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क्‍या करें अगर बदलते मौसम की चपेट में आकर हो जायें बीमार

अपने लेख के जरिये वरिष्‍ठ होम्‍योपैथिक चिकित्‍सक डॉ अनुरुद्ध वर्मा बता रहे हैं उपाय

मौसम लगातार करवट बदल रहा है जहां दिन में तेज धूप और गर्मी होती है वहीं पर रात में हल्की ठंडक। मौसम का लगातार बदलता मिजाज सेहत के लिए अनेक परेशानियां उत्पन्न कर रहा है। इस मौसम में अस्पतालों में भीड़ बढ़ जाती है। इस बदलते मौसम में ज्यादातार लोग वायरल फीवर, फ्लू, जुकाम, सर्दी, खांसी, गले में खराश की शिकायत करते हैं, परन्तु यदि हम थोड़ी सी सावधानी रखें, खाने पीने पर नियंत्रण रखें तथा होम्यापैथिक दवाइयों का प्रयोग करे तो इन बीमारियों से आसानी से बचा जा सकता है।

 

डॉ अनुरुद्ध वर्मा

बरसात के बाद जब जाड़ा शुरू हो रहा होता है और वातावरण में नमी रहती है तथा तापक्रम घटता बढ़ता रहता है दिन में गर्मी एवं रात में ठंडक होती है यह मौसम वायरस एवं जीवाणु के फैलने के लिए बहुत ही मुफीद रहता है। इस मौसम में ज्यादातर लोग वायरल फीवर की शिकायत करते हैं इसमें तेज बुखार, आंख से पानी, आंखें लाल, शरीर में दर्द (ऐंठन) कमजोरी, कब्ज या दस्त, चक्कर आना, कभी कभी मिचली के साथ उल्टी के भी लक्षण हो सकते है तथा कंपकंपी के साथ बुखार का बढ़ना आदि लक्षण होते हैं सामान्यतः यह बुखार तीन से सात दिन में ठीक हो जाता है, परन्तु कभी-कभी यह ज्यादा दिन तक भी चल सकता है। इस बुखार से बचाव के लिये आवश्यक है कि साफ सफाई रखें तथा रोगी के सीधे सम्पर्क से बचें। रोगी को हवादार कमरे में रखे, सुपाच्य भोजन दें, यदि बुखार ज्यादा हो साधारण साफ पानी से पट्टी करें।

 

वायरल बुखार के उपचार जहां एलोपैथिक दवाइयां अपनी असमर्थता जाहिर कर देती है वही होम्योपैथिक दवाईयां दूरी तरह रोगी को ठीक कर देती हैं। वायरल फीवर में जल्सीमियम, डत्कामारा, इपीटोरियम फर्क, बेलाडोना, यूफ्रेशिया, एलियम सिपा, एकोनाइट आदि दवाईयां बहुत ही लाभदायक हैं। सुबह-शाम तापमान में गिरावट के कारण श्वसनतंत्र में प्रदूषित कण प्रवेश कर जाते है जिससे दमा एवं सीओपीडी की समस्या बढ़ सकती है। सुबह शाम पारे का उतार चढ़ाव दमा एवं हृदय रोगियों के लिये भी नुकसान दायक हो सकता है इसलिये इस मौसम में ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है।

 

इस बदलते मौसम में फ्लू जुकाम और सर्दी-खासी की शिकायत भी बहुत होती है जोकि जीवाणु एवं विषाणुओं द्वारा ऊपरी श्वसन तन्त्र में संक्रमण के कारण होती है जिसके कारण वायरल फीवर से मिलते जुलते लक्षणों के साथ-साथ आंख व नाक से पानी आना, आंखों में जलन एवं छींके आना शामिल हैं। इससे बचाव के लिये इन्फ्लुइंजिनम 200 की तीन खुराक लेकर फ्लू एवं सर्दी जुकाम से बचा जा सकता है साथ ही इसके उपचार में लक्षणों के आधार पर वायरल फीवर की दवाइयां ही फायदा करती है। इस मौसम में होने वाली खांसी में बेलाडोना, ब्रायोनिया, कास्टिकम, पल्सेटिला, जस्टीसिया, हिपर सल्फ आदि दवाइयां काफी फायदेमंद है। जब इस मौसम में खासी का प्रकोप हो तो दवाइयों के साथ-साथ गुनगुने पानी से गलारा करें ठण्डी चीजों जैसे- आइसक्रीम, फ्रीज के ठण्डे पानी, शीतल पेय से बचना चाहिए

 

इसके अतिरिक्त इस मौसम में गले में खराश भी बहुत ज्यादा हो सकती है। इसके लिये बेलोडोना, फाइटोलक्का एवं कास्टिकम आदि दवाइयां भी लाभदायक हैं। साथ ही साथ ठण्डी तली भुनी चीजो तथा ज्यादा तेज आवाज में बोलने से बचना चाहिए। इस मौसम मे कमजोरी, थकान, हाथ-पैरौ में दर्द, आलसपन आदि की शिकायत भी रहती है ऐसे में सुपाच्य भोजन लेना चाहिए तथा आराम करना चाहिए। इस बदलते मौसम में सुबह शाम निकलते समय हल्के कपड़े न पहने। पूरी रात एसी न चलाये, बाइक पर चलते समय हेलमेट जरूर लगाये जिससे ठण्डी हवा से बचाव हो सके। सम्भव हो तो गुनगुना पानी ही पीयें। इस मौसम में सावधानियों के बावजूद भी यदि आपकी सेहत नासाज हो जाये तो आराम करें एवं सावधानियां बरते। इस मौसम में होने वाली बीमारियों के उपचार में होम्योपैथिक दवाईयों कारगर है वह भी बिना किसी साइडइफेक्ट के परन्तु ध्यान रहे कि होम्योपैथिक दवाइयां का सेवन केवल प्रशिक्षित चिकित्सक की सलाह से ही प्रयोग करें।