-लिवर का केजीएमयू में और दोनों गुर्दों का एसजीपीजीआई में हुआ प्रत्यारोपण, दोनों कार्निया भी केजीएमयू के हवाले
-सॉटो ने एसजीपीजीआई और केजीएमयू की टीमों की मदद से सुरक्षित और शीघ्र अंगदान किया सुनिश्चित
सेहत टाइम्स
लखनऊ। यहां संजय गांधी पीजीआई स्थित स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (सॉटो) ने एसजीपीजीआई और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी केजीएमयू के चिकित्सकों और अन्य सहयोगी स्टाफ की विभिन्न टीमों की मदद से आज शनिवार 11 जून को 49 वर्षीय एक ब्रेन डेड मरीज के अंगों से पांच लोगों को नया जीवन देने का मार्ग प्रशस्त किया।
अपनी अहम जिम्मेदारी निभाते हुए इस कार्य को अंजाम देने वाले सॉटो यूपी के नोडल ऑफीसर व एसजीपीजीआई के हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन विभाग के प्रमुख डॉ राजेश हर्षवर्धन ने बताया कि सुबह जैसे ही उनके पास सूचना आयी कि केजीएमयू में एक्सीडेंट का शिकार हुए प्रदीप कुमार विश्वकर्मा को चिकित्सकों ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया है। डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि इसके तुरंत बाद से ही सॉटो का प्रबंधन शुरू हो गया। उन्होंने बताया कि ब्रेन डेड घोषित होने के बाद सबसे पहले दानकर्ता के घरवालों से पूछा जाता है कि वे अंगदान करने के इच्छुक हैं अथवा नहीं, इसके लिए उन पर किसी प्रकार का दबाव नहीं डाला जाता है।
डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि घरवालों की सहमति के बाद एक टीम यह जांच करती है कि मरीज के अंगों की स्थिति क्या है, क्या उन्हें दान में लिया जा सकता है अथवा नहीं, जांच टीम द्वारा ओके करने के बाद एक दूसरी टीम अंगों को निकालने का कार्य करती है और फिर अंगों के अनुसार सम्बन्धित अंग के ट्रांसप्लांट के लिए दूसरी टीमें उन अंगों को विभिन्न प्राप्तकर्ता मरीजों में ट्रांसप्लांट करने की प्रक्रिया शुरू करती हैं। डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि प्रदीप कुमार विश्वकर्मा के केस में ये सारी औपचारिकताएं पूरी की गयीं। उन्होंने बताया कि इस कार्य में एसजीपीजीआई और केजीएमयू के चिकित्सकों का भरपूर सहयोग हासिल हुआ और समय से अंगों का प्रत्यारोपण किया जाना सुनिश्चित किया जा सका।
डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि इसके अतिरिक्त मेडिकोलीगल के लिए पुलिस और अंग को केजीएमयू से एसजीपीजीआई तक लाने के लिए ट्रैफिक पुलिस के अधिकारियों से सम्पर्क कर ग्रीन कॉरिडोर बनाना सुनिश्चित किया गया। इसके पश्चात करीब 35 मिनट की अवधि में केजीएमयू से एसजीपीजीआई तक दान की गयीं दोनों किडनी को सुरक्षित तरीके से लाया गया।
उन्होंने बताया कि जरूरतमंदों की पहले से तैयार सूची के अनुसार प्राथमिकताएं तय करते हुए मरीज की दोनों किडनी एसजीपीजीआई में तथा लिवर और दोनों कार्निया केजीएमयू में प्रत्यारोपित किया जाना तय हुआ। लिवर ट्रांसप्लांट करने वाले केजीएमयू के सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ अभिजीत चंद्रा ने बताया कि लिवर का सफल प्रत्यारोपण 55 वर्षीय महिला मरीज में कर दिया गया है। इसी प्रकार दोनों किडनी का प्रत्यारोपण एसजीपीजीआई में कर दिया गया है।
डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि संस्थान के निदेशक प्रो आरके धीमन की देखरेख में हुए इस कार्य को जिस तरह दोनों संस्थानों की टीमों ने अंजाम दिया है वह निश्चित ही प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि केजीएमयू के सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ अभिजीत चंद्रा और उनकी टीम, एसजीपीजीआई के यूरोलॉजी विभाग के मुखिया डॉ अनीश श्रीवास्तव, नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रो नारायण प्रसाद और उनकी टीम ने जिस तत्परता से कार्य को अंजाम दिया, इसके लिए सभी लोग प्रशंसा और धन्यवाद के पात्र हैं। उन्होंने बताया कि किडनी को केजीएमयू से एसजीपीजीआई तक लाने के लिए ग्रीन कॉरीडोर बनाने में ट्रैफिक इंस्पेक्टर जनरल और सुपरिन्टेन्डेंट ऑफ पुलिस के नेतृत्व में टीम द्वारा ट्रैफिक कंट्रोल रूम से सामंजस्य बैठाते हुए किया गया सराहनीय रहा।
डॉ हर्षवर्धन ने एसजीपीजीआई और सॉटो के पीआरओ प्रकोष्ठ, वाहन प्रकोष्ठ की भी कार्य में लगातार सहयोग के लिए प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह पूरा प्रोसेस निश्चित रूप से एक चैलेंज होता है क्योंकि इसमें विभिन्न चरणों की औपचारिकता पूरी करते हुए कम से कम समय में कार्य को अंजाम देना होता है। उन्होंने कहा कि इस कार्य को सभी के सहयोग से सफलतापूर्वक कर पाया, यह अत्यंत संतोषजनक बात है।