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घर में लगाइए औषधीय पौधे और बीमारियों से बचिए

-रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग में आरोग्य वाटिका में किया गया पौधरोपण, औषधीय पौधों के लाभ के बारे में खास जानकारियां दीं विशेषज्ञों ने

-रेस्‍पाइरेटरी मेडिसिन विभाग के 75 वर्ष पूर्ण होने पर 75 पौधों का रोपण का सपना पूरा हुआ डॉ सूर्यकांत का

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। एलोपैथिक दवाओं से हम लोगों का उपचार करते हैं जबकि मेडिसिनल प्लांट से लोगों को स्वस्थ रहने में मदद मिलती है जिससे लोग बीमार ही ना पड़ें।

यह उद्गार केजीएमयू के रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग में रविवार को आरोग्य वाटिका स्थापित करने के मौके पर पर कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ बि‍पिन पुरी ने अपने संबोधन में व्यक्त किए। आरोग्य वाटिका का उद्घाटन करते हुए डॉ पुरी ने कहा कि ये बहुत ही अहम साल हैं। पिछले साल से इस साल तक हम कोविड महामारी से जूझते रहे जिससे अब हम उबर रहे हैं। इस महामारी में केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग का अहम योगदान रहा। समाज में अब जागरूकता आ रही है लोग पर्यावरण के प्रति सचेत हो रहे हैं। पर्यावरण स्वच्छ रखेंगे तो ही हम हम अपनी आने वाली पीढ़ी ये सौंप पाएंगे। मेडिसिन प्लांट का आज लोगों को स्वस्थ्य रखने में अहम रोल है।

इस मौके पर आरोग्य वाटिका में कई औषधीय पौधे लगाए गए। ज्ञात हो कि विभाग के 75 साल होने पर 75 पौधे लगाने का प्रण विभागाध्यक्ष डॉ सूर्यकांत ने लिया है जिसे इस कार्यक्रम में साकार किया गया। इस मौके पर सीमैप के निदेशक डॉ पीके त्रिवेदी, पर्यावरणविद मेवालाल भी अतिथि के रूप में रूप में मौजूद रहे। कार्यक्रम में डॉ विभाग के डॉ आरएएस कुशवाहा, डॉ संतोश कुमार, डॉ दर्शन बजाज, डॉ अजय डा ज्योति समेत रेजिडेंट, नसेज व कर्मचारी मौजूद रहे। 

सीमैप के निदेशक पीके त्रिवेदी ने कहा कि अस्सी के दशक में मेंथा यूपी में नहीं होती थी लेकिन आज हम सबसे बड़े उत्पादक है। देश का 80 फीसदी उत्पादन यूपी करता है। अमेरिया की एक ड्रग के लिए हम पहले रॉ मटेरियल दूसरे देशों से इंपोर्ट करते थे आज हम खुद उत्पादन कर रहे है। इसी तरह लोग घरों में तुलसी, गिलोए समेत दूसरे मेडिसिनल प्लांट लगाकर रोगों से बच सकते हैं साथ ही पर्यावरण को बेहतर बनाने में सहयोग कर सकते हैं।

पर्यावरणविद मेवा लाल ने कहा कि अब लोग घरों, छत व बालकनी में गार्डन बनारक सब्जी उगा सकते हैं। साथ ही घर के कचरे से एक सामान्य ड्रम का उपयोग कर बायोकंपोस्ट भी घर में बना सकते हैं। इससे एक ओर घरों में बिना पेस्टिसाइड्स की सब्जियां वो खा सकेंगे वहीं कचरे को इधर ऊपर न फेक कंपोस्ट बनाने से पर्यावरण में कर्बन उत्सर्जन भी कम हो सकेगा। अगर हर व्यक्ति सिर्फ खुद अपने घर में ये प्रयास कर ले तो पूरे समाज को हम बदल सकते हैं।

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