बेल की पत्ती, जामुन और खैर की लकड़ी डायबिटीज नियंत्रण में है कारगर

सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। क्या आप जानते हैं कि गणेश जी का सम्बन्ध मधुमेह से है, गणेश जी को मोदक बहुत पसंद हैं, आज भी गणेश जी को गणेश चतुर्थी पर जो मोदक का भोग लगता है उसके साथ बेल की पत्ती, जामुन और खैर की लकड़ी का भी भोग लगाया जाता है। बेल की पत्ती, जामुन और खैर की लकड़ी का मधुमेह को नियंत्रित रखने में बड़ी भूमिका है, और इन्हीं से आज डायबिटीज की दवायें बनती हैं।
यह बात आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ अजय दत्त शर्मा ने विश्व मधुमेह दिवस के मौके पर आईएमए भवन में आयोजित सेमिनार को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि आज हमें डायबिटीज डे इसलिए मनाना पड़ रहा है क्योंकि हम इसके इतिहास को भूल गये। दुनिया के शास्त्रों में अगर सबसे पहला मरीज डायबिटीज का आता है तो मुझे लगता है कि वह गणेशजी हैं। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि गणेश चतुर्थी वह ऐसा दिन है जिस दिन हम डायबिटीज को याद करते हैं। क्योंकि गणेशजी को जब कंधे के ऊपर सिर कटने के समय डायबिटीज की दिक्कत हुई तो उस समय उन्हें मोदक के लिए मना किया लेकिन गणेशजी ने कहा कि यह तो उनके भक्त लाते हैं, इसलिए मैं इसे मना नहीं कर सकता। इसलिए उस समय के वैद्यों ने यह तरकीब लगायी और भक्तों से कहना शुरू किया कि गणेश चतुर्थी को प्रसाद नहीं महाप्रसाद का भोग लगाओ और महाप्रसाद के नाम पर मोदक के साथ बेल की पत्ती, जामुन और खैर की लकड़ी का भी भोग लगाया जाने लगा, जो कि आजतक चला आ रहा है।
डॉ शर्मा ने कहा कि ऐसी बहुत सी वनस्पतियां हैं जिनके सेवन से डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है। इन्हीं में बेल की पत्ती, जामुन और खैर की लकड़ी भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हम कब खायें, क्या खाये, कैसे खायें और कितना खायें इसका ध्यान रखना है। यह देखना है कि हमें क्या जरूरत है, क्यों जरूरत है, कब जरूरत है और कितनी जरूरत है, उतना ही खाना चाहिये।
उन्होंने कहा कि एक और बात यह है कि पहले लोग बाहर का नहीं खाते थे, आज यह स्थिति है कि ज्यादातर लोग बाहर खाते हैं, हम प्रदूषण को कम करने के लिए वाहनों की संख्या पर लगाम लगाने की बात तो करते हैं लेकिन क्या रेस्टोरेंट की बढ़ती संख्या पर लगाम लगाने का सोचा गया। गली-गली समोसे की दुकान, चाउमिन की दुकान क्या इस पर हमें नहीं सोचना चाहिये। इससे भी बढ़कर अब तो विभिन्न एजेंसीस के माध्यम से यह फास्ट फूड आपके घर पर उपलब्ध कराये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि डायबिटीज पर नियंत्रण के लिए सरकार अगर प्रोग्राम बना रहे हैं तो इन बातों पर भी विचार करना होगा।
मोटे अनाज के गुणों के बारे में जिक्र करते हुए डॉ शर्मा ने कहा कि एक समय था जब गेहूं का उपयोग त्योहारों में किया जाता था, बाकी समय मोटा अनाज प्रयोग होता था। इसका कारण है कि मोटा अनाज शरीर को फायदा करता है, देर तक भूख नहीं लगने देता। एक और बड़ी बात है कि टीबी हो या डायबिटीज इसके उपचार में कब्ज बहुत बाधक होता है तो मोटे अनाज में कब्ज दूर रखने की शक्ति पायी जाती है। उन्होंने बताया कि बसंत कुसमाकर रसायन है, यह ऐसी चीज है जो किसी भी रोग की दवाओं के साथ दे दी जाये तो करीब 30 फीसदी दवाओं की जरूरत कम हो जाती है। बसंत कुसमाकर में ऐसी-ऐसी चीजें मिली हैं जो विभिन्न प्रकार के रोगों से होने वाली व्याधियों को दूर करती हैं, चैतन्य रखती है तथा इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है।
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