-डायबिटीज के मरीजों को आठ गुना ज्यादा रहता है टीबी होने का खतरा
-इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, कृष्णा होलिस्टिक लाइफ स्टाइल व लायन्स क्लब के संयुक्त तत्वावधान में फ्री कैम्प व सेमिनार का आयोजन
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के पल्मोनरी विभाग के विभागाध्यक्ष व इण्डियन कॉलेज ऑफ एलर्जी, अस्थमा एण्ड एप्लाइड इम्यूनोलॉजी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ सूर्यकांत ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को वर्ष 2025 तक टीबी फ्री करने का लक्ष्य रखा है, इसके लिए आवश्यक है कि साथ ही साथ भारत को डायबिटीज फ्री किया जाये क्योंकि डायबिटीज के मरीजों को टीबी होने का खतरा आठ गुना ज्यादा रहता है।
डॉ सूर्यकांत ने यह बात आज विश्व मधुमेह दिवस के मौके पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, कृष्णा होलिस्टिक लाइफ स्टाइल व लायन्स क्लब के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित फ्री जांच शिविर के बाद हुए एक सेमिनार में कही। इस शिविर में 80 लोगों की ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर व न्यूरोपैथी की जांच की गयी।
जीने के लिए खाना है या खाने के लिए जीना है…
सेमिनार में वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ व आईएमए की महिला विंग की अध्यक्ष डॉ रुखसाना खान ने कहा कि हमें यह तय करना है कि हमें जीने के लिए खाना है या खाने के लिए जीना है, यह दो बहुत जरूरी चीजें हैं, यह सही है कि हम जीने के लिए ही खाते हैं लेकिन अगर इतना खा लिया कि खा-खाकर मर ही गये तो हमने जीवन में किया ही क्या। उन्होंने कहा कि जिन बच्चों के माता-पिता को डायबिटीज होती है उन्हें जेस्टेशनल डायबिटीज होने की संभावना रहती है इसलिए देखा गया है कि कई महिलाओं को गर्भावस्था के समय डायबिटीज हो जाती है इसलिए आवश्यक है कि गर्भावस्था के दौरान पहले, पांचवें और सातवें महीने में ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट जरूर कराना चाहिये।
डॉ रुखसाना ने कहा कि गर्भावस्था के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज होने की स्थिति में शुगर को नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन का इंजेक्शन लगाया जाता है, ऐसा देखा गया है कि महिलायें इससे डरती हैं, उन्हें डरने की जरूरत नहीं है, यह इंजेक्शन तुरंत और बेहतर शुगर नियंत्रण के लिए लगाया जाता है, इससे उनका बच्चा स्वस्थ रहेगा। उन्होंने कहा कि लोग महिला को डरा देते हैं कि अब तो तुम्हें जीवन भर इंसुलिन लेनी पड़ेगी, ऐसा नहीं है चूंकि यह जेस्टेशनल डायबिटीज है इसलिए यह गर्भावस्था के बाद ठीक हो जाती है।
ऑक्टोपस की तरह है डायबिटीज
इस मौके पर आईएमए लखनऊ के अध्यक्ष डॉ जीपी सिंह ने इस मौके पर आये हुए लोगों का स्वागत करते हुए डायबिटीज के बारे में संक्षिप्त में जानकारी देते हुए कहा कि डायबिटीज ऑक्टोपस की तरह होती है जो पूरे शरीर को जकड़ लेती है, इसलिए आवश्यक है कि अपने खानपान में संतुलन रखें, क्योंकि इस बीमारी का मुख्य कारण बिगड़ती लाइफ स्टाइल है।
डायबिटीज से ग्रस्त लोग पैरों का रखें ध्यान
सेमिनार में आईएमए की संयुक्त सचिव व केजीएमयू के एनेस्थीसिया विभाग की डॉ सरिता सिंह ने कहा कि डायबिटीज में न्यूरोपैथी की समस्या हो जाती है, जिस वजह से बहुत बार ऐसा होता है कि पैर में व्यक्ति को अहसास होना कम हो जाता है, जिससे अगर उसमें कोई घाव हो जाये तो उसके बारे में जल्दी-जल्दी महसूस ही नहीं होती है और घाव बिगड़ता जाता है, ज्यादा बिगड़ जाने पर पैर काटने की भी नौबत आ जाती है। इसलिए डायबिटीज से ग्रस्त लोग अपने पैरों की देखभाल अच्छे से करें, नाखून काटते समय विशेष खयाल रखें।
सेमिनार में कृष्णा होलिस्टिक लाइफ स्टाइल के चेयरमैन व हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ राकेश सिंह, आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ पीके गुप्ता, नेशनल होम्योपैथिक कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ एसडी सिंह, आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ अजय दत्त शर्मा ने भी बहुत महत्वपूर्ण जानकारियां दीं।
सेमिनार के अंत में आईएमए लखनऊ के सचिव डॉ जेडी रावत ने आये हुए लोगों को धन्यवाद देते हुए सभी वक्ता चिकित्सकों को डायबिटीज से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए उनका आभार जताया। इस मौके पर लायन्स क्लब के लायन संजय मेहरोत्रा, डॉ जीके सेठ सहित अनेक चिकित्सक एवं अन्य लोग उपस्थित रहे।
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