-राजकीय नेशनल होम्योपैथिक चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में मनाया गया विश्व पर्यावरण दिवस
सेहत टाइम्स
लखनऊ। “वृक्ष केवल प्रकृति की शोभा नहीं, बल्कि जीवन की आवश्यकता हैं। प्रत्येक व्यक्ति यदि एक वृक्ष अपनी माता के नाम पर रोपित करे, तो हम न केवल पर्यावरण की रक्षा करेंगे, बल्कि भावनात्मक रूप से प्रकृति से जुड़़ भी पाएंगे। यह कार्य एक सामाजिक और नैतिक उत्तरदायित्व भी है।”
ये विचार विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर राजकीय नेशनल होम्योपैथिक चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल, गोमतीनगर, लखनऊ में आयोजित भव्य कार्यक्रम में प्राचार्य प्रो. (डॉ.) विजय कुमार पुष्कर ने अपने उद्बोधन में व्यक्त किये।


कार्यक्रम का शुभारंभ प्रातः 10:30 बजे महाविद्यालय परिसर स्थित हर्बल गार्डन में वृक्षारोपण से हुआ। इस अवसर पर महाविद्यालय के शैक्षणिक स्टाफ एवं छात्र-छात्राओं द्वारा पर्यावरण संरक्षण की प्रतिबद्धता के प्रतीकस्वरूप लगभग 25 औषधीय एवं छायादार पौधों का रोपण किया गया। सभी प्रतिभागियों ने यह संकल्प लिया कि लगाए गए पौधों की देखभाल वे व्यक्तिगत उत्तरदायित्व के रूप में करेंगे।
वृक्षारोपण कार्यक्रम में महाविद्यालय के वरिष्ठ संकाय सदस्यों प्रो. (डॉ.) डी.के. सोनकर, प्रो. (डॉ.) वी.पी. वर्मा, प्रो. (डॉ.) अमित नायक, प्रो. (डॉ.) अनिरुद्ध कुमार, प्रोफेसर (डॉ.) अर्चना कुमारी, डॉ. नूतन शर्मा एवं डॉ. राजकुमार कश्यप ने सक्रिय भागीदारी की। कार्यक्रम में समस्त शैक्षणिक, चिकित्सकीय एवं प्रशासनिक स्टाफ सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति रही।
वृक्षारोपण के उपरांत महाविद्यालय के सभागार में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें पर्यावरण जागरुकता को केंद्र में रखते हुए विविध विषयों पर सारगर्भित वक्तव्य प्रस्तुत किए गए। संगोष्ठी में वक्ताओं ने पर्यावरणीय संकट, जैव विविधता संरक्षण, पारिस्थितिक संतुलन एवं प्राकृतिक चिकित्सा के परिप्रेक्ष्य में पौधों की महत्ता पर प्रकाश डाला। शिक्षकों ने यह भी स्पष्ट किया कि होम्योपैथिक चिकित्सा में प्रयुक्त अनेक औषधियाँ प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित हैं, अतः वृक्षों एवं वनस्पतियों का संरक्षण चिकित्सा जगत की आवश्यकता है।
कार्यक्रम का समापन “हरित प्रतिज्ञा” के साथ हुआ, जिसमें सभी प्रतिभागियों ने पर्यावरण की सुरक्षा एवं संवर्धन हेतु सतत प्रयासरत रहने की शपथ ली। यह आयोजन महाविद्यालय की पर्यावरणीय प्रतिबद्धता, सामाजिक दायित्वबोध एवं भावी पीढ़ी को हरित संदेश देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध हुआ।
