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लिवर रोगों के अत्‍याधुनिक इलाज वाला यूपी का प्रथम हेपेटोलॉजी विभाग संजय गांधी पीजीआई में

-हेपेटोलॉजी विभाग का उद्घाटन 16 फरवरी को, 19 से शुरू होगी ओपीडी

-सुलभ और सस्‍ते लिवर प्रत्‍यारोपण की सुविधा प्रदान करना पहला लक्ष्‍य

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। संजय गांधी पीजीआई में लिवर के गंभीर रोगियों के लिए पूर्ण स‍मर्पित हेपेटोलॉजी विभाग की शुरुआत होने जा रही है। यह उत्‍तर प्रदेश का प्रथम हेपेटोलॉजी विभाग होगा। लिवर सम्‍बन्‍धी अनेक सुविधाओं से युक्‍त इस विभाग की कमान संस्‍थान के निदेशक प्रो आरके धीमन के हाथों में होगी, प्रो धीमन की विशेषज्ञता लिवर प्रत्‍यारोपण में ही है। 16 फरवरी को संस्थान के निदेशक डॉ आर के धीमन के नेतृत्व में हेपेटोलॉजी विभाग की सेवाएं आरंभ की जाएंगी तथा 19 फरवरी से विभाग की ओपीडी सेवायें शुरू हो जायेंगी।

विभाग का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा, वित्त और संसदीय मामलों के मंत्री सुरेश खन्ना द्वारा किया जाएगा।  मोहनलालगंज क्षेत्र से सांसद कौशल किशोर, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वाति सिंह, मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी व प्रमुख सचिव,  चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार भी कार्यक्रम में सहभागिता कर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे। प्रोफेसर शिव कुमार सरीन निदेशक, आई एल बी एस, नई दिल्ली गेस्ट ऑफ ऑनर होंगे जो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा ‘Hepatology in Uttar Pradesh: Need of the hour’ विषय पर  उपस्थित सदस्यो को  संबोधित करेंगे।

संस्‍थान की ओर से दी गयी जानकारी में कहा गया है कि भारत में व समस्त विश्व में स्वास्थ्य व्यवस्था के समक्ष लिवर संबंधी रोगों ने सदा चुनौतियां प्रस्तुत की हैं। संजय गांधी पीजीआई में लिवर संबंधी रोगों के निदान व उपचार के लिए एक पूर्ण समर्पित विभाग की आवश्यकता थी जिसे 91वीं शासकीय निकाय द्वारा 16 और 17 अप्रैल 2020 को स्वीकृति प्रदान की गई। अब इसे मूर्त रूप देने का समय आ गया है। संस्थान में आने वाले लिवर के रोगियों को उत्कृष्ट संपूर्ण चिकित्सा सेवा प्रदान करना ही हमारा लक्ष्य है। विभाग की सबसे पहली प्राथमिकता गंभीर रूप से बीमार लिवर के रोगियों को सर्वथा सुलभ और सस्ती प्रत्यारोपण सुविधाएं प्रदान करने के लिए एक लिवर प्रत्यारोपण (जीवित और मृत प्रदाता दोनों) कार्यक्रम का निर्माण करना है।

बताया गया है कि हेपेटोलॉजी विभाग संस्थान के लिवर प्रत्यारोपण इकाई के एक भाग के रूप में कार्य करेगा। गंभीर रूप से बीमार लिवर रोगियों के लिए विभाग एक समर्पित लिवर आईसीयू की स्थापना का भी लक्ष्य है, जिसमें सभी प्रकार की आधुनिक सुविधाएं होगी। विभाग में अन्य सेवाएं जैसे एल्ब्यूमिन वार्ड, एडवांस्ड लिवर डायरेक्टेड एंडोस्कोपी, हेपेटिक हीमोडायनेमिक लैबोरेट्री इत्यादि सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी। हेपेटोलॉजी में सक्रिय शोध के क्षेत्र में विभाग लिवर जनरेशन थेरेपी, स्टूल बैंक सुविधाएं, मेटाबॉलोमिक विश्लेषण और फीकल प्रत्यारोपण इत्यादि भी प्रारंभ करेगा। साथ ही शैक्षणिक कोर्स में डी एम हेपेटालाजी और ट्रांसप्लांट हेपेटालाजी में फेलोशिप भी प्रारंभ करने की योजना है।

बताया गया है कि बहुत शीघ्र ही मरीजों की भर्ती के लिए वार्ड की सेवाएं भी प्रारंभ की जायेंगी और इस दिशा में एक टीम के रूप में कार्य करने के लिए संकाय सदस्यों की नियुक्ति होगी। एक पूर्ण समर्पित प्रथम हेपेटोलॉजी विभाग की स्थापना इस प्रतिष्ठित संस्थान के इतिहास में एक उल्लेखनीय उपलब्धि होगी।