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फार्मासिस्टों की मांगों पर नहीं बनी बात, मसला वही ढाक के तीन पात

-आंदोलन का दूसरा चरण सोमवार से शुरू होगा

-काला फीता बांधकर काम करेंगे 8000 फार्मेसिस्ट

 –वेतन विसंगति, पदों का पुनर्गठन, पद सृजन, पदोन्नति, नियुक्ति,पुरानी पेंशन की मांग

फाइल फोटो

लखनऊ। फार्मेसिस्ट संवर्ग की विभिन्न लंबित माँगो के समर्थन में डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशन उत्तर प्रदेश द्वारा 15 नवम्बर को महानिदेशालय का घेराव करने के बाद अब तक किसी स्तर पर कोई वार्ता व कार्यवाही नहीं हुई, इसलिए आक्रोशित फार्मेसिस्टों के आंदोलन का दूसरा चरण सोमवार से शुरू हो रहा है। प्रदेश भर के राजकीय चिकित्सालयों, मेडिकल कॉलेजों, स्वास्थ्य केंद्रों, कारागार आदि के सभी प्रभारी अधिकारी फार्मेसी, चीफ फार्मेसिस्ट  3,4,5 दिसम्बर को काला फीता बांधकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

 

संघ के प्रवक्ता और राजकीय फार्मेसिस्ट महासंघ के अध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि माँगों की पूर्ति न होने पर 6-7 दिसम्बर को 2 घंटे का कार्य बहिष्कार , 8 दिसम्बर को द्वितीय शनिवार का सामूहिक उपभोग और 10 दिसम्बर से अनिश्चितकालीन हड़ताल का निर्णय लिया गया है। डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष संदीप बडोला और महामंत्री के के सचान ने बताया कि आज हर जनपद में आंदोलन के कार्यक्रम की तैयारी की समीक्षा के लिए बैठकें की गईं।

 

आंदोलन के प्रस्तावित कार्यक्रम की जानकारी देते हुए सुनील यादव ने बताया कि पूर्व में हुए उच्चस्तरीय समझौतों और अनेक वार्ताओं में लिये निर्णयों के बावजूद संघ की किसी भी मांग पर कोई कार्यवाही नही हो रही है।  शासन स्तर पर अब तक हुए बैठकों की जानकारी देते हुए कहा कि संघ की वेतन विसंगति की रिपोर्ट लगभग डेढ़ वर्ष से शासन में लंबित है। जिसके कारण सम्मानजनक वेतन नही मिल रहा, भत्तो का वर्षो से पुनरीक्षण नही हुआ । महानिदेशालय के प्रस्ताव के बाद भी संवर्ग के पदों का पुनर्गठन नही हो रहा, कार्य और आवश्यकता के अनुसार मानक नही बन रहे, पदों का सृजन लंबित है, ट्रामा सेंटरो में अभी तक फार्मेसिस्ट के एक भी पद सृजित नही हुए , उच्च पदों का सृजन भी नही हो रहा है जिससे पदोन्नति नही हो पा रही, नियुक्ति प्रक्रिया भी बाधित है।

 

श्री यादव ने बताया कि महानिदेशालय द्वारा फार्मेसिस्ट संवर्ग के कुल सृजित पदों की संख्या हमेशा अलग अलग बताई जाती है, मात्र कुछ जनपदों से प्राप्त जनसूचना, phc, chc के मानक को अगर आधार मान ले तो भी अभी फार्मेसिस्ट के 500 से अधिक पद रिक्त हैं जबकि महानिदेशालय के पास सही सूचना नही है, फार्मेसिस्ट रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं। नवनियुक्त फार्मेसिस्ट उच्च न्यायालय के आदेश के क्रम में पुरानी पेंशन योजना के हकदार हैं परंतु उन्हें नई पेंशन योजना में रखा जा रहा है, लगभग 4000 से अधिक नवनियुक्त फार्मेसिस्टों के नाम वरिष्ठता सूची में नही जोड़े गए, जो सामान्य प्रक्रिया के अंतर्गत जुड़ जाने चाहिए थे।

 

शासन स्तर पर निर्णय लिया गया था कि प्रत्येक मुख्य चिकित्सा अधिकारी के अधीन जिला फार्मेसी अधिकारी , प्रत्येक महिला चिकित्सालयो में प्रभारी, अपर निदेशक और 500 बेड के चिकित्सालयो में एक विशेष कार्य अधिकारी तथा कुल 4 संयुक्त निदेशक के पदों का सृजन करते हुए विभाग में पदोन्नति के पदों को बढ़ाकर पिरामिड ठीक किया जाएगा लेकिन लगभग 10 साल बीतने के बाद भी इस पर अभी तक कोई कार्यवाही नही हुई । जिससे अधिकांश फार्मेसिस्ट अपने मूल पद से सेवानिवृत्त हो जाते है, उनकी पदोन्नति नही हो पाती ।

 

उपरोक्त माँगो के लिए विभिन्न माध्यमों से शासन का ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास किया गया , परन्तु लगता है शासन जान बूझकर आंदोलन के लिए मजबूर कर रहा है। संघ ने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप करते हुए फार्मेसिस्ट संवर्ग की लंबित माँगों पर कार्यवाही की मांग की है।