जिस विधा से मरीज को फायदा पहुंचे उस विधा से कराना चाहिये इलाज

सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। डायबिटीज में सबसे बड़ा रोल खानपान और दिनचर्या का है। हम सभी काम आराम से करते हैं लेकिन सबसे ज्यादा जल्दबाजी हम अपने खाने में करते हैं, सुबह उठिये, आधा घंटा टहलिये, योगा करिये या प्राणायाम कीजिये। सुबह नाश्ता कीजिये नाश्ता आधे घंटे में करिये। यानी नाश्ता करने में आधा घंटा का समय लगाइये। जो भी खायें आराम से चबा-चबा कर खायें।
यह बात विश्व मधुमेह दिवस पर आईएमए में आयोजित एक सेमिनार में नेशनल होम्योपैथिक कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ एसडी सिंह ने कही। उन्होंने कहा कि भगवान ने हमें 32 दांत दिये हैं तो आखिर क्यों दिये हैं, इनसे खूब चबा-चबा कर खाइये, जिससे आंतों को दांतों का काम करना पड़े। जब हम चबा-चबा कर खायेंगे तो हमारे शरीर के हर अंग में खाने में शामिल ताकत पहुंचेगी।
उन्होंने कहा कि डायबिटीज के रोगियों को डेढ़ से दो घंटे के बीच थोड़ा-थोड़ा कुछ न कुछ जरूर खायें। एक बार में भरपेट न खायें। डॉ सिंह ने कहा कि दोपहर में लंच जरूर करें अगर कहीं काम करते हैं तो घर से लंच ले जायें और शाम को 7 से 8 बजे के बीच डिनर जरूर करे। उसके बाद साढ़े आठ से साढ़े नौ बजे तक टहलें जरूर। उन्होंने कहा कि दरअसल होता क्या है कि हम लोग रात के 10-11 बजे खाना खाते हैं फिर जाकर सो जाते हैं, और जब हम सो जाते हैं तो सोते समय हमारे सभी अंग शिथिल पड़ जाते हैं, जिससे खाया हुआ हजम नहीं हो पाता है, जिससे दूसरे दिन अपच फील होता है।
मेरा मानना है कि मधुमेह और ब्लड प्रेशर का इलाज सभी विधाओं में हैं लेकिन इसके लिए नियंत्रण आवश्यक है। अगर कंट्रोल नहीं कर सकते हैं तो न होम्योपैथी से, न योगा से, न आयुर्वेद से शुगर और हाई बीपी ठीक होगा, और अगर नियंत्रण है तो होम्योपैथी, योगा, आयुर्वेद सभी से ठीक हो जायेगा। इसीलिए कंट्रोल करने के लिए ऐलोपैथी ऐसी विधा है जिससे तुरंत कंट्रोल हो सकता है इसलिए उनसे सम्पर्क करें और फिर जब कंट्रोल हो जाये तो वापस होम्योपैथी, आयुर्वेदिक, योगा में आकर उपचार करा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि कोई भी विधा का विशेषज्ञ अपने आप में पूर्ण नहीं है इसलिए हम चिकित्सकों को यह मानना चाहिये कि जो मरीज जिस विधा से ठीक हो सकता है उसे उस विधा से इलाज करने को कहा जाना चाहिये। जिससे मरीज का नुकसान न हो।
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