-मांगें पूरा न किये जाने से नाराज हैं देश भर के कर्मचारी व शिक्षक
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन (इप्सेफ) ने राजनीतिक दलों से स्पष्ट कर दिया है कि आगामी चुनाव में देश का करोड़ों कर्मचारी एवं शिक्षक परिवार उसी को अपना मत देगा जो जीत हासिल होने पर कर्मचारियों एवं शिक्षकों की मांगों को पूरा करने का वादा करेगा।
इप्सेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी.पी. मिश्रा एवं महामंत्री प्रेमचंद्र ने खेद व्यक्त किया है कि राजनीतिक दल सत्ता में आने से पूर्व बहुत से वादे करते हैं परंतु सत्ता में आने पर भूल जाते हैं। उदाहरणार्थ कई बड़े नेताओं ने पुरानी पेंशन को बहाल करने तथा राज्य के कर्मचारियों को केंद्र के समकक्ष वेतन व भत्ते दिलाने का वादा किया था परंतु सत्ता में आने पर भूल गए।
देशभर के कर्मचारियों ने यह साबित कर दिया है कि देश में संकट आने पर वे किस तरह मददगार होते हैं। उन्होंने अपना 1 दिन का वेतन दिया और कोविड-19 की महामारी में अपनी जान पर खेलकर जनता की जान बचाई। सैकड़ों लोग शहीद भी हो गए। इसके बावजूद केंद्र एवं राज्य सरकारें उनके महंगाई भत्ते के फ्रिज किए गए डी ए को वापस नहीं कर रहे हैं। इसी प्रकार केंद्र की भांति राज्यों के कर्मचारियों को वेतन भत्ते अनुमन्य नहीं कर रही है। केंद्र सरकार सरकारी संस्थानों को बेचकर निजी करण कर चुकी है और बचे संस्थानों को भी करने जा रही है। इससे लाखों कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे।
वी पी मिश्रा ने बताया कि रिक्त पदों पर भर्ती, पदोन्नतिया न करके आउटसोर्सिंग ठेका पर कर्मचारी रखकर उनका भी शोषण किया जा रहा है। भीषण महंगाई से ईमानदार कर्मचारी अपने परिवार का खर्च नहीं चला पा रहा है।
प्रेमचंद्र ने बताया कि राज्यों के कर्मचारियों एवं भारत सरकार के स्वशासी संस्थानों के कर्मचारियों का और बुरा हाल है, उन्हें महंगाई भत्ता व बोनस भी नहीं मिल पा रहा है। केंद्र की भांति संवर्गो का पुनर्गठन न होने के कारण उन्हें सातवें वेतन आयोग का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शशि कुमार मिश्रा एवं राष्ट्रीय सचिव अतुल मिश्रा ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वेतन समिति की रिपोर्ट पर निर्णय न करने से वेतन विसंगतियों एवं सेवा नियमावलियां लंबित होने से उन्हें सातवें वेतन आयोग का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
राजकीय निगम एवं स्थानीय निकायों में तो महंगाई भत्ते की किस्तें भी नहीं मिल पा रही हैं। राज्य सरकार द्वारा संकल्प जारी करने के बाद भी पदों का पुनर्गठन न होने से सातवें वेतन आयोग का लाभ नहीं मिल पाया है।
इप्सेफ के नेताओं ने कहा कि इससे देश भर का कर्मचारी नाराज है। इस संबंध में इप्सेफ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक जल्द ही बुलाई जा रही है जिससे आंदोलन के रूप में कर्मचारियों के साथ हो रहे अन्याय की जानकारी जनता को दी जायेगी।
इप्सेफ ने प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर कर्मचारियों की पीड़ा से अवगत करा दिया है उनसे आग्रह किया है कि इप्सेफ को कर्मचारियों की पीड़ा बताने के लिए समय प्रदान करें।