-संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश ने मिशन निदेशक को पत्र लिखकर मांगा इंसाफ

सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कर्मचारियों का उत्पीड़न कर रहे हैं, यौन शोषण कर रहे हैं, मुंह खोलने पर जान से मारने की धमकी दे रहे हैं, इन सब कारणों से कर्मचारी आत्महत्या करने जैसा कदम उठा रहे हैं। यह हम नहीं कह रहे हैं यह कहना है उत्पीड़ने झेलने वाले कर्मचारियों और उनके साथी कर्मचारियों का। अधिकारियों पर लगे इन सभी गंभीर आरोपों का खुलासा कर्मचारियों का वह पत्र कर रहा है जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तर प्रदेश के मिशन निदेशक को लिखा गया है। पत्र में सभी आरोपों की जांच कराते हुए दोषियों को सजा देने की मांग की गयी है।
संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश ने संविदा कार्मिकों को प्रताड़ित किए जाने की शिकायत करते हुए झांसी, मथुरा और बाराबंकी की तीन घटनाओं की जानकारी देते हुए इन घटनाओं की जांच कराते हुए इसके जिम्मेदार और दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की है। संघ के प्रदेश महामंत्री योगेश उपाध्याय ने मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तर प्रदेश को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि संविदा कार्मिकों को प्रदेश भर में प्रताड़ित किया जा रहा है।
मथुरा में हॉस्पिटल क्वालिटी मैनेजर ने की आत्महत्या
पत्र में मथुरा के प्रकरण के बारे में लिखा गया है कि हॉस्पिटल क्वालिटी मैनेजर डॉक्टर विनोद ने वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित किए जाने के चलते 25 अक्टूबर को आत्महत्या कर ली। इस बारे में सामूहिक रूप से लिखे गये पत्र में जांच की मांग करते हुए लिखा गया है कि डॉ विनोद द्वारा 2019 से अब तक अपने पद के अनुरुप बहुत ही लगन एवं कर्तव्य के साथ कार्य किया जिसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिला चिकित्सालय मथुरा को दो बार कायाकल्प अवार्ड योजना में पुरस्कृत भी किया गया है। पत्र के अनुसार डॉ विनोद को उनके वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था जिस वजह से उन्होंने आत्महत्या कर ली। कर्मचारियों ने आत्महत्या के कारणों का पता लगाने के लिए सर्वप्रथम एक एफ आई आर दर्ज करने की मांग की है, जिससे निष्पक्ष जांच हो सके और दोषी के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाए।


बाराबंकी में एएनएम ने लगाया यौन शोषण का आरोप
बाराबंकी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जाटा बरौली के उप केंद्र केवाड़ी में तैनात संविदा एएनएम ने जिला अधिकारी और पुलिस अधीक्षक बाराबंकी को पत्र लिखकर सीएचसी जाटा बरौली के अधिकारी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए अपनी जान को खतरा बताया है। पत्र में कहा गया है कि उस पर शिकायत वापस लेने का दबाव डाला जा रहा है तथा कहा जा रहा है कि यदि शिकायत वापस नहीं ली और रिपोर्ट दर्ज कराई तो जान से मरवा कर लाश तक गायब करवा दी जाएगी। एएनएम ने अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई है।
पीड़िता ने अपने पत्र में लिखा है कि सात-आठ महीने पहले इस अधिकारी ने उसे अपने सरकारी आवास पर बुलाकर उससे गंदी नीयत से अश्लील बातें करते हुए उसके आगे प्रस्ताव रखा। इस पर पीडि़ता ने विरोध जताते हुए आइंदा ऐसी बात न कहने की चेतावनी दी थी। पीड़िता का कहना है इसके बाद भी कई बार अधिकारी ने उसे अपने सरकारी आवास पर बुलाकर इसी तरह की अश्लील बातें और हरकतें करने की कोशिश की। पीडि़ता ने लिखा है कि लोक-लज्जा के कारण जब वह शिकायत नहीं कर पायी तो अधिकारी का मनोबल और बढ़ गया। अब तो अधिकारी गाली-गलौज पर उतर कर सीधे जातिसूचक गाली देते हुए उसे उसकी बात न मानने पर संविदा की नौकरी से हटाने की धमकी देने लगा। पीडि़ता ने लिखा है कि जब मैंने फिर भी उसकी बात नहीं मानी तो उसने उसका मानदेय रोक लिया और अकारण उससे स्पष्टीकरण मांगा है, और ड्यूटी नहीं करने दे रहा है। साफ कह दिया है कि मेरा कहना मानो तो कोई विभागीय कार्यवाही नहीं होगी पीड़िता ने कहा है कि वह पिछले 6 माह से मानसिक रूप से काफी दुखी है उसने थाने पर भी शिकायत की है तथा जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को भी प्रार्थना पत्र दिया है परंतु अभी तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है और अधिकारी उसे बराबर डरा धमका रहा है और शिकायत वापस लेने का दबाव डाल रहा है। पीड़िता ने अपनी जान माल बचाने की गुहार लगाई है।
झांसी में आत्महत्या की कोशिश की, गंभीर हालत में भर्ती
इसी प्रकार तीसरे प्रकरण में झांसी स्थित गुरु सहाय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात ब्लॉक कम्युनिटी कार्यक्रम प्रबंधक धर्मेंद्र सिंह ने सोमवार 25 अक्टूबर को जहर खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की, इन्हें गंभीर हालत में झांसी में भर्ती कराया गया है। इनके पास से एक सुसाइड नोट भी मिला है जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया गया है। सुसाइड नोट में उन्होंने चार अधिकारियों का जिक्र करते हुए लिखा है कि इनके द्वारा जातिसूचक शब्दों के द्वारा अपमानित किया गया। पत्र में लिखा है कि किसी भी अधिकारी के द्वारा मेरा सहयोग नहीं किया गया। अपने पत्र में उन्होंने लिखा है कि इन लोगों को सख्त से सख्त सजा दिलवायी जाये। उन्होंने अपने परिजनों से माफी मांगते हुए लिखा है कि मैं इन लोगों का उत्पीड़न सहन नहीं कर पाया इसलिए अपनी जान दे रहा हूं।
