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कंप्यूटर की गोपनीयता व उसके सुचारु संचालन पर मनोयोग से कार्य कर रही भारत की बेटी शुभि जैन

-पिता डॉ विनोद जैन की इच्छा थी बेटी चुने मेडिकल प्रोफेशन, लेकिन बेटी के दिमाग में चल रहा था कम्प्यूटर साइंस

-अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ़ इलिनॉयस अरबना शैम्पेन के दीक्षांत समारोह में हासिल की मास्टर डिग्री

सेहत टाइम्स

लखनऊ। आज मैं जिस मुकाम पर हूं, इसका श्रेय मेरे परिवार को जाता है। मेरे पापा जिनकी इच्छा तो थी कि मैं उनकी तरह डॉक्टर बनूं, लेकिन मेरा रुझान कंप्यूटर क्षेत्र की तरफ होने के कारण उन्होंने मेरी ख़ुशी में ही अपनी ख़ुशी मानते हुए मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। सच कहूं तो मैं भी सोचती थी कि मेरी जिस इच्छा को पूरा करने के लिए पापा ने अपनी इच्छा को दबा दिया, उसमें मैं इतना कुछ कर सकूं कि मुझे अपने फैसले पर गर्व हो सके साथ ही पापा भी कहें कि शाबाश, तुमने मुझे निराश नहीं किया।

ये उद्गार हैं यूएसए के सिलिकॉन वैली स्थित कम्पनी में कार्य करने वाली सॉफ्टवेयर इंजीनियर शुभि जैन के, जो उन्होंने कम्प्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री हासिल करने के बाद व्यक्त किये, शुभि को यह डिग्री अमेरिका के इलिनॉयस में यूनिवर्सिटी ऑफ़ इलिनॉयस अरबना शैम्पेन (UIUC ) में आयोजित एक भव्य दीक्षांत समारोह में प्रदान की गयी। वो कहती है कि आने वाला समय कंप्यूटर का है, कंप्यूटर का उपयोग प्राइवेट के साथ साथ सरकारी संस्थानों में भी होता है।

किसी भी देश के रक्षा एवं गृह विभाग में तो इसका विशेष महत्व एवं इसकी विशेष संवेदनशीलता है। वो चाहती है कि सभी कंप्यूटर सुचारु रूप से चलें और पूर्णतया सुरक्षित रहे ताकि उसमें संग्रहित समस्त जानकारी की गोपनीयता बनी रहे। इसी उद्देश्य को प्राप्त करने में वे पूरी निष्ठा से काम कर रही है भारत में भी इस प्रकार की तकनीक की अत्यंत आवश्यकता है यदि उनके काम से उनका देश सुरक्षित रहेगा तो उन्हें अत्यंत संतोष प्राप्त होगा।

आपको बता दें कि शुभि किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के सेवानिवृत्त प्रोफ़ेसर ऑफ़ सर्जरी डॉ विनोद जैन की सुपुत्री हैं। बेटी की सफलता से अभिभूत डॉ विनोद जैन भी पत्नी शिक्ता जैन के साथ दीक्षांत समारोह में मौजूद रहे। डॉ जैन ने कहा कि मेरा मानना है कि बच्चे जिस क्षेत्र में कार्य करना चाहें, उन्हें करने देना चाहिए तभी वे पूरे मनोयोग से अपना 100% दे पाएंगे,हां यह सही है कि शुरुआत में मैं चाहता था कि बेटी मेरी तरह डॉक्टर बने लेकिन जब मुझे लगा कि शुभि की इच्छा कंप्यूटर इंजीनियर बनने की है तो मैंने बेटी की इच्छा को अपनी इच्छा बना लिया।

डॉ जैन ने बताया कि बचपन से ही शुभि पढ़ाई में तेज रही और टॉपर्स में अपनी जगह बनाये रही। शुभि सिर्फ 14 वर्ष की थी तभी उसने एक किताब Through my eyes भी लिखी थी – जिसका विमोचन मोती महल लॉन में आयोजित पुस्तक मेले में किया गया था। शुभि ने कंप्यूटर साइंस में स्नातक बिट्स पिलानी (राजस्थान) से किया था, उन्हें शिक्षा में उनकी उत्कृष्टता के लिए भारत सरकार से चार लाख की छात्रवृत्ति भी प्राप्त हुई थी।

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