-लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाने कर मतलब है मौत को आमंत्रित करना
-महिलाओं में फेफड़े के कैंसर का प्रमुख कारण है धुआं : डा0 सूर्यकान्त
-केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में मनाया गया फेफडे़ के कैंसर का जागरूकता दिवस
सेहत टाइम्स
लखनऊ। इंडियन सोसाइटी फॉर स्टडी ऑफ लंग कैंसर के एडवाइजरी बोर्ड के मेंबर, किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ0 सूर्यकान्त ने कहा है कि अपने देश में आज भी बड़ी संख्या में महिलाएं खाना बनाने के लिए लकड़ी के चूल्हे का इस्तेमाल करती हैं, जबकि इस चूल्हे से निकलने वाला धुआं इतना खतरनाक है कि एक दिन का खाना बनाने के दौरान निकलने वाला धुआं 100 बीड़ी/सिगरेट के सेवन से निकलने वाले धुएं के समान खतरनाक है, क्योंकि यह फेफड़े के कैंसर की बहुत बड़ी वजह है, इसीलिए बड़ी संख्या में महिलाएं लंग कैंसर का शिकार हो रही हैं। उन्होंने ऐसी महिलाओं के साथ ही उनके परिजनों से अपील की है कि एलपीजी कनेक्शन लेकर लकड़ी के चूल्हे के स्थान पर गैस के चूल्हे पर खाना बनने की व्यवस्था करें, सरकार द्वारा भी गरीब परिवारों को उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाता है।
प्रो सूर्यकान्त ने ये विचार आज 1 अगस्त को विश्व लंग कैंसर डे के मौके पर विभाग में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में व्यक्त किये। इस जागरूकता कार्यक्रम में उनके साथ डॉ0 संतोष कुमार, डॉ0 अजय कुमार वर्मा, डॉ0 आनंद श्रीवास्तव, डॉ0 अंकित कुमार तथा विभाग के समस्त जूनियर डॉक्टर्स इस कार्यक्रम के दौरान उपस्थित रहे। डॉ0 सूर्यकान्त ने बताया कि फेफड़े का कैंसर दुनिया में सबसे खतरनाक कैंसर माना जाता है क्योंकि इसकी मृत्यु दर बहुत ज्यादा होती है। इसीलिए 1 अगस्त को पूरी दुनिया में फेफड़े के कैंसर का जागरूकता दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष फेफड़े के कैंसर दिवस की थीम है – ’’क्लोज द केयर गैप : एवरी वन डिजर्व एसेस टू कैंसर केयर’’।
कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए डॉ0 सूर्यकान्त ने बताया कि यह सभी को मालूम है कि फेफड़े का कैंसर ज्यादातर धूम्रपान या धूल, धुआं और अन्य विषैले तत्वों के प्रभाव से होता है। पुरुषों में चुंकि धूम्रपान ज्यादा है इसलिए पुरुषों में फेफड़े का कैंसर ज्यादा होता है, लेकिन महिलाओं में भी फेफड़े का कैंसर पाया जाता है, इसके दो प्रमुख कारण हैं। महिलाओं में पहला प्रमुख कारण है कि ज्यादातर अभी भी हमारे देश की गरीब महिलाऐं लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाती हैं। दूसरा कारण महिलाओं को परोक्ष धूम्रपान या पेसिव स्मोकिंग बहुत होती है। घर के अंदर अगर कोई पुरूष धूम्रपान कर रहा है तो महिलाओं को परोक्ष धूम्रपान होता है। इसी तरह बाजार में या ऑफिस में अगर कोई पुरुष धूम्रपान कर रहा है तो उसके धुऐं से भी परोक्ष धूम्रपान होता है। बढ़ते हुए धूम्रपान तथा वायु प्रदूषण, खाने पीने की खराब आदतों के कारण भी फेफड़े का कैंसर जो कि उम्रदराज लोगों को पहले हुआ करता था, इधर कुछ वर्षों से युवाओं में भी होने लगा है। यह एक चिंता का विषय है।
सबसे खतरनाक है लंग कैंसर
फेफड़े का कैंसर दुनिया में सबसे खतरनाक कैंसर माना जाता है क्योंकि इसकी मृत्यु दर बहुत ज्यादा होती है। दुनिया में फेफडे़ के कैंसर के 20 लाख मरीज प्रतिवर्ष होते हैं जिसमें से 18 लाख कैंसर के मरीजों की मृत्यु होती है। भारत देश में भी प्रतिवर्ष लगभग 1 लाख फेफडे़ के कैंसर के मरीज होते हैं, जिसमें लगभग 85 हजार लोगों की मृत्यु प्रतिवर्ष हो जाती है। डॉ0 सूर्यकान्त ने बताया कि फेफड़े के कैंसर में ज्यादा मृत्युदर इसलिए होती है क्योंकि शुरू में फेफड़े के कैंसर की बीमारी का पता नही लग पाता है, इसके लक्षण टीबी व अन्य बीमारी से मिलते जुलते है जिसके कारण जानकारी के अभाव में ऐसे रोगियों को टीबी का इलाज व अन्य इलाज चलता रहता है और जिससे की फेफड़े के कैंसर की पहचान बहुत देर से हो पाती है। इस कारण फेफड़े के कैंसर में 80 प्रतिशत से ज्यादा मामलों में तीसरी या चौथी स्टेज में पहचान हो पाती है।
तेजी से फैलता है फेफड़े का कैंसर
डॉ सूर्यकान्त ने कहा कि फेफड़े का कैंसर तेजी से फैलता है, चूँकि फेफड़े में रक्त शुद्धि के लिए आता है और रक्त शुद्धिकरण की प्रक्रिया में ऑक्सीजन के साथ साथ कुछ कैंसर की कोशिकाऐं भी चली जाती हैं, जिसके कारण कैंसर का फैलाव दूसरे अंगों में अन्य कैंसर की तुलना में ज्यादा होता है। जब कैंसर चारों तरफ फैल जाता है तो इसको हम चौथी स्टेज या अंतिम स्टेज का कैंसर कहते हैं और इसका प्रभावी इलाज उपलब्ध नहीं है। इसीलिए मृत्यदर ज्यादा होती है। उन्होंने कहा कि फेफड़े के कैंसर से बचाव के लिए धूम्रपान नहीं करना चाहिए, वायु प्रदुषण से बचना चाहिए, ऐसे सभी कार्य जहां धूल, धुआं, गर्दा होता है उन कार्यो से बचना चाहिए।