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कोरोना काल में निर्धारित लक्ष्‍य से 67.69 फीसदी ज्‍यादा दिखाया ‘हौसला’

-37500 संभावित उपलब्धि के सापेक्ष 62774 महिला नसबंदी

राजेश बांगिया

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। परिवार कल्याण कार्यक्रमों का लाभ जन-जन तक पहुंचाने पर सरकार का पूरा जोर है। परिवार नियोजन साधनों का महिलाओं को अनचाहे गर्भ से छुटकारा दिलाने, सीमित परिवार रखने और मातृ एवं शिशु मृत्यु दर पर लगाम लगाने में अहम् भूमिका है। सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर इनकी मुफ्त उपलब्धता के साथ ही निजी क्षेत्र की संस्थाओं, चिकित्सालयों व निजी सेवा प्रदाताओं को भी ‘हौसला साझीदारी परियोजना’ के तहत सरकार ने एक सकारात्मक पहल के रूप में जोड़ रखा है, जहां पर मुफ्त सेवाएं दी जा रहीं हैं। इसका मूल मकसद यही है कि परिवार नियोजन की सेवाओं को हर योग्य दम्पति तक आसानी से पहुंचाया जा सके।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन-उत्तर प्रदेश द्वारा वित्तपोषित हौसला साझीदारी कार्यक्रम को चलाने की जिम्मेदारी सिफ्सा को दी गयी है। कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी राजेश बांगिया का कहना है कि कोरोना काल (2020-21) में भी हौसला साझीदारी कार्यक्रम ने बेहतर तरीके से अपनी जिम्मेदारी को निभाकर सूबे में एक मिसाल पेश की है। पिछले वर्ष इन सम्बद्ध निजी अस्पतालों को 37500 महिला नसबंदी की संभावित उपलब्धि के सापेक्ष 62774 महिला नसबंदी कर इन अस्पतालों ने 167.39 फीसद उपलब्धि हासिल की, जो आपदा काल में एक मिसाल के रूप में रही। आपदा को ही ध्यान में रखते हुए विश्व जनसंख्या दिवस (11 जुलाई) की थीम भी – “आपदा में भी परिवार नियोजन की तैयारी, सक्षम राष्ट्र और परिवार की पूरी जिम्मेदारी” तय की गयी है।

श्री बांगिया का कहना है कि हौसला साझीदारी कार्यक्रम परिवार नियोजन के क्षेत्र में निजी सेवा प्रदाताओं की सहभागिता का एक अभिनव प्रयास है, जिसे कई राज्यों द्वारा सराहा गया है। यह कार्यक्रम सूबे में वर्ष 2015 में शुरू किया गया था। हौसला साझीदारी कार्यक्रम को क्रियान्वित करने के लिए डिजिटल डेटा संकलन करने के लिए अति-आधुनिक ऑनलाइन पोर्टल की व्यवस्था की गई है, जिसमें प्रतिपल परिवार नियोजन की प्रगति प्रदर्शित होती है। हौसला साझीदारी कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए प्राइवेट सेक्टर प्रोवाइडर (पीएसपी) सेल का गठन किया गया है। इसकी नोडल एजेंसी राज्य परिवार नियोजन सेवा अभिनवीकरण परियोजना एजेंसी (सिफ्सा) को बनाया गया है। श्री बांगिया ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में सूबे में हौसला साझीदारी के तहत 1062 निजी चिकित्सालय पैनल में शामिल हुए हैं। इसी प्रकार 843 निजी क्षेत्र के सर्जन को भी कार्यक्रम में परिवार नियोजन की सेवाओं की विभिन्न तकनीक जैसे- मिनीलैप, लेप्रोस्कोपिक नसबंदी, बिना चीरा-टांका पुरुष नसबंदी और कॉपर-टी की सेवाओं को प्रदान करने के लिए पैनल में शामिल किया गया है। इसके अलावा क्लीनिकल आउट रीच टीम (कॉट) द्वारा 29 जिलों में इम्पैनल निजी चिकित्सकों द्वारा जिले पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा दूरस्थ सामुदायिक  स्वास्थ्य केंद्रों पर हौसला साझीदारी के तहत अपनी सेवाएं प्रदान की जाती हैं। इसके अतिरिक्त निजी सेवा प्रदाताओं/नर्सिंग होम/संस्थाओं द्वारा परिवार नियोजन की विभिन्न सेवाएं प्रदान करने के बाद पोर्टल पर दर्ज की जाती हैं, जिसे मुख्य चिकित्सा अधिकारी के अनुमोदन के बाद सिफ्सा द्वारा भुगतान किया जाता है ।

छह साल में तीन लाख से अधिक महिला नसबंदी  

राजेश बांगिया के अनुसार हौसला साझीदारी कार्यक्रम के तहत पिछले छह साल में तीन लाख से अधिक महिला और 5694 पुरुष नसबंदी की सेवाएं प्रदान की गयीं हैं, जो आपने आप में एक मिसाल है। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत वर्ष 2015-16 में 21764 महिला व 424 पुरुष नसबंदी और 2016-17 में 45990 महिला और 2962 पुरुष नसबंदी की सेवा प्रदान की गयी। वर्ष 2017-18 में 51681 महिला और 1086 पुरुष नसबंदी की गयी। इसी तरह 2018-19 में 57373 महिला और 305 पुरुष नसबंदी की सेवा प्रदान की गयी। वर्ष 2019-20 में 60445 महिला और 787 पुरुष नसबंदी के साथ ही वर्ष 2020-21 में 62774 महिला और 130 पुरुषों को हौसला साझीदारी कार्यक्रम के तहत नसबंदी की सेवा प्रदान की गयी। इसके अलावा इस कार्यक्रम के तहत पिछले छह साल में आईयूसीडी की सेवा 166828 महिलाओं को प्रदान की गयी और 75631 महिलाओं को गर्भनिरोधक गोली और 332551 लाभार्थियों को कंडोम का वितरण किया गया एवं 61412 गर्भनिरोधक इंजेक्शन भी लगाये गए।

लाभार्थी को मिलती है प्रोत्साहन राशि  

प्रदेश के 57 उन जिलों में मिशन परिवार विकास कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जहां जनसंख्या दर अधिक है। हौसला साझीदारी कार्यक्रम के अंतर्गत महिला नसबंदी पर लाभार्थी को 1400 रुपये तथा पुरुष नसबंदी के लाभार्थी को 2000 रुपये प्रतिपूर्ति राशि के रूप में दी जाती है। इसके अलावा मिशन परिवार विकास वाले जिलों के निजी चिकित्सालयों को, अंतराल/ गर्भपात उपरांत महिला नसबंदी पर 2500 रूपये प्रति लाभार्थी, प्रसव पश्चात महिला नसबंदी पर 3000 रुपये प्रति लाभार्थी, पुरुष नसबंदी पर 2500 रुपये प्रति लाभार्थी और गैर मिशन परिवार विकास वाले जिलों के निजी चिकित्सालयों को 2000 रुपये प्रति लाभार्थी, महिला एवं पुरुष नसबंदी करने के लिए दिए जाते हैं।

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