Friday , October 13 2023

प्रदर्शन की तैयारी को लेकर विभिन्‍न विभागों में कर्मचारियों ने की गेट मीटिंग

-21 जनवरी को होगा राज्‍य कर्मचारी संयुक्‍त परिषद का प्रदेशव्‍यापी प्रदर्शन

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्‍तर प्रदेश द्वारा घोषित 21 जनवरी के प्रदर्शन की तैयारी एवं जनजागरूकता के लिए आज लखनऊ के विभिन्न कार्यालयों में संपर्क एवं गेट मीटिंग की गई।

मंडलीय मंत्री राजेश चौधरी ने बताया कि वन विभाग में डॉ पी के सिंह, लोहिया में डी डी त्रिपाठी, सिविल अस्पताल में जी सी दुबे, बलरामपुर में सुभाष श्रीवास्तव के नेतृत्व में, सिचाई विभाग, सूचना आदि कार्यालयों में कर्मचारियों से मुलाकात की गई ।

परिषद के जनपद अध्यक्ष सुभाष श्रीवास्तव ने बताया कि पुरानी पेंशन बहाली, वेतन विसंगति दूर करने, भत्तों की समानता सहित मुख्य सचिव के साथ हुए समझौतों पर कार्यवाही न होने से राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद द्वारा पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अंतर्गत 21 जनवरी को सभी मंडलों में मंडलीय धरने की तैयारी और रणनीति तय करने के लिए आज गेटमीटिंग सम्पन्न हुई, जिसमे मुख्य रूप से परिषद के अध्यक्ष सुरेश रावत , महामंत्री अतुल मिश्रा, प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव व जनपद के अन्य पदाधिकारी व मंडलीय पदाधिकारी उपस्थित रहे । मंडल मंत्री राजेश चौधरी ने बताया कि इसके पूर्व 21 नवम्बर को  सभी जनपदों में मशाल जुलूस निकालकर जिलाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन भेजा गया था।

12 दिसम्बर को परिषद द्वारा जनपदों में धरना दिया गया । तीसरे चरण में 21 जनवरी 2020 को राज्य कर्मचारी बड़ा प्रदर्शन करेंगे। लखनऊ मे जीपीओ पर मंडलीय धरना आयोजित होगा, मण्डलीय धरने के दिन ही अगले बड़े आन्दोलन की घोषणा भी की जायेगी।

पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग परिषद द्वारा लगातार किया जा रहा है, लेकिन सरकार इस पर कोई निर्णय नही कर रही है । जिससे कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। आज सभी कार्यालयों में  कर्मचारियों ने अपने आक्रोश से परिषद को अवगत कराया ।

परिषद की मांग पर वेतन विसंगति एवं वेतन समिति की संस्तुतियॉ एवं शेष बचे भत्तों पर मंत्रिपरिषद से अनुमोदन लिये जाने, पूर्व विनियमित कर्मचारियों की अर्हकारी सेवाएं को जोड़ते हुए पेंशन निर्धारित करने, डिप्लोमा इंजीनियर्स की भॉति ग्रेड वेतन 4600/- को इग्नोर करके 4800/- के ग्रेड वेतन के समान मैट्रिक्स लेवल अनुमन्य करने, उपार्जित अवकाश में 300 दिन के संचय की सीमा को समाप्त करने, राजस्व संवर्ग सींच पर्यवेक्षक, जिलेदार सेवा नियमावली, एवं तकनीकी पर्यवेक्षक नलकूप सेवानियमावली, अधीनस्थ वन सेवा नियमावली प्रख्यापित करने, सभी संवर्गो का पुनर्गठन, जिनकी सेवा नियमावली प्रख्यापित नही हैं, उसे प्रख्यापित कराने का निर्णय लिया गया था ।

यह भी निर्णय लिया गया था कि एक समान शैक्षिक योग्यता वाले संवर्गों को एक समान वेतन भत्ते अनुमन्य किए जाये चाहे वे किसी भी विभाग में कार्यरत हो, परन्तु वित्त विभाग द्वारा अभी तक कोई कार्यवाही नही हो सकी है।

बार-बार समझौतों के बावजूद कर्मचारियों की कैशलेस चिकित्सा अभी तक प्रारम्भ नही हो सकी जबकि पूर्व से मिल रहे चिकित्सा प्रतिपूर्ति भूगतान हेतु बजट के अनुदान की ग्रुपिंग में फेरबदल कर उसे और जटिल बना दिया गया, यहा तक कि सरकारी चिकित्सालयों में दवाओं के लोकल परचेज पर भी रोक लगा दी गयी।  निर्णयों का क्रियान्वयन न कर शासन द्वारा 50 वर्ष पूर्ण कर रहे कर्मचारियों को जबरन सेवानिवृत्त किया जा रहा है। जो नितान्त गलत है। इसलिए कर्मचारी अब सड़कों पर उतरने को बाध्य हैं।