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आयुष फार्मासिस्‍टों व बेरोजगार नर्सों ने एक-एक पौधा लगाकर मांगों की तरफ ध्‍यान खींचा

-रिक्‍त पड़े पदों पर भर्ती की मांग, सौतेला व्‍यवहार न करें आयुष फार्मासिस्‍टों के साथ

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। पर्यावरण दिवस के मौके पर शनिवार को प्रदेश के हज़ारों आयुर्वेद, होम्योपैथी व यूनानी फार्मासिस्ट तथा बेरोजगार नर्सेज ने मिलकर आयुष फार्मासिस्ट संघ उप्र के प्रदेश व्यापी आह्वान पर अपने-अपने औषधालय/चिकित्सालय व घरों में वृक्षारोपण अभियान के तहत एक-एक पेड़ लगाकर कर अपनी मांगों के प्रति मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ध्यानाकर्षण करवाया।

राजकीय आयुर्वेदिक यूनानी फार्मासिस्ट संघ के प्रदेश अध्यक्ष विद्याधर पाठक ने पर्यावरण दिवस के अवसर पर  प्रातः 5:30 बजे इन्ट्रीग्रेटेड कन्ट्रोल रुम जिलाधिकारी कार्यालय गोरखपुर में पेड़ लगाकर अभियान की शुरुआत की,  इस अवसर पर उन्होंने कहा कि 23 मई, 2014 के शासनादेश में निहित प्रावधानों के अनुसार 25% पदों पर मेरिट के आधार पर नियुक्ति की प्रतीक्षा सूची जारी करते हुए आयुर्वेद, यूनानी, होमियोपैथिक फार्मासिस्टों एवं उपचारिकाओं के रिक्त पदों पर तत्काल विभागीय नियमों के तहत भर्ती की जाए तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में कार्यरत आयुष फार्मासिस्टों के साथ सौतेला व्यवहार बन्द करते हुए एलोपैथ फार्मासिस्ट के बराबर मानदेय दिया जाए क्‍योंकि राजकीय सेवा में दोनों फार्मासिस्ट का वेतन और कार्य एवं योग्यता भी एक समान है। आयुर्बेदिक फार्मासिस्टों की निदेशालय स्तर के सेवा सम्बधी मांग ए सी पी, समायोजन, स्थाईकरण, ज्येष्ठता सूची एवं पदोन्नति जैसी न्यायसंगत मागों के लिए मुख्यमंत्री, अपर मुख्य सचिव आयुष उच्च न्यायालय के आदेश एवं अवमानना वाद आदेश के बाद भी निदेशालय स्तर पर लम्बित है जिससे आयुर्वेदिक फार्मासिस्टों में रोष व्‍याप्त है।

इस अवसर पर आयुष फार्मासिस्ट संघ के प्रदेश अध्यक्ष अम्मार जाफ़री ने कहा कि विगत एक वर्ष से इस कोरोना महामारी में लगातार आमजन की सेवा में जुटे प्रदेश के आयुष फार्मासिस्ट की समायोजन की न्यायसंगत/वाजिब व गैर वित्तीय मांगों की भी राज्य की संवेदनशील योगी सरकार में सुनवाई नहीं होने से प्रदेश के समस्त आयुष फार्मासिस्ट में धीरे धीरे भारी असन्तोष पनपता जा रहा है।

संघ के महामंत्री देवेंद्र कुमार ने वर्तमान परिपेक्ष्य में आयुष फार्मासिस्ट की मुख्य मांगों का विस्तृत ब्यौरा देते हुये बताया कि आयुष फार्मासिस्टों की वरिष्ठता सूची बनाते हुए समायोजन, कोरोना काल को देखते हुए 1678 mo-ch के सापेक्ष 1678 आयुष फार्मासिस्ट के पदों का सृजन, आयुष फार्मासिस्टों की वेतन विसंगति दूर करते हुए एलोपैथ फार्मासिस्ट के समकक्ष मानदेय,   चीफ फार्मासिस्टों के पदों का सृजन प्रदेश भर में आयुष विंगों में पंचकर्म हिजामा शुरू करते हुए उपचारिकाओं की नियुक्ति, कोविड19 को देखते हुए आयुष फार्मासिस्ट एवं आयुष उपचारिकाओं की समस्त रिक्त पदों पर अविलम्ब भर्ती तथा आयुर्वेद/यूनानी औषधियों की गुणवक्ता के लिए प्राइवेट सेक्टर में मेडिकल स्टोर एवं औषधि निर्मानशालाओं में फार्मासिस्ट की अनिवार्यता की जायें

विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर शनिवार को आयुष फार्मासिस्ट संघ ने पूरे प्रदेश में अलग अलग स्थानों पर औषधीय पौधों का रोपण किया। आयुष फार्मासिस्ट संघ के प्रदेश  महामन्त्री देवेन्द्र सिंह यादव ने बताया कि संघ अपनी प्रमुख समान वेतन समान कार्य एवं समायोजन रिक्त पदों पर भर्ती की प्रमुख मांगों की तरफ सरकार का ध्यान आकृष्ट करने के उद्देश्य से जीवन रक्षक ऒर आक्सीजन का उत्सर्जन करने वाले अश्वगन्धा, एलोवेरा, नीम, गिलोय जैसे तमाम औषधीय पौधों को आयुष कर्मियों एवं बेरोज़गार फार्मासिस्ट एवं उपचारिका एवं राजकीय आयुर्वेद यूनानी फार्मासिस्ट ने अपनी तैनाती स्थल व घरों में पॊधारोपण किया है  एवं आमजन को औषधीय पौधों का महत्व बताते हुए जागरूक किया।

औषधीय पौधारोपण में मुख्य रूप से आयुष फार्मासिस्ट संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष कर्मप्रवीण चौबे, संगठन मंत्री अमित तिवारी, उपाध्यक्ष राजेश कुमार सक्सेना, अजय सिंह आज़ाद, लक्ष्मी उपाध्याय, राजकीय आयुर्वेदिक यूनानी संघ से वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुखलाल पटेल, राम कुमार वर्मा सँयुक्त मंत्री सत्यप्रकाश द्विवेदी, प्रान्तीय कोषाध्यक्ष प्रवेश सिंह, बेरोज़गार नर्सेज़ संघ की अध्यक्ष अनुप्रिया इत्यादि हज़ारों फार्मासिस्ट एवं उपचारिकाओं ने कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए अपने घर/चिकित्सालय पर पौधारोपण किया।

संकल्‍प भी लिया

विश्व पर्यावरण दिवस पर आयुष फार्मासिस्ट संघ के प्रदेश व ज़ि‍ला पदाधिकारियों सहित सैकड़ों आयुष फार्मासिस्ट व बेरोजगार नर्सेज ने अपने अपने अस्पतालों व घरों में एक एक औषधीय पौधा लगाने व उस  पौधे से वृक्ष बनने तक उसकी देखभाल करने का भी संकल्प लिया ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियों को ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए  ऑक्सीजन सिलेंडर के ऊपर निर्भर नहीं रहना पड़े।