-अमृतसर से आए हजूरी रागी भाई देवेंद्र सिंह व अलवर से आये डॉ हरबन सिंह
सेहत टाइम्स
लखनऊ। श्री सुखमनी साहिब सेवा सोसायटी का दो दिवसीय 51वां वार्षिक उत्सव श्री गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा नाका हिंडोला में बड़ी श्रद्धा एवं सत्कार के साथ मनाया गया। दूसरे दिन कार्यक्रम का आरंभ उपस्थित सभी श्रद्धालुओं द्वारा सामूहिक रूप से श्री सुखमनी साहिब के पाठ से किया गया। गुरुद्वारा नाका हिंडोला के हजूरी राजीव भाई राजेंद्र सिंह ने आसा दी वार का कीर्तन आरंभ किया जिसकी संपूर्णता अमृतसर से आए हजूरी रागी भाई देवेंद्र सिंह ने की। विचि करता पुरख खालोआ वाल ना विंगा होया शबद गायन ने उपस्थित लोगों को भक्ति रस में डुबोया। डॉक्टर हरबन सिंह अलवर वालों ने बताया श्री सुखमनी साहिब जी के पाठ में 24000 अक्षर है और एक स्वस्थ मानव शरीर 24 घंटों में 24000 श्वास लेता है, इसमें 21624 सीधे अक्षर हैं 2373 हलंत अक्षर है और तीन अक्षर मात्रा के मिलाकर कुल 24000 अक्षर होते हैं। कार्यक्रम में ज्ञानी सुखदेव सिंह मुख्य ग्रंथी ने श्री सुखमनी साहिब के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला माता गुजरी सत्संग सभा की महिलाओं ने भक्ति में कीर्तन गायन किया। सिमरन साधना परिवार और केकेएनएस संगीत अकैडमी के बच्चों ने सुरीले कंठ से गुरबाणी गायन कर मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रातः आसा दी वार की समाप्ति पर चाय नाश्ते का लंगर और पूरे दीवान की समाप्ति पर गुरु का अटूट लंगर बिना किसी भेदभाव के समान रूप से वितरित किया गया।
ज्ञात हो कल 1 अक्टूबर को भी सिख समाज के इतिहास में पहली बार डॉ हरबंस सिंह अलवर वाले और हुजूर राजीव भाई दविंदर सिंह श्री दरबार साहिब अमृतसर वालों के शब्द कीर्तन एवं अनमोल विचारों से श्रद्धालुओं से खचाखच भरे गुरुद्वारा नाका हिंडोला के दीवान हाल में हुआ। उपलस्थित श्रद्धालुओं ने न केवल इनका गुरबाणी गायन शबद कीर्तन सुना, विचार सुने अपितु उन्हें आत्मसात भी किया।
चेयरमैन कृपाल सिंह ऐबट ने बताया कि दो दिवसीय समागम के पहले दिन अमृतसर के हजूरी रागी भाई दविंदर सिंह ने सुखमनी सुख अमृत प्रभु का नाम भगत जाना के मन विश्राम गायन करके श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। सुखमनी साहिब सेवा सोसायटी के मुख्य सेवादार हरमिंदर सिंह मिंदी द्वारा बताया गया कि इस भक्ति में संसार की यात्रा में अलवर से आए डॉ हरबन सिंह ने पंचम गुरु श्री गुरु अर्जुन देव द्वारा रचित बणी सुखमणि साहिब की शिक्षाओं पर प्रकाश डाला। दीवान की समाप्ति पर गुरु का लंगर वितरित किया गया।