-केजीएमयू के कलाम सेंटर में आयोजित दो दिवसीय न्यूट्रीकॉन-2023 सम्पन्न
सेहत टाइम्स
लखनऊ। स्वस्थ व्यक्ति हों या रोगी पौष्टिक भोजन क्या खायें, कब खायें, कितना खायें, इस पर विस्तार से विचार-विमर्श करने के लिए यहां दो दिवसीय न्यूट्रीकॉन-2023 में महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आयी हैं। पोषण धारा एसोसिएशन के तत्वावधान में इस प्रथम अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन यहां केजीएमयू के कलाम सेंटर में 2 व 3 दिसम्बर को किया गया। इस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की आहार विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से पोषणयुक्त आहार के बारे में विस्तार से चर्चा हुई। कॉन्फ्रेंस की थीम Unlock your Brainchild with Nutrition Feast थी।
दो दिनों की कॉन्फ्रेंस में शिशु से लेकर बुजुर्गों तक की डाइट कैसी हो, आईसीयू में भर्ती मरीज को क्या पौष्टिक आहार दें, सभी पर चर्चाओं का दौर चला। वक्ताओं में प्रो आलोक रंजन, डॉ पियाली भट्टाचार्य, डॉ अफजल अजीम, प्रो निशा, डॉ शिल्पा वर्मा, शिल्पा ठाकुर, लेखा श्रीधरन, यूएसए से डॉ धारिणी कृष्णन, रचना शुक्ला, मुंबई से प्रमिका बांकेरिका, अमेरिका से मैत्रेयी पाण्डेय, डॉ युक्ता बोरा, कनाडा से डॉ अवन्तिका भंडारी आदि शामिल रहे।
जन्म के बाद से 1000 दिन गोल्डेन डेज
कॉन्फ्रेंस के पहले दिन संजय गांधी पीजीआई की पीडियाट्रीशियन डॉ पियाली भट्टाचार्य ने बताया कि शिशु के जन्म के बाद के 1000 दिन गोल्डेन डेज कहे जाते हैं, इस दौरान शिशु को किस तरह से स्तनपान कराना है, कब कितना न्यूट्रीशन देना है, साथ ही गर्भधारण करने के समय से ही गर्भवती माता को कैसा आहार देना है, जिससे गर्भवती माता और गर्भ में पलने वाले शिशु को पोषण मिलता रहे।
चुनें ऐसा पौष्टिक आहार कि बच्चा न हो मोटापे का शिकार
डॉ शिल्पा वर्मा ने बच्चों को देने वाले पोषण के चुनाव में ध्यान रखने योग्य बातों के बारे में बताते हुए कहा कि हमें यह भी देखना है कि हम अपने बच्चों को जो पोषण दे रहे हैं, उसकी मात्रा ज्यादा न हो, वर्ना बच्चों में मोटापे की शिकायत हो जाती है, स्वस्थ होने का अर्थ मोटा होना नहीं है। बच्चों को फास्ट फूड जैसी चीजों का सेवन करने से बच्चों को रोकना भी है अभी मोटापा होगा जो कि बाद में चलकर हाई बीपी, शुगर जैसी बीमारियों के होने की संभावना बढ़ जाती है। इतना ध्यान रखना होगा कि बच्चे के अंदर इस तरह के गुण पनप ही न पायें।
लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की आहार विशेषज्ञ पूनम तिवारी ने बताया कि शोध पत्र कैसे तैयार करें, अपना प्रोजेक्ट कैसे बनायें कि उस पर सरकार से मिलने वाला फंड स्वीकृत होने में आसानी हो। कॉन्फ्रेंस में श्रीअन्न मिलेट (मोटे अनाज) पर वर्कशॉप का आयोजन भी किया गया।
कॉन्फ्रेंस में पुरस्कारों से भी नवाजा गया, इनमें पोषणश्री सम्मान सुनीता सक्सेना को, बेस्ट रिसर्चर का डॉ राधिका, बेस्ट डाइटीशियन का प्रीति, बेस्ट एकेमिडिशियन डॉ खान, बेस्ट मेंटर टीएन वर्मा, बेस्ट पोस्टर उत्कर्षिनी, बेस्ट रिसर्च पेपर राइटिंग डॉ सुदीप्ति श्रीवास्तव को प्रदान किया गया। इसके अतिरिक्त पोषण धारा एसोसिएशन की ओर से कुछ फेलोशिप व स्कॉलरशिप की घोषणा की गयी।
कॉन्फ्रेंस का आयोजन करने वाली टीम में पोषण धारा एसोसिएशन के संस्थापक टीएन वर्मा, सुनीता सक्सेना, मृदुल विभा, रमा त्रिपाठी, रीता आनंद, डॉ इंदुजा, दीप्ति श्रीवास्तव व विद्याप्रिया के साथ ही डॉ हर्षिता गुप्ता, मोनिका, सुभाष यादव, रोहित, प्रीति, साइंटिफिक कमेटी में डॉ राधिका अवस्थी व कल्पना शामिल थीं। साइंटिफिक सत्रों में डॉ ऋतु सिंह, डॉ निरुपमा, डॉ शिल्पी पाण्डेय ने वैज्ञानिक सत्रों में हिस्सा लिया।