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योगी का आदेश सिर-माथे, लेकिन व्यवस्था पर रेजीडेंट्स डॉक्टर्स का तीखा प्रहार

-संजय गांधी पीजीआई के डॉक्‍टर्स 14 दिन की ड्यूटी भी करेंगे, विरोध भी करेंगे, चिकित्‍सा शिक्षा मंत्री से करेंगे मुलाकात

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। संजय गांधी पीजीआई में 14 दिन की लगातार ड्यूटी के मुद्दे पर रेजीडेंट्स डॉक्टर एसोसिएशन पीजीआई प्रशासन के बीच अभी कोई सहमति नहीं बन पाई है हालांकि रेजिडेंट डॉक्टर्स ने साफ कहा है कि वे मौजूदा स्थितियों को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश का सम्मान कर लगातार 14 दिन की ड्यूटी करते रहेंगे और किसी भी तरह का विरोध प्रदर्शन नहीं करेंगे लेकिन साथ ही यह भी कहा कि वह अपनी बात को लेकर चिकित्सा शिक्षा मंत्री से मिलकर एक व्यवहारिक हल निकालने का प्रयास करेंगे। साथ ही यह जानने की कोशिश करेंगे कि लगातार 14 दिन की ड्यूटी के बजाए 7+7 दिन की ड्यूटी में शासन को क्या दिक्कत है।

यह जानकारी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ आकाश माथुर व जनरल सेक्रेटरी डॉ अनिल गंगवार की ओर से जारी विज्ञप्ति में देते हुए बताया गया है कि विगत दो दिनों में वार्ताओं के कई दौर निदेशक के साथ किए गए, उन्हें यह भी बताया गया कि सार्वजनिक पटल पर उपलब्ध ऐसा कोई शासनादेश नहीं है जिसमें सरकार ने 14 दिन लगातार ड्यूटी की बात कही हो लेकिन निदेशक 14 दिन की बात से पीछे हटने को तैयार नहीं हुए साथ ही उन्हें श्रम कानूनों का भी हवाला दिया गया।

विज्ञप्ति में बताया गया है की जबरन श्रम की निंदा की जाती है लेकिन दुनिया भर में 24.9 मिलियन लोग अभी भी इसके शिकार हैं इनमें 20.8  मिलियन निजी क्षेत्र में तथा 4.1 मिलियन सरकारी क्षेत्र में हैं, हम रेजिडेंट डॉक्टर इसी श्रेणी में आते हैं। विज्ञप्ति में कहा गया है कि पीपीई किट पहनकर ड्यूटी करने के लिए 6 घंटे की ड्यूटी का मतलब 8 घंटे होता है क्योंकि दो घंटे का समय डानिंग और डॉफिंग (सभी प्रोटोकाल के साथ इसे पहनने और उतारने के समय मिलाकर)। में लग जाता है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह सामान्य स्थिति के 8 घंटे की ड्यूटी से कहीं ज्यादा कठिन और स्वास्थ्य के लिए तनावपूर्ण भी होती है। सामान्य काल के बने लेबर कानून के अनुसार हर 8 घंटे के बीच में भोजन या रिलैक्स करने का समय भी होता है इसके साथ हम अपने और अपने परिवार को कहीं ज्यादा खतरे में भी डाल रहे हैं। नियम यह कहता है कि अगर कार्य में खतरा या समय बढ़े तो उसके लिए ज्यादा पैसे या सुविधा मिलनी चाहिए पर यहां तो आदेशों की मार मिल रही है।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि 14 दिन की लगातार ड्यूटी जैसा कि संस्थान के द्वारा कही जा रही है, वह न केवल अमानवीय है बल्कि सारे श्रम नियमों और कानूनों के खिलाफ है। हर 24 घंटे की ड्यूटी के बाद अवकाश अनिवार्य है, इस हिसाब से हर 3 दिन के बाद अवकाश मिलना चाहिए। इन डॉक्टरों का कहना है कि यह हमारी समझ से परे है कि क्यों इतनी आसानी से बात समझना संस्थान प्रशासन के लिए मुश्किल है कि जब सरकार का कोई संसाधन क्वॉरेंटाइन के रूप में खर्च नहीं हो रहा ऐसी स्थिति में रेजिडेंट ड्यूटी किस प्रकार का सेट कर रहे हैं इससे शासन को क्या तकलीफ हो सकती है।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि यहां यह भी समझ से परे है कि क्यों संस्थान एक ऐसी नीति लागू करना चाहता है जो किसी और जगह लागू नहीं है विज्ञप्ति में कहा गया है कि हमने एम्स का ड्यूटी रोस्टर निदेशक के सामने प्रस्तुत किया जिसमें 10 दिन की ड्यूटी है तथा हर 4 दिन बाद एक अवकाश तो कुल ड्यूटी वही सात-आठ दिन की है जैसा कि हम कह रहे हैं हम उस रोस्टर को भी मानने को तैयार हैं। डॉक्‍टर का कहना है कि समस्या यह है कि यहां मापदंड दोहरे हैं क्वॉरेंटाइन खत्म करना है तो एम्‍स का उदाहरण दिया जाता है लेकिन ड्यूटी रोस्टर एम्‍स के हिसाब से मानने से इनकार किया जाता है। डॉक्टरों ने साफ कहा है कि हमें न तो ड्यूटी कम करनी है न ही कोई अवकाश चाहिए हम बस सात-सात दिनों दो हिस्सों में ड्यूटी करना चाहते हैं और बीच के 7 दिन नॉन कोविड अस्पताल में काम करना चाहते हैं। महामारी के वक्त हम तो 1 दिन भी घर नहीं बैठना चाहते। एम्स से भी बेहतर सेवाएं मरीजों को देना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि यहां यह भी समझना जरूरी है कि केजीएमयू से संजय गांधी पीजीआई की तुलना नहीं की जा सकती क्योंकि वहां सीनियर रेजिडेंट, जूनियर रेजिडेंट तथा इंटर्न मिलाकर कुल डॉक्‍टर्स की संख्या पीजीआई से चार-पांच गुना अधिक है।