2-300x169.jpg)
लखनऊ। लकवा का इलाज सम्भव है बशर्ते लकवा के अटैक के गोल्डेन आवर्स यानी साढ़े चार घंटे के अंदर आरटीपीए (रिकॉम्बिनेन्ट टिश्यू प्लाजमिनोजेनेन एक्टीवेटर) नामक इन्जेक्शन मरीज को लगा दिया जाये, गोल्डेन आवर्स के इस इलाज थ्रॉम्बोलिसिस की व्यवस्था किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्व विद्यालय में शुरू की गयी है और इसके लिए एक हेल्पलाइन नम्बर 8887147300 जारी किया गया है।
पैसे दे या न दे, इलाज जरूर मिलेगा : कुलपति
यह जानकारी आज 30 मई को कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने इस हेल्पलाइन नम्बर का अनावरण करते हुए दी। उन्होंने कहा कि इस इंजेक्शन की कीमत करीब 60 से 70 हजार रुपये है, मरीज के पहुंचते ही इसे लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी, जहां तक इसके खर्च की बात है तो भारत सरकार से इस सम्बन्ध में सुविधा मिलने तक जो मरीज इसके खर्च को वहन करने की स्थिति में होगा उससे उसकी कीमत ली जायेगी लेकिन पैसे न देने की स्थिति में इसका खर्च संस्थान ही वहन करेगा। उन्होंने कहा कि स्ट्रोक के मरीजों के त्वरित उपचार के लिए स्ट्रोक कोरिडोर का गठन किया गया है जिससे मरीजों को जल्द से जल्द से उपचार मिल सके। उन्होंने समय से लकवे की पहचान और उसके इलाज के बारे मेंं बताया ओर उन्होंने यह भी बताया कि लकवे से सम्बन्धित समस्त उपचार और थ्रॉम्बोलिसिस की सुविधा चिकित्सा विश्वविद्यालय में उपलब्ध है।
हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति को लकवा का अटैक, इससे हर 4 मिनट में एक की मौत
इस मौके पर उपस्थित न्यूरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. आरके गर्ग ने बताया कि लकवा विकलांगता का एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारण व मृत्यु का दूसरा सबसे प्रमुख कारण है। लगभग हर 40 सेकण्ड में कोई न कोई लकवे से ग्रसित होता है और लगभग हर 4 मिनट में एक व्यक्ति की लकवे के कारण मृत्यु हो जाती है। भारतवर्ष में लकवा मृत्यु का एक बहुत बड़ा कारण है। केन्द्र सरकार के स्वास्थ्य कार्यक्रम (एनपीसीडीसीएस) के अन्र्तगत स्ट्रोक को भी प्राथमिकता दी गयी है। जिसके अन्तर्गत लकवे के प्रति जागरूकता, बचाव और समय से उसके उपचार को बढ़ावा दिया जा रहा हैै।
24 घंटे उपलब्ध रहेंगे न्यूरोलॉजिस्ट
डॉ. गर्र्ग ने बताया कि यहां ट्रॉमा सेन्टर मेंं थ्रॉम्बोलिसिस सुविधा देने के सारे सुदृढ़ प्रबन्ध किये गये है। लकवे के मरीजों के इलाज के लिए 24 घंटे न्यूरोलॉजिस्ट उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि आवश्यकता इस बात को चिकित्सकों और आमजन तक पहुंचाने की है कि यदि किसी को लकवा का अटैक पड़ गया है तो तुरंत ही आज जारी हेल्पलाइन पर फोन करके सूचना दे दे ताकि मरीज के अस्पताल पहुंचने तक बाकी तैयारियां कर ली जायें और गोल्डेन आवर्स के अंदर इलाज में समय बर्बाद न हो।
महामारी का रूप लेता जा रहा है भारत में
न्यूरोलॉजी विभाग के प्रो. राजेश वर्मा ने बताया कि उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, हृदय से सम्बन्धित बीमारियां, धूम्रपान, मदिरापान, धमनियों में अत्यधिक वसा का होना, अनियमित दिनचर्या, व्यायाम की कमी, फल व हरी सब्जियों का सेवन न करने से लकवा हाने की सम्भावना बहुत बढ़ जाती है। भारतवर्ष मेंं लकवा बहुत तेजी से बढ़़ रहा है और इससे काफी लोग ग्रसित होते जा रहे हैं और यह एक महामारी का रूप ले रहा है। जिसका सबसे बड़ा कारण ब्लड शुगर व अनियन्त्रित रक्त चाप है। वर्ष 2025 तक आंकड़ों के अनुसार डायबिटीज से ग्रसित लोग सबसे ज्यादा भारत में होंगे। उन्होंने बताया कि विश्व पक्षाघात संगठन, विकासशील देशों में लकवे के बढ़तेे हुए दुष्प्रभाव के प्रति काफी संवेदनशील है। विश्व लकवा दिवस (29 अक्टूबर 2016) के उपलक्ष्य में एक विज्ञप्ति जारी करके लकवे की जागरूकता पर जोर दिया गया है। विश्व पक्षाघात संगठन के अनुसार जागरूकता और समय पर इलाज से लकवे से होने वाली विकलांगता व मृत्यु को कम किया जा सकता है।
क्या हैं लकवे के लक्षण
डॉ वर्मा ने बताय कि हर व्यक्ति को लकवे के लक्षणों को जानना चाहिए। ये लक्षण हैं अचानक एक हाथ या एक पैर में अचानक कमजोरी आना, अचानक बोलने में दिक्कत होना या बोली का अस्पष्ट होना, अचानक धुंधला दिखना या एक आंंख से न दिखना, अचानक मूच्र्छित हो जाना, अचानक लडख़ड़ाना या ठीक से न चल पाना।
थक्के को पिघला कर मस्तिष्क में रक्त प्रवाह सुचारु करता है इंजेक्शन
न्यूरोलॉजी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.नीरज कुमार ने बताया कि स्ट्रोक के लक्षणों को जल्द पहचानने से व समय से उसको थ्रॉम्बोलिसिस सुविधा वाले अस्पताल पहुंचाने से मरीज का उपचार सम्भव है। (रिकॉम्बिनेन्ट टिश्यू प्लाजमिनोजेनेन एक्टीवेटर) नामक इन्जेक्शन से 4.30 घंटेे के अन्दर आनेे वालेे मरीजों का इलाज सम्भव है। यह इन्जेक्शन रक्त के थक्के को पिघलाकर मस्तिष्क में रक्त प्रवाह सुचारु करता है। लकवे की जांच के लिए केवल मस्तिष्क के सीटी स्कैन की जरूरत होती है। हमारा उद्देेश्य जल्द से जल्द लकवा पहचानकर उसकी जांच करके मरीज को इन्जेक्शन का फायदा दिलाना है जिससे लकवे से होने वाली आजीवन विकलांगता व मृत्यु को कम किया जा सके।
इस मौके पर इमरजेंसी मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ हैदर अब्बास ने बताया कि आकस्मिक चिकित्सा विभाग जल्द से जल्द मरीजों में लकवे के लक्षण को पहचान कर सारी जांचें करवाकर उन्हें थ्रॉम्बोलिसिस सुविधा उपलब्ध करा रहा है। पत्रकार वार्ता में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो.एसएन संखवार और मीडिया सेल मेडिसिन के फैकल्टी इंचार्ज प्रो. नरसिंह वर्मा भी उपस्थित रहे।
![](https://sehattimes.com/wp-content/uploads/2024/07/Feathers-Final-Ad-July-Latest.png)
![](https://sehattimes.com/wp-content/uploads/2024/07/Heritage-1.jpg)