मृतकों की संख्या को लेकर पेंच फंसा
आग की घटना से प्रभावित होने के बाद मृतकों की संख्या को लेकर पेंच फंस गया है। केजीएमयू प्रशासन शनिवार शाम रिकॉर्डों में दर्ज मौतों की वजह आग स्वीकार नहीं कर रहा है, जबकि मुख्यमंत्री और मंडलायुक्त स्वयं ने छह मौतें स्वीकार करते हुए मुआवजे की घोषणा की है। इतना ही नही, बलरामपुर अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंचने से पहले दो मरीजों ने दम तोड़ दिया, ब्रॉड डेड मृतकों में काकोरी निवासी रईस का 25 वर्षीय पुत्र बौना था, रईस ने बताया कि सडक़ दुर्घटना के बाद ट्रॉमा सेंटर पहुंचे तो वहां बाहर से लौटा दिया था। रात 7.50 बजे बलरामपुर अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टरों ने बताया कि बौना दम तोड़ चुका है, जबकि ट्रॉमा सेंटर में सांस चल रही थी। इसी प्रकार दूसरी मौत आठ बजे पहुंचे 40 वर्षीय अरविंद कुमार गौतम की हो चुकी थी, आलमनगर निवासी अरविंद को भी एक्सीडेंट के बाद गंभीर हालत में ट्रॉमा लाया गया था, जहां से बलरामपुर जाने को कह दिया गया था।
बलरामपुर व सिविल अस्पताल इमरजेंसी पर लोड बढ़ा
शनिवार की शाम ट्रॉमा में आग की घटना होते ही, बलरामपुर व सिविल अस्पताल की इमरजेंसी पर लोड बढ़ गया। ट्रॉमा पहुंचने वाले मरीजों को गेट से ही लौटाया जा रहा था, लिहाजा बलरामपुर अस्पताल की इमरजेंसी में पूरी रात में 20 गंभीर मरीजों को भर्ती किया गया। भर्ती होने वालों में राजा राम पांडेय, गुडडू सोनकर, मुजीब अहमद, बेबी ऑफ किरन, अनिल कटारा, गुडडू गंभीर हालत में भर्ती हैं। जबकि अमूमन रोजाना सात से आठ मरीजों की भर्ती होती है। यही हाल सिविल अस्पताल का रहा, यहां भी मरीजों की संख्या बढ़ गई। इतना ही नहीं, ट्रॉमा की घटना का फायदा प्राइवेट नर्सिंग होम को भी मिला, निजी अस्पतालों की शरण में जाना मरीजों की मजबूरी हो गई थी।
मरीजों को वापस बुलाएगा केजीएमयू
केजीएमयू के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ.एसएन संखवार का कहना है कि जिन मरीजों को शनिवार को दूसरे अस्पतालों में रेफर किया गया है, उन्हें 48 घंटे बाद स्थिति सामान्य होते ही दोबारा बुला लिया जायेगा। सभी का नि:शुल्क इलाज किया जायेगा। उन्हेांने बताया कि अधिकांश मरीज बलरामपुर अस्पताल गये हुये हैं।