-नर्सिंग एसोसिएशन भी कार्य बहिष्कार को लेकर 26 को सौंपेगी विरोध पत्र
-नर्सों, कर्मचारियों, उनके आश्रितों को भी बीमार होने पर नहीं मिल रहा संस्थान में बेड
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान संजय गांधी पीजीआई में नर्सिंग स्टाफ सहित सभी वर्ग के कर्मचारियों ने अपने आश्रितों को इस कोरोना काल में संस्थान में उनका इलाज न किये जाने के खिलाफ अब कार्य बहिष्कार का मन बना लिया है, अगर कार्य बहिष्कार हुआ तो निश्चित ही यह लोगों को कोरोना महामारी से मिल रहे घावों में नमक लगाने जैसा होगा, रोजाना किसी न किसी कर्मचारी तथा उनके परिजनों जैसे पति, बेटी आदि को इलाज न मिलने के बाद इन कर्मियों के आक्रोश का पारा लगातार बढ़ता जा रहा है। इनकी शिकायत है कि जिस संस्थान में हम कार्य करते हैं, इस कोविड काल में जान की बाजी लगाकार मरीजों की सेवा कर रहे है लेकिन हमारे ही परिवार के लोग अगर संक्रमित हो रहे हैं या नॉन कोविड बीमारियों से जूझने पर यहां आते हैं तो उन्हें हम इलाज तक नहीं उपलब्ध करा पा रहे हैं। इस समस्या को अनेक बार उठाया गया लेकिन मिला सिर्फ आश्वासन, लेकिन अब आश्वासन की घुट्टी नहीं पी जा सकती है, अब हमें ठोस और प्रैक्टिकल समाधान चाहिये…
आपको बता दें कि शुक्रवार को नर्सिंग स्टाफ व कर्मचारियों ने प्रशासनिक भवन पर अपने आक्रोश का इजहार किया था, यही नहीं निदेशक के वहां पहुंचने पर कर्मचारी नेताओं ने अपने गुस्से का इजहार किया था, तब निदेशक द्वारा एक बार फिर आश्वासन दिया गया था। आज कर्मचारी महासंघ ने निदेशक को पत्र देकर सीधी चेतावनी दी है कि उनकी मुख्य मांग यही है कि संस्थान कर्मचारियों को बीमार होने की दशा में तुरंत भर्ती किया जाए और उनका इलाज शुरू किया जाए, इसके लिए लिखित आदेश जारी किया जाये, अन्यथा की स्थिति में 27 अप्रैल को 12 बजे से कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया जायेगा।
कर्मचारी महासंघ द्वारा निदेशक को लिखे पत्र में कहा गया है कि संस्थान के कर्मचारी रजनीश श्रीवास्तव की पत्नी जो कोविड से ग्रस्त थीं, सूचना के बाद भी उनको संस्थान द्वारा भर्ती नहीं किया गया और उनकी 23 अप्रैल को मृत्यु हो गई, यही नहीं संस्थान प्रशासन की लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना व्यवस्था के चलते पहले भी इस प्रकार से मौतें हो चुकी हैं इसकी सारी जिम्मेदारी संस्थान प्रशासन पर जाती है। पत्र में कहा गया है कि भविष्य में संस्थान के किसी कर्मचारी या अधिकारी या उनके आश्रित के लिए इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए संस्थान प्रशासन को लिखित आदेश निकाल कर यह सुनिश्चित करना होगा कि कर्मचारी अधिकारी या उनके आश्रितों को तुरंत भर्ती कर उनका इलाज शुरू किया जाएगा।
इसके अतिरिक्त आरसीएच-1 ट्रॉमा में तीसरी मंजिल बी वार्ड संस्थान के कर्मचारियों के लिए तुरंत आरक्षित किया जाए, साथ ही एक ऐसा वार्ड भी बनाया जाए जहां पर कम से कम 50 बेड ऐसे हों जिसमें ऑक्सीजन के साथ-साथ कुछ डॉक्टर और स्टाफ की उपलब्धता हो ताकि जरूरत पड़ने पर मरीज को तुरंत भर्ती कर इलाज शुरू किया जा सके, इसके अतिरिक्त संस्थान के संक्रमित कर्मचारियों को तुरंत दवाई के साथ एक पल्स ऑक्सीमीटर उपलब्ध कराया जाए जिससे कि जो कर्मचारी होम आइसोलेशन में है, वह अपनी या परिवार की उचित देखभाल कर सके। महासंघ ने संस्थान में एक कोविड डेडीकेटेड स्टाफ काउंटर की व्यवस्था करने की भी मांग की है।
नर्सिंग एसोसिएशन ने किया एकता दिखाने का आह्वान
दूसरी ओर संस्थान की नर्सिंग एसोसिएशन की अध्यक्ष सीमा शुक्ला ने भी आज प्रशासनिक भवन पहुंचकर यह ऐलान किया कि नर्सिंग एसोसिएशन ने तय किया है कि सोमवार यानी 26 अप्रैल को निदेशक को पत्र सौंप कर इस मसले के हल के लिए दो दिनों का समय दिया जायेगा, फिर भी अगर मसला हल न हुआ तो दो घंटे का कार्य बहिष्कार किया जायेगा। कार्य बहिष्कार से इमरजेंसी सेवाओं को अलग रखा जायेगा।
उन्होंने आह्वान किया है कि इस मुश्किल घड़ी में यदि सब एकता दिखायेंगे तो कोरोना को भी हरायेंगे साथ ही अपनी उचित मांग भी संस्थान प्रशासन से पूरी करा सकेंगे, अन्यथा की स्थिति में कर्मचारियों के साथ जो अन्याय हो रहा है, वह आगे भी होता रहेगा।