-गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च पर हुईं स्टडीज का प्रकाशन हो चुका है प्रतिष्ठित जर्नल में
सेहत टाइम्स
लखनऊ। लिवर के जानलेवा रोग हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी का इलाज होम्योपैथिक में सम्भव है, होम्योपैथिक जर्नल में प्रकाशित गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च (जीसीसीएचआर) लखनऊ में हुईं स्टडीज बताती हैं कि हेपेटाइटिस बी के उपचार में सफलता की दर 78 प्रतिशत और हेपेटाइटिस सी के उपचार में सफलता की दर 69 प्रतिशत पायी गयी। मरीजों के उपचार के लिए दवा का चुनाव होलिस्टिक एप्रोच यानी मरीज के शारीरिक और मन से जुड़े लक्षणों के आधार पर किया गया, जिससे मरीज के इम्यून सिस्टम को मजबूत किया गया।
विश्व हेपेटाइटिस डे (28 जुलाई) के मौके पर एक विशेष वार्ता में यह जानकारी जीसीसीएचआर के चीफ कन्सल्टेंट डॉ गिरीश गुप्ता ने दी। उन्होंने बताया कि होम्योपैथी के जनक डॉ सैमुअल हैनिमैन ने मरीज को रोग से स्थायी छुटकारा दिलाने के लिए उपचार का जो सिद्धांत दुनिया को दिया है, उसके अनुसार दवा का चुनाव रोग के अनुसार नहीं, रोगी के अनुसार किया जाता है, इसीलिए किसी एक विशेष दवा से सभी रोगियों को लाभ हो जाये ऐसा आवश्यक नहीं है, प्रत्येक मरीज के शारीरिक लक्षणों, उसकी मन:स्थिति, उसकी पसंद-नापसंद, उसकी आदतें, उसके साथ घटी घटनाएं जैसी कई बातों की हिस्ट्री लेकर दवा का चुनाव किया जाता है।
डॉ गिरीश गुप्ता ने बताया कि इसी सिद्धांत पर चलते हुए हमारे रिसर्च सेंटर जीसीसीएचआर पर हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी के मरीजों के किये गये उपचार पर स्टडीज की गयी हैं। इस बारे में उन्होंने बताया कि हेपेटाइटिस बी का संक्रमण रक्त या शरीर से निकलने वाले अन्य तरल पदार्थों से होता है। उन्होंने बताया कि पैथोलॉजिकल जांच में हेपेटाइटिस बी के पॉजिटिव पाये गये 18 केसेज की स्टडी में सफलता की दर 78 प्रतिशत पायी गयी। इन 18 केसेज में नौ लोगों में वायरस निगेटिव हो गया, पांच केसों में वायरल लोड कम हुआ, जबकि चार रोगियों को दवाओं से लाभ नहीं हुआ। यह स्टडी ‘एडवांसमेंट्स इन होम्योमपैथिक रिसर्च’ जर्नल के वॉल्यूम 7 संख्या 02, मई 2022 से जुलाई 2022 के अंक में ‘एन एवीडेंस बेस्ड क्लीनिकल स्टडी ऑन होम्योपैथिक ट्रीटमेंट ऑफ हेपेटाइटिस बी पेशेंट्स’ शीर्षक से छपी है।
डॉ गुप्ता ने बताया कि इसी प्रकार हेपेटाइटिस सी के 13 केसेज की स्टडी की गयी थी, इसमें सफलता का प्रतिशत 69 रहा। इन 13 केसेज में से 9 केसेज में वायरस निगेटिव हो गया या वायरल लोड कम हो गया जबकि चार केसेज में दवाओं से कोई लाभ नहीं हुआ। इस स्टडी का प्रकाशन ‘एडवांसमेंट्स इन होम्योपैथिक रिसर्च’ जर्नल के वॉल्यूम 2 संख्या 2(39) मई 2017 से जुलाई 2017 के अंक में ‘रोल ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन्स इन द पेशेन्ट्स ऑफ क्रॉनिक हेपेटाइटिस सी’ शीर्षक से किया गया है।
एक सवाल के जवाब में डॉ गिरीश गुप्ता ने बताया कि चूंकि हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी का संक्रमण इससे ग्रस्त व्यक्ति के खून या शरीर से निकलने वाले अन्य तरल पदार्थों के माध्यम से होता है। इसीलिए लोगों को यह सलाह दी गयी है कि एक सीरिंज से एक ही व्यक्ति को इंजेक्शन न लगायें, एक ही ब्लेड से दो लोग दाढ़ी न बनायें, सैलून में भी अगर आप बाल कटा रहे हैं या दाढ़ी बनवा रहे हैं तो वहां भी ध्यान रखें कि उस्तरे में नया ब्लेड लगा है अथवा नहीं। इसी प्रकार संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित शारीरिक सम्बन्ध बनाने से भी बचना जरूरी है। इसके अतिरिक्त खून चढ़ाते समय आवश्यक है कि संक्रमण की जांच किये जा चुके रक्त को ही चढ़ाया जाये।