लखनऊ। अगर किसी व्यक्ति को थायरॉयड की शिकायत है और उसकी सर्जरी होनी है तो उससे पहले उसकी प्री एनेस्थेसिया चेकअप पीएसी बहुत आवश्यक है क्योंकि हार्मोन लेवल के अनियंत्रित होने की स्थिति में जान को खतरा भी हो सकता है। यह जानकारी शनिवार को यहां संजय गांधी पीजीआई में तीन दिवसीय पोस्ट ग्रेजुएट एनेस्थिसिया रिफ्रेश कोर्स के दूसरे दिन देहरादून के हिमालय इंस्टीट्यूट के डॉ.संजय अग्रवाल ने दी।
अनियंत्रित हार्मोन के चलते हो सकता है सर्जरी में नुकसान
प्रशिक्षण कोर्स में थायरॉयड रोगियों की सर्जरी पूर्व तैयारी के संबन्ध में डॉ.अग्रवाल ने बताया कि थायराइड दो प्रकार का होता है, हाईपो और हाईपर। उन्होंने बताया कि हाईपो थायराइडिज्म आयोडीन की कमी से होता है जबकि हाईपर थायराइडिज्म थायराक्सिन हार्मोन की कमी से होता है। एेसे मरीजों में सर्जरी के दौरान बहुत खतरा होता है। सर्जरी पूर्व इन मरीजों में दवाओं से हार्मोन लेवल को नियंत्रित किया जाता है, इसमें कम से कम चार सप्ताह का समय लग जाता है। उन्होंने बताया कि हार्मोन लेवल अनियंत्रित होने से इन मरीजों बेहोशी की दवा देने के दुष्प्रभाव पड़ते हैं। इसके अलावा घेंघा सर्जरी के दौरान श्वास तंत्रिका का विशेष खयाल रखना पड़ता है। क्योंकि थायराइड ग्र्रंथि, श्वास नली के अत्यंत समीप होती है और जरा सी असावधानी एअरवेज मैनेजमेंट को बिगाड़ सकती है।
ब्रेन डेड मरीज के अंग बचाने में एनेस्थेटिक की अहम भूमिका : डॉ.संदीप साहू
डॉ.संदीप साहू ने बताया कि ब्रेन डेड घोषित होने के बाद लिवर, हार्ट, किडनी, फेफड़ा आदि अन्य अंगों को सुरक्षित निकालने के लिए मरीज में ऑक्सीजन लेवल व बीपी को नियंत्रित किया जाता है। ब्रेन डेड के बाद दो से चार घंटे तक कृत्रिम रूप से हार्ट चलाया जा सकता है, अन्यथा ऑक्सीजन के अभाव में अंग निष्क्रिय हो सकते हैं। इसके अलावा अंग को निकालने के बाद विशेष प्रकार के दृव्य में रखा जाता है ताकि उसके सेल जीवित रहें, प्रत्यारोपण के बाद अंगों की सुरक्षा के लिए वेंटीलेटर यूनिट में क्रिटिकल केयर जरूरी है। उन्होंने बताया कि हार्ट निकालने के बाद चार घंटे में प्रत्यारोपित हो जाना चाहिये। इसके अलावा लिवर छह घंटे, किडनी 12 घंटे में प्रत्यारोपित हो जानी चाहिये।