-मिथ है कि ‘मुख्यमंत्री के रूप में नोएडा का दौरा करने वाले की चली जाती है कुर्सी, नहीं होती है सत्ता में वापसी’
-योगी आदित्यनाथ की अपने कार्यकाल में दर्जनों बार नोएडा का दौरा करने के बाद भी हो रही सत्ता में शानदार वापसी
सेहत टाइम्स
लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी ने विधान सभा चुनाव में अपने जोरदार प्रदर्शन के साथ सत्ता का एक कार्यकाल पूरा करने के बाद अगले कार्यकाल के लिए सत्ता को बरकरार रखा है। ऐसा पहली बार हुआ है जब कोई एक ही मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सरकार ने अपना एक कार्यकाल पूरा किया और फिर सत्ता में वापसी की हो। यही नहीं योगी आदित्यनाथ ने नोएडा को लेकर राजनीतिक नेताओं के मन में घर कर चुके उस मिथक को भी तोड़ दिया है जिसमें कहा जाता है कि जो मुख्यमंत्री नोएडा का दौरा कर लेता है वह वापस सत्ता में नहीं आ पाता है। योगी आदित्यनाथ ने अपने पहले कार्यकाल में एक नहीं कई बार नोएडा का दौरा किया, और अब पुन: सत्ता में शानदार वापसी करते हुए उत्तर प्रदेश में इतिहास रच दिया है। जब नोएडा का दौरा करने की बारी आयी तो योगी आदित्यनाथ ने जानबूझकर नोएडा का दौरा किया, उन्हें विश्वास था कि यह सब मिथ्या बात है, और वही हुआ अंधविश्वास पर योगी आदित्यनाथ का विश्वास भारी पड़ा। योगी अब तक दर्जनों बार नोएडा का दौरा कर चुके हैं।
समाजवादी पार्टी को छोड़ दूसरी पार्टियां भाजपा के आगे दूर-दूर तक नहीं दिखायी पड़ीं। हालांकि चुनाव प्रचार में शुरुआती कैम्पेन में भाजपा पर बढ़त बनाते दिख रहे सपा मुखिया अखिलेश यादव बाद में जैसे-जैसे मतदान की तारीखें नजदीक आती गयीं, वैसे-वैसे सपा का जादू भी दम तोड़ने लग गया, जो कि रिजल्ट से साफ झलक रहा है। हालांकि इस विश्लेषण के लिखे जाने के समय तक वोटो की गिनती का काम जारी है, लेकिन अब तक प्राप्त परिणामों और रुझानों से यह साफ हो चुका है कि भाजपा शानदार तरीके से अपनी सत्ता का नया अध्याय लिखने जा रही है।
बात अगर नोएडा को लेकर फैले भ्रम के बारे में करें तो राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा होती है कि जो सीएम नोएडा आता है, उसे दोबारा सत्ता की कुर्सी नहीं मिलती है। योगी ने टाइम्स नाउ नवभारत के कार्यक्रम में उस मिथक को भी तोड़ने की बात कही थी, जो यूपी में 1985 से बदला नहीं है। योगी ने कहा था कि मैं कमबैक करूंगा, मैं उस रिकॉर्ड को तोड़ूंगा.’ पिछले 37 साल से उत्तर प्रदेश में कोई भी नेता लगातार दो बार सीएम पद पर नहीं रह सका है।
इसी के साथ ही 1988 से यह भी मिथक बना हुआ है कि जो भी मुख्यमंत्री नोएडा आता है उसकी कुर्सी चली जाती है, वह सत्ता की कुर्सी पर दोबारा नहीं बैठ सकता। ऐसा पहली बार तब हुआ था जब 1988 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह नोएडा आये और अगला चुनाव हार गये थे, इसके बाद नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री बने 1989 में नोएडा आये और कुछ समय बाद उनकी कुर्सी चली गयी।
यह सिलसिला यहीं नहीं रुगा इसके बाद भाजपा के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और सपा के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के साथ भी ऐसा ही हुआ कि वे नोएडा आए और अपनी सीएम की कुर्सी गवां बैठे। इसके बाद से इस मिथक ने जन्म लिया और इसी का नतीजा था कि मायावती और अखिलेख यादव भी सीएम रहते नोएडा नहीं आये। इस मिथक ने राज्य के मुख्यमंत्रियों के बीच एक खौफ पैदा कर दिया था। वर्ष 2000 की एक घटना ने इसे और पुख्ता कर दिया था। उस वक्त राजनाथ सिंह यूपी के मुख्यमंत्री थे, वह डीएनडी फ्लाई ओवर उद्घाटन करना चाहते थे, लेकिन नोएडा नहीं आना चाहते थे। उन्होंने नोएडा की जगह दिल्ली से ही उद्घाटन कर दिया था। हालांकि नोएडा नहीं आए फिर भी उनकी कुर्सी चली गई थी। इसके बाद 2011 में मायावती ने नोएडा आने की हिम्मत की और 2012 के चुनाव में वह हार गईं। वहीं सीएम बनने के बाद योगी आदित्यनाथ कालकाजी मेट्रो लाइन के उद्घाटन के मौके पर नोएडा आए, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योगी के आने को लेकर तारीफ भी की थी। उन्होंने नोएडा में मेट्रो के उद्घाटन के अलावा कई अन्य परियोजनाओं की शुरुआत की। जनवरी में उन्होंने गौतमबुद्ध नगर पहुंचकर कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा भी की थी।