-विश्व सीओपीडी दिवस पर केजीएमयू के कुलपति ले.ज.डॉ बिपिन पुरी ने किया आह्वान
-पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग ने आयोजित किया समारोह
सेहत टाइम्स
लखनऊ। सीओपीडी के खिलाफ लड़ाई में रोकथाम ही सबसे बड़ा हथियार है, इसलिए धूम्रपान छोड़ें, प्रदूषण कम करें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। सी0ओ0पी0डी के आरंभिक अवस्था में निदान के लिए नयी तकनीक विकसित करने की आवश्यकता है।
यह आह्वान केजीएमयू के कुलपति ले.ज. डॉ बिपिन पुरी ने संस्थान के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग द्वारा विश्व सीओपीडी दिवस पर आयोजित यूपी में सीओपीडी अपडेट-2022 कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेते हुए अपने सम्बोधन में कही। उन्होंने कहा कि सीओपीडी एक निवारण योग्य और उपचार योग्य बीमारी है जो सांस फूलने, बलगम और खांसी के कारण होती है, दुनिया में सीओपीडी के 300 मिलियन वर्तमान मामले हैं। यह दुनिया भर में मौत का तीसरा प्रमुख कारण है, जिससे 2019 में 3.23 मिलियन मौतें हुईं और हृदय रोगों के बाद भारत में मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है।
डॉ बिपिन पुरी ने इस कार्यक्रम के आयोजन और सीओपीडी के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए विभाग को बधाई दी। उन्होंने भारतीय समाज में बीमारी के बोझ के सम्बन्ध में अपने विचार प्रकट किये एवं बताया कि कैसे यह बीमारी जीवन की गुणवत्ता को कम करके रोगियों के जीवन को प्रभावित कर रही है। कुलपति ने इस बात पर भी जोर दिया कि यद्यपि इसे प्राथमिक श्वसन समस्या माना जाता है, लेकिन यह एक प्रणालीगत बीमारी है जिसमें शरीर के कई अलग-अलग अंग शामिल होते हैं उन्होंने इस बीमारी से बचाव के उपाय के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी दी।
कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने कहा कि अक्सर लोग अस्थमा और सीओपीडी को एक ही बीमारी समझ लेते हैं क्योंकि इन दोनों के लक्षण एक समान होते हैं। इन दोनों ही बीमारियों में एक समान लक्षण जैसे खांसी, कफ आना और सांस लेने में दिक्कत शामिल हैं लेकिन ये दोनों ही रोग एक.दूसरे से भिन्न हैं। विश्व सी0ओ0पी0डी0 दिवस 2002 हर साल नवंबर के तीसरे बुधवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से गोल्ड द्वारा आयोजित किया जाता है। विश्व सी0ओ0पी0डी0 दिवस का लक्ष्य दुनिया भर में सी0ओ0पी0डी0 के लिए जागरूकता बढ़ाना और नए ज्ञान एवं नवीन चिकित्सीय पद्धति को पेश करना है। आपको बता दें कि इस वर्ष के इस दिवस की थीम ‘आपके जीवन के लिए फेफड़ों का सर्वाधिक महत्व’ है। कार्यक्रम में प्रो वीसी डॉ विनीत शर्मा, डॉ राजेंद्र प्रसाद एवं डीन अकादमिक डॉ एके त्रिपाठी विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए।
कार्यक्रम में वक्ता के रूप में पूर्व निदेशक वीवीसीआई, नई दिल्ली, प्रोफेसर एवं प्रमुख पल्मोनरी मेडिसिन, ऐरा मेडिकल कॉलेज प्रो राजेन्द्र प्रसाद के साथ ही एसजीपीजीआई, आरएमएल और केजीएमयू के कई प्रतिष्ठित शिक्षकों द्वारा अपने विचार प्रकट किये गये। इनमें एसजीपीजीआई के प्रो आलोक नाथ, केजीएमयू के प्रो राजीव गर्ग, एसजीपीजीआई के डॉ अजमल खान, केजीएमयू के डॉ वेद प्रकाश, मिडलैंड हॉस्पिटल के डॉ बीपी सिंह, ऐरा यूनिवर्सिटी के डॉ रचित शर्मा, केजीएमयू के डॉ केके सावलानी, डॉ एसके वर्मा, डॉ आनंद कुमार श्रीवास्तव, डॉ आरएएस कुशवाहा, डॉ दर्शन बजाज, लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉ निखिल गुप्ता, संजीवनी चेस्ट हॉस्पिटल के डॉ एसएन गुप्ता, केजीएमयू के डा0 अजय कुमार वर्मा, मेदान्ता हॉस्पिटल के डॉ विपुल प्रकाश, डॉ दिलीप दुबे, केजीएमयू के डॉ अम्बरीश कुमार, लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉ विक्रम सिंह, सिविल हॉस्पिटल के डॉ एनबी सिंह, चंदन हॉस्पिटल के डॉ एके सिंह, बलरामपुर हॉस्पिटल के डॉ आनंद गुप्ता, लोहिया संस्थान के डॉ अभिषेक वर्मा, केजीएमयू के डॉ अविनाश अग्रवाल शामिल थे।
डॉ राजेंद्र प्रसाद ने भारत में सीओपीडी के बढ़ते रोगियों के सम्बन्ध में अपने विचार रखे और इसके बारे में जागरूकता बढाने पर जोर दिया। लम्बे समय से हालाकि धूम्रपान ही सीओपीडी का एकमात्र कारण माना जाता रहा है, लेकिन वायु प्रदूषण और घर के अंदर बायोमास ईंधन का एक्सपोजर इस बीमारी की बढ़ती संख्या के लिए लगभग समान रूप से जिम्मेदार है। उन्होने रोकथाम योग्य कारकों को नियंत्रित करने पर जोर दिया ताकि बीमारी के बोझ को कम किया जा सके।
डॉ राजीव गर्ग ने सी0ओ0पी0डी0 बीमारी की त्वरित जांच की महत्ता के बारे में बताया। इसके लिए स्पाइरोमेट्री एवं इम्पल्स ओसीलोमेट्री जैसी नई विधि के उपयोग के बारे में जानकारी दी जिससे बीमारी को शुरूआती चरण में पकड़ा जा सके।
डॉ वेद प्रकाश के अनुसार सामान्यतः सी0ओ0पी0डी0 की प्रारम्भिक अवस्था में एक्स-रे में फेफड़े में कोई आसामान्य खराबी नजर नहीं आती है, किन्तु बाद में फेफड़े का आकार बढ़ जाता है जिसके परिणाम स्वरूप दबाव बढ़ने से दिल लम्बा और पतले ट्यूब की तरह (ट्यूबलर हार्ट) हो जाता है। सी0ओ0पी0डी0 का पता लगाने का तरीका स्पाइरोमेट्री या पी0एफ0टी0 है। यदा-कदा सी0ओ0पी0डी0 के कुछ मरीजों में सी0टी0 स्कैन की भी आवश्यकता होती है। सी0ओ0पी0डी0 के रोगियों में प्रारम्भ में सुबह के वक्त खाँसी आती है और इसके साथ बलगम भी निकलने लगता है। सी0ओ0पी0डी0 रोगियों में बीमारी की तीव्रता बढने के साथ ही रोगी की सांस फूलने लगती है एवं रोगी धीरे-धीरे सामान्य कार्य करने में अपने आपको असमर्थ पाता है गले की मांसपेशियों में सूजन आ जाती है एवं शरीर का वजन घट जाता है। सी0ओ0पी0डी0 रोगी को हृदय रोग के साथ- साथ अन्य बीमारियां उदाहरण स्वरूप डाइबटीज, गुर्दा रोग, लिवर रोग, अनिद्रा, अवसाद आदि का जोखिम बढ जाता है।
डॉ वेद प्रकाश ने सीओपीडी के प्रबंधन के सम्बन्ध में विचार व्यक्त किये और कहा इसमें दवाओं के साथ-साथ एक समग्र दृष्टिकोण शामिल है। इन रोगियों का प्रबंधन करते समय जिन विभिन्न पहलुओं ध्यान देने की आवश्यकता है, उनमें धूम्रपान बंद करना, उचित पोषण, नियमित व्यायाम फुफफुसीय पुनर्वास, इनडोर और बाहरी वायु प्रदुषण नियंत्रण, इन्फलुएंजा के खिलाफ टीकाकरण, न्यूमोकोकस और विशेषज्ञ चिकित्सक द्वारा सलाह के अनुसार दवा का उचित पालन शामिल है। डॉ वेद प्रकाश ने कहा कि सी0ओ0पी0डी0 के रोगियों में दवाएं लक्षणों को कम कर सकती हैं और अचानक से बढ़ने वाली सांस की कठिनाइयों में कटौती कर सकती हैं। सीओपीडी की दवा श्वसन मार्गों की 2 तरीकों से मदद करती है, उन्हें चौड़ा करना और सूजन को कम करना, सीओपीडी की सभी नवीनतम दवाएं अत्यधिक प्रभावी हैं, और वे आपके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करती हैं, अधिकांश दवाएं इन्हेलेशन के रूप में उपलब्ध हैं, क्योंकि इनहेलर सुरक्षित हैं, लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए दवा को नियमित रूप से डॉक्टर की सलाह के अनुसार लेने की जरूरत होती है।
डॉ आलोक नाथ ने रोग की तीव्र वृद्धि की रोकथाम और प्रबंधन के बारे में बात की। डॉ अजमल खान ने सी0ओ0पी0डी रोगियों में शल्य चिकित्सा प्रबंधन के बारे में बात की। इस मौके पर डॉ सचिन कुमार, डॉ हेमन्त, डॉ आरिफ, डॉ मृत्युन्जय सिंह, डॉ अनुराग त्रिपाठी सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल रहे।