-खेल के दौरान लगी हल्की अंदरूनी चोटों को ठीक करने के लिए नयी-नयी थेरेपी बतायीं
-यूपी चैप्टर ऑफ प्रोस्थेटिक एंड ऑर्थोटिक ने आयोजित की दो दिवसीय सतत पुनर्वास शिक्षा
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। वरचुअल थेरेपी, प्लाज्मा रिच प्रोटीन थेरेपी, ऑफलोडिंग ब्रेस थेरेपी, ड्राई नीडिलिंग थेरेपी, टेपिंग टेक्निक थैरेपी जैसे उपचार से खेल खेलने के दौरान लगी लेवल-1 की चोटों को शीघ्र ठीक करके खिलाड़ी को फिर से खेलने के लिए तैयार करने के बारे में दिये गये महत्वपूर्ण व्याख्यानों के साथ यूपी चैप्टर ऑफ प्रोस्थेटिक एंड ऑर्थोटिक द्वारा दो दिवसीय सतत पुनर्वास शिक्षा (सीआरई) कार्यक्रम सम्पन्न हो गया।
सीआरई के आयोजन सचिव व यूपी चैप्टर ऑफ प्रोस्थेटिक एंड ऑर्थोटिक के सचिव अरविन्द निगम और डीपीएमआर की कार्यशाला की प्रॉस्थेटिक इंचार्ज शगुन सिंह ने सीआरई के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि खेलों के दौरान लगने वाली चोटों के मैनेजमेंट को लेकर दो दिनों तक फलदायक चर्चा हुई। यूपी चैप्टर ऑफ प्रोस्थेटिक एंड ऑर्थोटिक द्वारा दो दिवसीय सतत पुनर्वास शिक्षा (सीआरई) में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को स्पोर्ट्स इंजरी के शीघ्र उपचार के बारे में अनेक जानकारियां मिलीं।
शगुन सिंह ने बताया कि खेल के दौरान कई बार इंजरी हो जाती है, इसमें अगर इंजरी पहले स्टेज की है तो उसका इलाज अनेक प्रकार की थेरेपी से किया जा सकता है। इनमें एक है वर्चुअल थेरेपी। इस थेरेपी से इलाज करने में मरीज को एक गॉगेल्स लगा दिया है, यह गॉगल कम्प्यूटर जेनरेटेड माहौल पैदा करता है, जो मरीज को उस माहौल में खुद के होने का अहसास कराता है। इसका उद्देश्य खेल-खेल में बिना किसी टेंशन के मरीज से एक्सरसाइज कराना होता है। इसमें मरीज को अपने आसपास ऐसे माहौल का अहसास होता है कि जैसे वह स्वयं उस माहौल में मौजूद हो, इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि जैसे वीडियो गेम खेला जाता है, जिसमें खेलने वाला भी शामिल रहता है। उदाहरण के लिए गॉगल में मरीज देखता है कि कुछ खिलाड़ी खेल रहे हैं, तथा एक बॉल फेंकी जा रही है, उस बॉल को उसे ऊपर हाथ करके पकड़ना है, तो ऐसे में गॉगल लगाये हुआ मरीज उस बॉल को पकड़ने के लिए अपने हाथों को ऊपर उठाता है। इसी प्रकार की कई अन्य गतिविधियां मरीज करता रहता है, खेल-खेल में की गयी इन गतिविधियों के चलते उसे एक्सरसाइज एक बोझ नहीं लगती है, उसे करने की ऊब नहीं होती है, और एक्सरसाइज हो भी जाती है।
इसी प्रकार एक होती है प्लाज्मा रिच प्रोटीन थेरेपी। इससे इलाज की खासियत यह है कि जो अचानक से लगी चोट जिसमें लिगामेंट टूट गये हों, साधारण अवस्था में 15 दिन में ठीक होती है, इस थेरेपी से उपचार से इंजेक्शन से प्रोटीन रिच प्लाज्मा देते ही आराम मिलने लगता है। इस थेरेपी में ब्लड लेकर मशीन के अंदर सेंटर फ्यूज कर दिया जाता है जब उसे घुमाते हैं तो उसमें तीन लेयर बन जाती है, सबसे गाढ़ी, उसके ऊपर कम गाढ़ी तथा सबसे ऊपर पतली, बीच वाली जो लेअर होती है वह प्लाज्मा रिच प्रोटीन की लेयर होती है, इसे इंजेक्शन के जरिये लेकर चोट लगने वाली जगह लगा दिया जाता है, तो वह ब्लड वेसेल्स को खोल देता है। यह थेरेपी यहां केजीएमयू के डीपीएमआर में शुरू कर दी गयी है, इसका फायदा ऑर्थराइटिस के मरीजों में भी होता है।
शगुन सिंह ने बताया कि इसी प्रकार एक होती है ऑफ लोडिंग ब्रेस थेरेपी इसमें एक विशेष प्रकार की ब्रेस बनाकर मरीज की चोट वाली जगह पर पहना दिया जाता है, इससे वह जल्दी ठीक होता है, क्योंकि माना जाता है कि खिलाड़ी को ज्यादा रेस्ट नहीं देना है, अगर ज्यादा रेस्ट दे दिया तो वह दोबारा उस तरह से नहीं खेल पायेगा। यह थेरेपी भी यहां डीपीएमआर में उपलब्ध है।
उन्होंने बताया कि एक होती है ड्राई नीडिलिंग टेक्नीक, यह थेरेपी मसल्स टाइट होने पर प्रयोग की जाती है, इससे उपचार दर्द को खत्म करता है। जैसे शरीर का हिस्सा खिंच जाने से लगी चोट से वहां का एरिया टाइट हो जाता है, नीडिलिंग टेक्निक थेरेपी में मोनोफिलामेंट की पतली सी सुई मसल्स के ट्रिगर प्वॉइंट में डाली जाती है, जिससे वहां जमा केमिकल रिलीज हो जाता है और दर्द ठीक हो जाता है।
इसी प्रकार एक होती है टेपिंग थेरेपी, इसमें पीला, लाल, हरा और नीला बैंड चोट वाली जगह पर लगा दिया जाता है, ये टेप चोट वाली जगह को फिक्स कर देते हैं, वर्ना पहले यह होता था कि एक उंगली में चोट लगी तो उस जगह को फिक्स करने के लिए पूरी हथेली में ही प्लास्टर लगाना पड़ता था।
अरविन्द निगम ने बताया कि दो दिनों तक चली सीआरई में डॉ आशीष और डॉ आरएन श्रीवास्तव ने इंजरी के हिसाब से उपचार तय करने के बारे में बताया था, यानी जिस स्तर की चोट हो उसका इलाज उसी प्रकार से करें। ओवर ट्रीटमेंट और लेस ट्रीटमेंट न करें। इस कार्यक्रम का उद्घाटन एम्स पटना के पूर्व फाउंडर डायरेक्टर एवं केजीएमयू के पूर्व विभागाध्यक्ष ऑर्थोपेडिक प्रोफेसर जी के सिंह द्वारा किया गया था। विशिष्ट अतिथि के रूप में आर सी आई के जोनल सदस्य डॉक्टर अखिलेन्द्र यादव एवं लिम्ब सेंटर के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अनिल गुप्ता थे। इस अवसर पर यूपी चैप्टर के प्रेजिडेंट गिरीश गुप्ता, ओपाई इंडिया के ई सी सेंट्रल मेंबर अजीत सिंह सहित ओपाई यूपी चैप्टर के पदाधिकारी सत्यवान मिश्रा, जयवीर सिंह, बिरेंद्रप्रसाद, शगुन सिंह, कुलदीप सिंह, धनेस्वर डे आदि विशेष रूप से उपस्थित रहे। इस शिक्षा कार्यक्रम में उत्तरप्रदेश सहित भारत के अन्य शहरों से 50 से अधिक ऑर्थोटिक्स प्रोस्थेटिक्स विशेषज्ञों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन अजीत सिंह द्वारा किया गया।