-शिकागो यूनिवर्सिटी में किये गये अध्ययन की रिपोर्ट के अनुसार औसत उम्र कम कर दी है प्रदूषण ने
-भारत पर इसका जबरदस्त असर, पांच वर्ष कम हो गयी है उम्र
सेहत टाइम्स
लखनऊ। आपको जानकर शायद हैरानी होगी की वायु प्रदूषण से होने वाला नुकसान एचआईवी/एड्स से भी ज्यादा खतरनाक है यानी जितनी मौतें एचआईवी एड्स से हो रही है उससे 6 गुना ज्यादा मौतें वायु प्रदूषण के चलते होने वाले रोगों से हो रही हैं। इसके चलते औसत आयु भी कम हो रही है।
ये चौंकाने वाली रिपोर्ट शिकागो विश्वविद्यालय में ऊर्जा नीति संस्थान द्वारा वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक ए क्यू एल आई रिपोर्ट में सामने आए हैं। प्रदूषण के चलते दुनियाभर में कम हुई औसत आयु की बात करें तो रिपोर्ट के अनुसार बढ़ते प्रदूषण के कारण भारत में व्यक्ति की आयु 5 वर्ष घट गयी है, जबकि देश की राजधानी दिल्ली में 10 वर्ष और भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में साढ़े 9 वर्ष आयु कम हो रही है। दुनिया भर में औसतन जीवन में 2.2 वर्ष की गिरावट आई है।
दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर दिल्ली
दुनिया में वायु प्रदूषण का स्तर सबसे खराब भारत का है और दुनिया का सर्वाधिक प्रदूषित शहर दिल्ली है। मंगलवार 14 जून को जारी रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश के बाद भारत सबसे प्रदूषित देश है। बांग्लादेश में खराब हवा के कारण औसत उम्र 6.9 वर्ष घटी है, जबकि नंबर दो पर भारत में 5, नेपाल में 4.1,पाकिस्तान में 3.8 और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में 2.9 वर्ष उम्र का ह्रास हुआ है।
सर्वाधिक प्रदूषित पांच राज्यों में यूपी भी
विश्लेषण के अनुसार उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और त्रिपुरा वर्तमान में शीर्ष 5 सबसे प्रदूषित राज्यों में शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि शराब के इस्तेमाल और असुरक्षित पानी पीने से होनेवाली मौतों से 3 गुना अधिक, एचआईवी एड्स से 6 गुना अधिक और आतंकी घटनाओं में मारे जाने वाले लोगों की संख्या से 89 गुना अधिक आयु वायु प्रदूषण घटा रहा है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में सिंधु-गंगा का मैदान दुनिया का सबसे प्रदूषित क्षेत्र है, और यदि वर्तमान प्रदूषण का स्तर यही बना रहता है तो पंजाब से लेकर पश्चिम बंगाल तक 50 करोड़ से ज्यादा लोगों की जिंदगी औसतन 7.6 वर्ष छोटी हो सकती है।
भयावह स्थिति को रोकना आपके हाथ में : डॉ सूर्यकांत
इस भयावह स्थिति को रोकने की कोशिश किस तरह से की जा सकती है, इस बारे में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के हेड डॉ सूर्यकांत बताते हैं कि जैसा कि मैं हमेशा अपील करता हूं कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाये जाएं। इसके लिए बच्चों के जन्मदिन, शादी की वर्षगांठ जैसे समारोहों में हम उतने पेड़ लगाएं जितने वर्ष पूरे होने का समारोह मना रहे हैं, यानी अगर बच्चा 5 साल का हुआ है तो 5 पेड़, शादी को 10 वर्ष पूरे हो गए हैं तो 10 पेड़ लगाएं।
डॉ सूर्यकांत कहते हैं कि इन यादगार दिनों में लगाए गए पेड़ों को हम लगा कर भूल ना जाएं, बल्कि उनकी देखभाल भी करते रहें जिससे कि आपका लगाया हुआ पौधा एक दिन वृक्ष का रूप ले सके। डॉ सूर्यकांत कहते हैं दिन पर दिन भयावह होती जा रही प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए इससे निपटने के लिए दो ही तरह के उपाय हो सकते हैं, जिसमें पहला है कि हम प्रदूषण के कारणों को कम करें, यानी प्रदूषण होने ही न दें और दूसरी तरकीब यही है कि हम प्रदूषण से बचाव के संसाधनों को और बढ़ाएं यानी कि पेड़ लगाएं। डॉ सूर्यकांत ने कहां कि आज हम जब दशकों पुराने वृक्षों को देखते हैं तो हमें यह अहसास करना चाहिए कि यदि हमारे पूर्वजों ने अपने समय में वृक्षारोपण न किया होता तो आज हम इन पेड़ों से होने वाले लाभों को कैसे प्राप्त करते, चाहे वह फल के रूप में हो अथवा ऑक्सीजन के रूप में। ऐसे में हमारा भी यह दायित्व बनता है कि हम अब आगे आने वाली पीढ़ी के लिए वृक्ष लगाएं जिससे वे भी लाभ उठा सकें।