Monday , November 25 2024

भारतवर्ष को पितृ भूमि और पुण्‍यभूमि मानने वाले ही हिंदू : आचार्य स्‍वामी धर्मेन्‍द्र

-सावरकर विचार मंच ने आयोजित किया व्‍याख्‍यान ‘अखंड भारत की पुनर्स्थापना’

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। श्री मदपंचखंड पीठाधीश्वर समर्थगुरुपाद् आचार्य स्वामी धर्मेंद्र ने कहा कि संसार की सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत शुद्ध भाषा है। इसके सबसे निकट हिंदी है, अतएव इसका ही प्रयोग करें। उन्‍होंने कहा कि सावरकर ने हिंदुत्व की जो व्याख्या दी है, उसमें पितृ भूमि एवं पुण्य भूमि दोनों जो भारतवर्ष को मानते हैं, वही हिंदू हैं।

स्‍वामी धर्मेन्‍द्र ने यह बात आज यहां सावरकर विचार मंच, उत्तर प्रदेश द्वारा अखंड भारत दिवस पर आयोजित व्याख्यान ‘अखंड भारत की पुनर्स्थापना’ में मुख्‍य वक्‍ता के रूप में सम्‍बोधित करते हुए कही। गोमती नगर स्थित आई०आई०ए० सभागार में संपन्न कार्यक्रम का प्रारंभ स्वातंत्र्यवीर सावरकर एवं भारत माता के चित्रों पर पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। उसके पश्चात यतींद्र द्वारा कार्यक्रम का प्रारंभ प्रार्थना से किया गया। कार्यक्रम का संचालन कर रहे अनघ द्वारा अतिथियों का परिचय कराया गया। राजेश द्वारा वेदों पर लिखित पुस्तक एवं विवेक मिश्र द्वारा रचित पुस्तक हिन्दुराष्ट्र प्रणेता वीर विनायक दामोदर सावरकर का विमोचन भी आचार्य धर्मेंद्र द्वारा किया गया।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) एन.वी. सिंह ने कहा कि महात्‍मा गांधी के समकक्ष यदि कोई जननेता थे तो वह वीर सावरकर ही थे। वह अपने समय से आगे थे। सावरकर ने उच्च कुल ब्राह्मण होते हुए भी वेद बंदी का पुरजोर विरोध किया, साथ ही साथ व्यवसाय बंदी, स्पर्श बंदी, रोटी बंदी, बेटी बंदी, शुद्धि बंदी, समुद्र बंदी जैसी सामाजिक बुराइयों को दूर किया। शुद्धि बंदी का कार्य उन्होंने अंडमान की कालकोठरी से ही प्रारंभ किया जिसमें उन्होंने घर-वापसी का आह्वान किया। ये सात बेड़ियां उन्होंने 1920 में ही तोड़ने का प्रयास किया।

अंत में कार्यक्रम के संयोजक एवं मार्गदर्शक डॉ अजय दत्त शर्मा द्वारा मुख्य वक्ता एवं विशिष्ट अतिथि को धन्यवाद ज्ञापित किया गया। तत्पश्चात भारतवर्ष के विभाजन के पश्चात हिंदुओं के हुए नरसंहार में अपने प्राणों की आहुति देने वाले हुतात्माओं की आत्मा की शान्ति के लिए एक मिनट श्रद्धांजलि के पश्चात शांति मंत्र किया गया। कार्यक्रम का समापन वंदे मातरम गीत के साथ हुआ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.