लखनऊ। हीमोफीलिया से ग्रस्त मरीजों के लिए किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्व विद्यालय एक बहुत बड़ी आशा बन कर कार्य कर रहा है। विश्व हीमोफीलिया दिवस पर आज किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्व विद्यालय में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। क्लीनिकल हेमेटोलॉजी विभाग के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्घाटन मेडिकल फैकल्टी की डीन प्रो मधुमती गोयल ने किया। कार्यकम में हीमोफीलिया के मरीजों का केजीएमयू में किये जा रहे इलाज के बारे में विभागाध्यक्ष प्रो एके त्रिपाठी ने जानकारी दी।
क्लॉटिंग फैक्टर की कमी नहीं होने देते
प्रो त्रिपाठी ने बताया कि सामान्यत: हीमोफीलिया के मरीज की जब कोई सर्जरी करनी होती है तो सबसे बड़ी दिक्कत यह आती है कि आखिर इसे किस तरह अंजाम दिया जाये, ज्ञात हो हीमोफीलिया के मरीज के रक्त में रक्त को जमाने वाले प्रोटीन जो क्लॉटिंग फैक्टर कहलाते हैं, वे बहुत कम होते हैं नतीजा यह होता है कि ब्लड बहना बंद नहीं हो पाता है। प्रो त्रिपाठी बताते हैं कि संस्थान में हम यह व्यवस्था रखते हैं कि सर्जरी के समय मरीज के रक्त में इन क्लॉटिंग फैक्टर की कमी न होने पाये। उन्होंने बताया कि नतीजा यह होता है कि मरीज की सर्जरी सफलतापूर्वक कर ली जाती है। उन्होंने बताया कि वह अब तक करीब डेढ़ दर्जन सर्जरी करा चुके हैं।
प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि हीमोफीलिया के मरीजों में अपने रोग को लेकर काफी निराशा का भाव आ जाता है ऐसे में उनका आत्मविश्वास बढ़ाना बहुत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि इस तरह की कोशिश भी हमारे विभाग द्वारा की जा रही है। उन्होंने बताया कि कम्प्रेसिव केयर सेंटर में ऐसे मरीजों में जीवन के प्रति आत्मविश्वास पैदा किया जाता है और उन्हें जागरूक किया जाता है।