Tuesday , March 19 2024

अनेक प्रकार की मानसिक परेशानियों से गुजर रहे हैं पोस्‍ट कोविड मरीज

परेशान न हों, होम्‍योपैथी में मौजूद हैं रामबाण दवायें : डॉ गिरीश गुप्‍ता

डॉ गिरीश गुप्‍ता

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। पोस्‍ट कोविड बीमारियों को लेकर परेशान मरीजों में कई मरीजों को मन:स्थिति से भी जुड़ी अनेक प्रकार की परेशानियां हो रही हैं। ऐसी मानसिक अवस्‍था के उपचार में होम्‍योपैथिक की दवाएं रामबाण का काम कर रही हैं। इन मानसिक बीमारियों में गुस्‍सा, चिड़चिड़ापन, घबराहट, निराशा, मौत का डर, हताशा, चुपचाप पड़े रहने की इच्‍छा, नींद न आना जैसी परेशानियां शामिल हैं।

ज्ञात हो कोविड संक्रमण से मुक्‍त हो चुके अनेक रोगियों में बाद में भी अनेक प्रकार की बीमारियों ने घेर रखा है, एम्‍स भोपाल में दूसरी लहर के दौरान कोविड के चलते मृत लोगों के पोस्‍टमॉर्टम के आधार पर हुई एक स्‍टडी में तो यह सामने भी आया है कि कोरोना के वायरस ने सिर्फ फेफड़ों पर ही नहीं, बल्कि शरीर के अन्‍य अंगों पर भी अपना असर दिखाया है। सामान्‍यत: अभी तक यही माना जाता रहा है कि कोरोना का वायरस श्‍वसन तंत्र के माध्‍यम से फेफड़ों को अपना निशाना बनाता है, फलस्‍वरूप रोगी की श्‍वास अवरुद्ध हो जाती है, और मरीज दम तोड़ देता है। हालांकि अभी इस पर और स्‍टडी किये जाने की आवश्‍यकता भी बतायी जा रही है। शारीरिक बीमारियों के अतिरिक्‍त अनेक लोगों में मन:स्थिति से जुड़ी छोटी-बड़ी समस्‍याएं भी आ रही हैं।

सबूत आधारित अपनी स्‍टडी से असाध्‍य माने जाने वाले अनेक रोगों के सफल उपचार की रिसर्च करने वाले उत्‍तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित गौरांग क्‍लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्‍योपैथिक रिसर्च (GCCHR) के संस्‍थापक व चीफ कन्‍सल्‍टेंट डॉ गिरीश गुप्‍ता का कहना है कि इन मानसिक अवस्‍थाओं से जूझ रहे रोगी बराबर उनके पास पहुंच रहे हैं, और ठीक हो रहे हैं।

एक विशेष भेंट में ‘सेहत टाइम्‍स’ से डॉ गुप्‍ता ने बताया कि कोविड के बाद मन:स्थिति से जुड़ी अनेक प्रकार की समस्‍याओं के उपचार में होम्‍योपैथिक दवाएं रामबाण का काम कर रही हैं। उन्‍होंने बताया कि उनके पास आम तौर पर जो शिकायतें लेकर मरीज आ रहे हैं उनमें गुस्‍सा आना, छोटी-छोटी बात पर खीझना, चिड़चिड़ाहट, घबराहट, मृत्‍यु का डर, निराशा, हताशा यानी यह सोचना कि अब हम ठीक नहीं हो सकते, अकेले पड़े रहना, किसी से बात करने की इच्‍छा न होना, नींद न आना जैसी समस्‍याएं ज्‍यादा शामिल हैं।

डॉ गिरीश गुप्‍ता ने बताया कि एक महिला मरीज उनके पास ऐसी आयीं जो उलझन के चलते कमरे से बाहर निकल जाती थीं, एक दिन परिजनों ने जब उन्‍हें अपने कमरे में नहीं देखा तो सब घबरा गये, जब ढूंढ़ना शुरू किया गया तो घर के सामने पार्क में मिलीं, उन्‍होंने बताया कि इस स्थिति को कॉस्‍टो फोबिया कहा जाता है, उन्‍हें होम्‍योपैथिक दवा दी गयी जिससे कि उन्‍हें आराम मिला।

डॉ गुप्‍ता ने बताया कि दरअसल कोविड से बीमार हुए लोग बीमारी को लेकर अत्‍यन्‍त डर वाली स्थिति में जीते हैं, ऐसे में जब वे ठीक भी हो जाते हैं तो अनेक लोगों को इस तरह मानसिक उलझनें हो जाती हैं, लेकिन होम्‍योपैथिक में मानसिक रोगों से जुड़ी एक से बढ़कर एक दवायें हैं जो व्‍यक्ति के लक्षणों उसकी प्रकृति के अनुसार दी जाती हैं। उन्‍होंने बताया कि मानसिक रोगों की होम्‍योपैथी में अच्‍छी दवायें होने की बड़ी वजह है होम्‍योपैथिक में जो इलाज होता है वह साइकोसोमेटिक होता है, यानी कोई भी दिक्‍कत है तो उसके रोगी की प्रकृति के साथ उसके शारीरिक व मानसिक लक्षणों को देखते हुए दवाओं का चुनाव किया जाता है। इसीलिए होम्‍योपैथी में किसी रोग के लिए कोई एक दवा निर्धारित नहीं है कि अमुक दवा उस रोग में सभी को लाभ पहुंचायेगी, यह निर्भर करता है रोगी की प्रकृति और उसकी पसंद, नापसंद, उसका स्‍वभाव क्‍या है, यानी होलिस्टिक एप्रोच को लेकर दवा का चुनाव करना होता है। उन्‍होंने कहा कि यदि किसी व्‍यक्ति को कोविड के बाद किसी भी प्रकार की मानसिक उलझन या अन्‍य परेशानियां हैं तो उन्‍हें घबराने की आवश्‍यकता नहीं है, वे किसी भी कुशल होम्‍योपैथिक चिकित्‍सक से उपचार करायें, निश्चित रूप से लाभ होगा। 

क्लिक करें और देखें पूरे साक्षात्‍कार का वीडियो कोविड के बाद की मनोवैज्ञानिक समस्‍याएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.