लखनऊ। प्रदेश में सरकारी सेवारत डाक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु 60 से बढ़ कर 65 साल होने जा रही है। सेवानिवृत्ति आयु 5 साल बढऩे से इस साल रिटायर होने वाले चिकित्सक सेवाएं देते रहेंगे और अस्पतालों में सरकारी डॉक्टरों की कमी नही आयेगी। इसके लिए शासन की इच्छा पर डीजी स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. पद्माकर सिंह ने प्रस्ताव शासन को भेज दिया है।
ज्ञातव्य हो कि बीती सरकार नें सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए, सेवानिवृत्त चिकित्सकों को एक-एक साल के लिए रीअप्पोइंटमेन्ट की प्रक्रिया शुरू की थी। जनपद वार पद निर्धारित थे, उन्ही पर सेवानिवृत्त होने वाले चिकित्सकों को निश्चित वेतन पर तैनाती मिल जाती रही है। उक्त प्रक्रिया के विरोध में हाईकोर्ट में पीएमएसएच के ही डॉ.आर के सैनी ने रिट दायर कर दी, उन्होंने अन्य प्रांतों में सेवानिवृत्ति उम्र बढ़ाये जाने को नजीर बताते हुये उत्तर प्रदेश में भी रिटायर उम्र को 65 वर्ष करने को कहा । ताकि प्रदेश में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी नहीं होगी और स्वास्थ्य सेवाएं सुचारू रूप से संचालित रहेंगी। उक्त मामला हाईकोर्ट में लंबित है, कोर्ट से शासन ने जबाब भी मांगा है। मगर इसी दौरान प्रदेश में सरकार बदली और स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने प्रदेश में 7000 डॉक्टरों की कमीं को उजागर करते हुए इसे बड़ी समस्या बताया था। उनका कहना है कि डाक्टरों की कमीं के साथ ही हर साल जो डाक्टर रिटायर हो रहे हैं उससे चिकित्सा व्यवस्था और भी प्रभावित हो रही है। उक्त को मददेनजर रखते हुये, चिकित्सा विभाग के संयुक्त सचिव विनोद कुमार सिंह की ओर से मंगलवार को जारी पत्र में डीजी हेल्थ से तुरंत इस मामले में जवाब देने को कहा गया। डीजी की ओर से संस्तुति का पत्र शासन को भेज दिया गया है। बताया जा रहा है कि सेवानिवृत्ति की उम्र बढऩे के मामले में यदि कैबिनेट की मंजूरी मिल जाती है तो प्रदेश में डाक्टरों की रिटायरमेंट उम्र 65 वर्ष हो जाएगी। स्वास्थ्य भवन के अधिकारियों का कहना है कि इस आदेश के लागू होने से जहां प्रदेश के 14,500 डॉक्टरों को सीधा लाभ मिलेगा वहीं दर्जनों की संख्या में चिकित्सकों के तबादले भी रुक जाएंगे। इस आदेश से प्रदेश को कुछ सालों तक डॉक्टरों की कमीं से नहीं जूझना पड़ेगा।