लखनऊ। डायबिटीज के रोगी अगर जूता-सैंडल आदि खरीदने जा रहे हैं तो वे शाम को खरीदें और दुकान पर नाप खड़े होकर करें न कि बैठकर। क्योंकि दिनभर के चलने-फिरने के बाद पैर का आकार सुबह के मुकाबले कुछ बढ़ जाता है, यही नहीं बैठे होने के मुकाबले खड़े होने की स्थिति में भी पैर का आकार बड़ा हो जाता है इसलिए यह ध्यान में रखकर यदि आप जूता खरीदेंगे तो वह पैरों का आराम देगा, काटेगा नहीं यानी उसमें जख्म नहीं पैदा करेगा। यह कहना है डायबिटीज में पैरों के इलाज के विशेषज्ञ डॉ क्षितिज शंखधर का।
10 लाख लोगों के हर वर्ष काटने पड़ते हैं पैर
डायबिटीज में पैरों का विशेष ध्यान रखना चाहिये क्योंकि कई बार पैरों में घाव हो जाता है और व्यक्ति को अहसास ही नहीं होता है। इसके बाद अगर उसमें लापरवाही बरती गयी जिससे स्थिति खराब होने पर पैर काटने की नौबत आ जाती है। आंकड़ों के अनुसार विश्व भर में हर वर्ष लगभग 10 लाख लोगों के पैर काटे जाते हैं यानी करीब हर आधा मिनट में एक व्यक्ति का पैर काटा जाता है। उन्होंने बताया कि अगर सडक़ दुर्घटना के चलते काटे गये पैरों के आंकड़े को अलग कर लें तो बाकी में करीब 80 फीसदी लोगों के पैर डायबिटीज के चलते पैरों में हुए घाव के कारण काटने पड़ते हैं।
अनेक कारणों से हो सकता है घाव
डॉ शंखधर ने बताया कि एक व्यक्ति रोज करीब 10 हजार कदम चलता है और अपने जीवनकाल में करीब 145000 मील का फासला तय करता है। यह दुनिया के चार चक्कर लगाने के बराबर है। पैरों में 26 हड्डिïयां, 29 जोड़ व 42 मांसपेशियां होती हैं इसी विशेष संरचना के कारण ही पैर इतना बड़ा कार्य सम्पन्न कर पाते हैं। ऐसे महत्वपूर्ण अंग की देखरेख लोगों विशेषकर डायबिटीज से ग्रस्त लोगों को विशेष रूप से करनी चाहिये। उन्होंने बताया कि डायबिटीज से ग्रस्त लोगों के पैरों में न्यूरोपैथी यानी नसों का खराब हो जाना, रक्त का संचार मद्धिम होना यानी पैरीफेरल वैस्कुलर डिजीज और संक्रमण का रुझान यानी इन्फैक्शन के चलते पैरों में जख्म का रुझान बना रहता है।
पहले से पता चल सकता है घाव के बारे में
उन्होंने बताया कि भविष्य में पैरों में जख्म बनने की संभावनाओं का पता पहले से ही लगाया जा सकता है इसके लिए इन्फ्रारेड थर्मोग्राफी से जांच की जाती है। डायबिटिक व्यक्तियों को चाहिये कि वह समय-समय पर इसकी जांच कराते रहें। इस जांच में पैरों के अलग-अलग स्थान का तापमान मापा जाता है। उन्होंने बताया कि दरअसल जिस स्थान पर भविष्य में घाव बनने वाला होता है वहां का तापमान अन्य भाग की अपेक्षा लगभग दो डिग्री ज्यादा होता है जिसे हाथ से अहसास करना बहुत कठिन है। इन्फ्रारेड थर्मोग्राफी से ऐसे ही भाग को चिन्हित कर लिया जाता है जिससे कि मरीज भविष्य में होने वाले घाव के प्रति सावधान हो जाता है।
26 फरवरी को होगा सेमिनार
डॉ शंखधर ने बताया कि इन्फ्रारेड थर्मोग्राफी मशीन से जांच और पैरों के रखरखाव को लेकर आगामी 26 फरवरी को उत्तर प्रदेश मधुमेह एसोसिएशन एक सेमिनार का आयोजन लखनऊ में फैजाबाद रोड पर बीबीडी के निकट अनौरा स्थित अपने निर्माणाधीन हॉस्पिटल में अपरान्ह 3 बजे करने जा रहा है। इस सेमिनार में जहां इन्फ्रारेड थर्मोग्राफी जांच मशीन का उद्घाटन होगा वहीं उनके द्वारा मरीजों के लिए बहुउपयोगी अनेक जानकारियां भी दी जायेंगी। उन्होंने बताया कि इस सेमिनार में कोई भी भाग ले सकता है तथा इसके लिए कोई भी शुुल्क नहीं लिया जायेगा।