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कोरोना की चिंगारी को न दें लापरवाही की हवा, एक मास्‍क बचायेगा कई बीमारियों से

– कोरोना ही नहीं बल्कि टीबी और निमोनिया से भी बचाता है मास्क

– अस्थमा, एलर्जी व वायु प्रदूषण जनित बीमारियों से भी करता है रक्षा

– कोरोना के प्रति ढिलाई न बरतें, दिल्ली में फिर बढ़ रहा : डॉ सूर्यकांत

डॉ सूर्यकान्त

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। घर से बाहर निकलने पर मास्क से मुंह व नाक को अच्छी तरह से ढंककर वायरस व बैक्टीरिया से जुड़ी बीमारियों जैसे- कोरोना, टीबी व निमोनिया ही नहीं बल्कि एलर्जी, अस्थमा व वायु प्रदूषण जनित तमाम बीमारियों से भी सुरक्षित रह सकते हैं। इस समय बढ़ता प्रदूषण व सर्दी इन बीमारियों को और भी गंभीर बना सकता है, ऐसे में अभी किसी भी तरह की ढिलाई बरतना खुद के साथ दूसरों को भी मुश्किल में डालने वाला साबित हो सकता है।

यह कहना है किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष व कोरोना टास्क फ़ोर्स के सदस्य डॉ. सूर्यकांत का। उनका कहना है कि मास्क की महत्ता को आज हर किसी को समझना बहुत ही जरूरी हो गया है, क्योंकि कोरोना, टीबी और निमोनिया खांसने व छींकने से निकलने वाली बूंदों के जरिये एक दूसरे को प्रभावित करती हैं।

​इन्डियन कॉलेज ऑफ़ एलर्जी, अस्थमा एवं इम्युनोलॉजी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत का कहना है कि वायु प्रदूषण का असर फेफड़ों पर ही नहीं बल्कि शरीर के अन्य हिस्सों पर भी पड़ता है। कम तापमान व स्मॉग के चलते धूल कण ऊपर नहीं जा पाते और नीचे ही वायरस व बैक्टीरिया के संवाहक का कार्य करते हैं, ऐसे में अगर बिना मास्क लगाए बाहर निकलते हैं तो वह साँसों के जरिये शरीर में प्रवेश करने का मौका पा जाते हैं। वायु प्रदूषण में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 माइक्रान यानि बहुत ही महीन धूल कण ज्यादा नुकसानदायक साबित हो सकते हैं, क्योंकि वे सांस मार्ग से फेफड़ों तक पहुँच सकते हैं जबकि 10 माइक्रान तक वाले धूलकण गले तक ही रह जाते हैं जो गले में खराश और बलगम पैदा करते हैं। वायु प्रदूषण के कारण सांस मार्ग में सूजन की समस्या पैदा होती है और सूजन युक्त सांस मार्ग कई बीमारियों को आमन्त्रण देता है ।

क्या कहते हैं आंकड़े

​डॉ. सूर्यकांत का कहना है कि अभी हाल ही में आई स्टेट ऑफ़ ग्लोबल एयर/2020 की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में भारत के छह शहर शामिल हैं, इसमें कानपुर पहले स्थान पर है। उनका कहना है कि देश में वायु प्रदूषण से हर साल होने वाली मौतों का आंकड़ा भी 12 लाख से बढ़कर 16 लाख पर पहुँच गया है। ऐसे में हमें वातावरण को प्रदूषित होने से बचाने के बारे में भी गंभीरता से सोचने की जरूरत है।

दिल्ली में फिर से पाँव पसार रहा कोरोना, रहें अलर्ट

डॉ. सूर्यकान्त का कहना है कि कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है, क्योंकि देश की राजधानी दिल्ली से कोरोना के मामलों में फिर से हर रोज रिकार्ड वृद्धि की ख़बरें सभी को अलर्ट रहने का संकेत दे रहीं हैं। इसका बड़ा कारण तापमान में गिरावट के साथ ही दिल्ली व आस-पास के क्षेत्र में खतरनाक स्तर पर पहुँच चुका वायु प्रदूषण भी है। उनका कहना है कि इस बीच धनतेरस, दीपावली और छठ जैसे पर्व के करीब होने के चलते खरीदारी के लिए बाजार में बढती भीड़ भी कोरोना की चिंगारी को हवा देने का काम कर सकती है। इसलिए कोविड-19 के सभी प्रोटोकाल का पालन करने में ही अभी भलाई है ।