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जीवन के अंतिम क्षणों में पैलिएटिव केयर की भूमिका अतुल्य : लेफ्टिनेंट जनरल डॉ बिपिन पुरी

-केजीएमयू के रेडियोथेरेपी विभाग में 10 बिस्तरों वाला पैलिएटिव वार्ड शुरू

-उत्तर प्रदेश में पैलिएटिव केयर अभी आरंभिक अवस्था में – प्रो एम एल बी भट्ट

सेहत टाइम्स

लखनऊ। पैलिएटिव केयर रोगी के अंतिम क्षणों में दी जाने वाली विशिष्ट चिकित्सा है। इसमें कई विभागों का आपसी सामंजस्य अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस चिकित्सा की तुलना अतुलनीय है।

यह बात के जी एम यू के कुलपति जनरल डॉ बिपिन पुरी ने सोमवार को रेडियोथेरेपी विभाग में दस शैय्यायुक्त पैलिएटिव वार्ड के उद्घाटन के दौरान कही। उन्होंने कहा कि अंत काल में रोगी को शारीरिक, मानसिक, दार्शनिक एवं आध्यात्मिक चिकित्सा की आवश्यकता रहती है। ऐसे रोगियों एवं उनके तीमारदारों के प्रति चिकित्सकों एवं कर्मचारियों का व्यवहार उदार एवं करुणापूर्ण होना चाहिये। ऐसे में हम सभी का धर्म है कि इन पलों में हम उस परिवार के कष्ट जितना कम हो सकते हों, उसके लिये प्रयास करें।

रेडियोथेरेपी विभागाध्यक्ष प्रो एम एल बी भट्ट ने विभाग द्वारा प्रदत्त पैलिएटिव केयर के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि पूरे भारतवर्ष में मात्र केरल ही ऐसा राज्य है जहां यह पद्धति सर्वाधिक विकसित है। उत्तर प्रदेश में अभी इस पर बहुत कार्य करने की आवश्यकता है।

डीन मेडिसिन प्रो उमा सिंह ने बताया कि उनका विभाग विभिन्न विभागों के साथ मिलकर कैंसर रोगियों में पैलिएटिव केयर की सुविधा उपलब्ध करा रहा है।मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो एस एन संखवार ने कहा कि के जी एम यू में अधिकांश रोगी कैंसर की वृहद अवस्था मे आते हैं। गरीब रोगियों को असाध्य योजना में पंजीकृत कर चिकित्सा सेवा प्रदान की जा रही है, इसमें पैलिएटिव केयर भी सम्मिलित है।

इस मौके पर एस जी पी जी आई के रेडियोथेरेपी विभाग के प्रो नीरज रस्तोगी ने रेडियोथेरेपी से रोगी के दर्द को कम करने की विभिन्न प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी दी।डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के रेडियोथेरेपी विभाग की प्रो रोहिणी खुराना ने अपने व्याख्यान में lymphedema के उपचार के बारे में बताया।

कार्यक्रम का संचालन प्रो सीमा गुप्ता एवं डॉ सुधीर सिंह द्वारा किया गया। कार्यक्रम में प्रो अरुण चतुर्वेदी, प्रो ए के त्रिपाठी, प्रो क्षितिज श्रीवास्तव, डॉ राजेन्द्र कुमार, रेडियोथेरेपी संकाय सदस्यों एवं कैंसर के उपचार में सम्मिलित अन्य विभाग के संकाय सदस्यों द्वारा भाग लिया गया।

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