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गालों पर धब्बे, रूखी त्वचा, जीभ पर सफेदी, नाक में खुजली, आंखों में लाली भी लक्षण हैं पेट में कीड़ों के

मामूली समझकर अनदेखी न करें पेट के कीड़ों की, बन सकते हैं गंभीर समस्‍या

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

बहराइच/लखनऊ। पेट में कीड़े होना एक आम समस्या है। आमतौर पर ये बीमारी छोटे बच्चों को होती है पर बड़े भी इससे अछूते नहीं हैं। कीड़ों की समस्या यानि कृमि रोग ( worm disease) के  विषय व्यस्त जीवन में कई लोग इस समस्या को मामूली समझ कर अनदेखा कर देते हैं। और आगे चल कर यह छोटी सी बीमारी गंभीर स्वरूप ले लेती है। इसलिए आवश्‍यक है कि इसे अनदेखा न करें और उपचार करायें। घर में ही मौजूद ऐसी चीजें हैं जिनका इस्‍तेमाल करके आप कीड़ों की समस्‍या से छुटकारा पा सकते हैं।

यह जानकारी राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय, कुण्डासर,बहराइच के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ देवेश कुमार श्रीवास्‍तव ने “राष्ट्रीय कृमि दिवस” पर दी। उन्‍होंने बताया कि उदर कृमि, वायरस, बैक्टीरिया आदि की वजह से लोगो की मौत तक हो जाती है। डॉ देवेश ने बताया कि आज हर व्यक्ति परेशान है जबकि इसका निवारण घर के आस पास की गन्दगी और खुद की साफ सफाई ही जिसको अपना कर हम सभी पूर्ण रूप से स्वस्थ बने रह सकते हैं।

उन्‍होंने बताया कि हमारा शरीर काफी जटिल अवयवों से बना होता है। शरीर को तंदरुस्त रखने के लिए आयुर्वेद के तीन स्तम्भ जरूरी हैं। आहार, निद्रा, संयम सही संतुलित खान-पान, आराम, निद्रा, व्यायाम के साथ शरीर का पंचकर्म आदि द्वारा शोधन पाचन भी अत्यंत महत्वपूर्ण व जरूरी है। डॉ देवेश ने कहा कि मानव शरीर के लिए ऊर्जा का परम स्रोत भोजन होता है। खाना खाने से शरीर को एनर्जी मिलती है। और एनर्जी से शरीर के सभी अंग सुचारु रूप से कार्य कर पाते हैं। इस प्रणाली में व्यवधान आने पर शरीर कमजोर हो जाता है तभी बाह्य रोग व कृमि शरीर ने प्रवेश कर शरीर को कमजोर कर देतें हैं और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है तभी कृमि रोग यानी पेट में कीड़ों की समस्या हो सकती है। समय रहते कृमि रोग का उपचार नहीं किया तो यह सामान्य बीमारी कष्टदायक बन जाती है।

डॉ देवेश कुमार श्रीवास्‍तव
कृमि (पेट में) रोग होने के लक्षण

डॉ देवेश ने बताया कि मरीज सोते में दाँत पीसता है, पेट दर्द की समस्या रहना, मल में सफ़ेद कीड़े दिखाई देतें हैं, गालों पर धब्बे दिखतें है, त्वचा में रूखापन आ जाना, जीभ पर सफेद दिखती है, नाक में खुजली महसूस होती है, मिचली आना, भोजन में अरुचि होना, आँखों का लाल रहना, हल्का सा बुखार आना, शरीर में थकान कमज़ोरी महसूस होना आदि।

पेट में कीड़े होने का कारण

डॉ देवेश ने बताया कि घर के आसपास की गन्दगी, साफ सफाई की कमी, गन्दा पानी, बिना हाथ धोये भोजन करना, खुली चाट, पकौड़ी खाना, एक दूसरे से हाथ मिलाना- गंदे हाथों से भोजन खाना,-मक्खियों से दूषित हुआ भोजन ग्रहण करना-अशुद्ध अथवा दूषित पानी पीना,-खट्टी-मीठी वस्तुओं का अधिक सेवन,-भूख ना लगने पर खाना खाने की आदत,-रेशेदार भोजन ना करना, मैदा, -रायता, दही, कढ़ी, पिसा हुआ अन्न, -शरीर की प्रति रक्षा प्रणाली (immunity system) कमज़ोर पड़ना।

कृमि रोग होने पर बचाव सम्बंधी जानकारी बहुत जरूरी

उन्‍होंने बताया कि साफ-सफाई का बहुत ध्यान रखना, कुछ भी खाने से पहले हाथ जरूर धोयें, प्रचुर मात्रा में हरी ताजी सब्जी फलों का सेवन करें, सब्जियों को हल्दी नमक के गुनगुने पानी मे थोड़ी देर रख कर तब काटें, पानी गन्दा हो तो बाल्टी में पानी भर कर फिटकरी चलाकर छोड़ दें, एक घन्टे बाद पानी स्वच्‍छ पीने लायक हो जायेगा, पानी उबालकर ठंडा करके पीयें, खाने मे ज्यादा नमकीन, मांस, मछ्ली, बेसन के पकवान, आलू, लाल मिर्च, मूली, दूध, दही, देशी घी, अन्डा, खटाई, बासी वस्तु खाना का सेवन कम करें रात में जागना, दिन मे सोना वर्जित है।

कृमि रोग लाभदायक पथ्य क्या खायें

डॉ देवेश ने बताया कि आंवला, संतरा, अदरक का रस एवं चटनी, शहद, नींबू, मूंग, पुराने चावल, हींग, अजवायन का रस, अनन्नास का रस, सरसों का साग, राई, जीरा, लौकी, करेला, परवल, तोरई, बथुआ, कांजी, अरहर, और सेब का सेवन करने से शरीर में कृमि रोग को बढ़ने से रोकता है।

पेट के कीड़ों की समस्या दूर करने के लिये आयुर्वेदिक उपचार  

डॉ देवेश ने बताया कि विडंग चूर्ण 25 gm, 25gm सोनामक्खी,25 gm गुलकंद,10gm मुनक्का, 10gm ग्राम हरड़ की छाल,10gm ग्राम सौठ,10 शहद, इनको घोट कर कर मटर के दाने बराबर गोलि‍यां बनाकर बच्चों-बड़ों को एक गोली से लेकर चार गोली दूध के साथ सुबह-शाम खिलाएं, कीड़ों से निजात मिलेगी, समान मात्रा में गुड़ और लहसुन खिलाएं, लहसुन की चटनी खायें, अरंड के पत्तों का रस से गुड़ और अजवाइन मिला कर खायें, कीड़े मर जायेंगे, अजवायन, हींग और काला नमक का चूर्ण मूली के रस पीने से भी कीड़े मर जायेंगे, नीम की छाल का काढ़ा, तुलसी का रस व चिरायता डाल कर पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।

अरण्ड के पत्तों का रस निकालें, फिर उस रस में थोड़ी हींग मिश्रित करें, इस प्रयोग से पेट के कीड़े मर जाते हैं और मल द्वार से बाहर आ जाते हैं।

चीनी, नमक आधा चम्मच और कली का चूना -2 ग्राम ले लीजिये, और एक गिलास पानी में डालकर 4 चम्मच पानी पीयें, कुछ दिन लेने से कृमि रोग दूर होगा।

जैतून का तेल और तेजपात समान मात्रा में ले कर इसे मिला लेने से और इस मिश्रित तेल को गुदा द्वार पर लगा लेने से कृमि रोग में राहत मिलती है। प्याज के रस में एक ग्राम सेंधा नमक पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। प्याज का रस, शहद के साथ मिला कर पीने से भी कृमि रोग में लाभ होगा।

पुदीने के साथ 1 ग्राम काली मिर्च के चूरन को छाछ के साथ पी लें। इस प्रयोग को एक हफ्ते तक लगातार करने से पेट में उपस्थित कृमि नष्ट हो जाते हैं।

गुड़ और लहसुन समान मात्रा में ले कर खा लेने से पेट के कीड़े मरते हैं। छाछ में लहसुन के रस की कुछ बूंदें मिला कर पीने से इस रोग में राहत हो जाती है। यह प्रयोग दिन में दो से तीन बार करें।

एक सप्ताह तक आंवले का रस दिन में तीन बार पीने से पेट के कीड़े दूर हो जाते हैं।

बथुआ को गरम पानी में उबाल कर उसका रस निकाल कर पीने से पेट के कीड़े नाश होते हैं।

तुलसी के पत्तों का काढ़ा बना कर पीने से कृमि मर जाते हैं। बच्चों के कृमि रोग इस उपाय से तुरंत दूर हो जाते हैं।

कुछ समय तक कच्चे केले की सब्जी बना कर खाने से कृमि रोग मिट जाता है।

कद्दू के रस को रोज़ाना पीने से पेट के कीड़े खत्म होते हैं।

शहद के साथ काले ज़ीरे का चूर्ण लेने से पेट के कीड़े साफ होते हैं।

खाली पेट गाजर का रस पीने से कृमि रोग दूर होता है। कुछ दिन तक कच्चे गाजर खाने से भी पेट के कीड़े मर जाते हैं।

चुटकी भर नमक डाल कर एक गिलास पानी पीने से भी पेट के कीड़े मरते हैं। और मल द्वार से बाहर निकल जाते हैं।

बिजौरा नींबू के सूखे छिलकों का काढ़ा पीने से भी कृमि रोग दूर होता हैं

पोदीने का रस पीने से कृमि मर जाते हैं। नींबू और पुदीने का रस मिला कर पीने से अधिक लाभ होता है।

नीम, हल्दी तथा त्रिफला तीनों को समान मात्रा में ले कर मिला लें और फिर इस चूरन का सेवन करें इस चूरन के सेवन से तो कृमि रोग और कुष्ट रोग भी दूर हो जाता है।

मसूर की दाल नियमित खाने से पेट के कीड़ों की समस्या नहीं होती है।

चमेली के पत्तों को पीस कर उसका रस निकाल कर उसे पीने से कृमि मर जाते हैं।

कच्चे आम की गुठलि‍यों का चूरन बना कर उस चूरन को दिन में दो बार ग्रहण करने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।

गाय के दूध से जमाये दही से बनी छाछ में नमक डाल कर पीने से कृमि नष्ट होते हैं।

गुड़ में अजवायन घी में भुनी हींग का बारीक चूर्ण मिला कर उस का सेवन करने से पेट के कीड़े दूर होते हैं।

नीम की छाल का काढ़ा, चिरायता, तुलसी का रस, तथा नीम का तेल मिला कर पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं और कृमि रोग से उत्पन्न हुए दर्द में भी राहत मिलती है।

संतरे का रस दिन में दो से तीन बार पीने से पेट के कीड़े मरते हैं।

अरण्ड के तेल के साथ भांगरे का पिसा हुआ चूर्ण लेने पर भी पेट के कीड़े दूर होते हैं।

मूली खाने से भी पेट के कीड़े मर जाते हैं।

आड़ू के पत्तों को बारीक पीस कर उसमें थोड़ी सी हींग मिला कर उसका सेवन करने से भी कृमि रोग दूर होगा।

गिलोय के चूर्ण में अश्वगंधा का चूर्ण मिश्रित कर के उसे शहद के साथ लेने से पेट के कीड़े मरते हैं और कृमि रोग के के कारण उत्पन्न हुए पेट दर्द से मे राहत मिलती है

डॉ देवेश ने बताया कि आयर्वेदिक उपचार के साइड इफ़ेक्ट्स नहीं होते हैं, पर फिर भी एक बार किसी आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह लेने के बाद ही उपचार करना चाहिए। आयुर्वेदिक उपचार से यह समस्या एक-आध हफ्ते में दूर ना हो पाये तो चिकित्‍सक के पास जाना ही उचित विकल्प है।