अजंता हॉस्पिटल के गुर्दा रोग विशेषज्ञ ने की शल्य चिकित्सा करके की पेरिटोनियल डायलिसिस
तीन दिनों के अंदर दूसरी बड़ी कामयाबी, पहले की थी 10 वर्षीया बच्ची की हीमोडायलिसिस
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। मात्र डेढ़ साल का बच्चा, जो पतले दस्त, खून की कमी, मुंह से खून आने, सुस्ती तथा तीन दिन से पेशाब न होने के कारण एक्यूट रीनल फेल्योर (दोनों गुर्दे खराब) होने की शिकायत के साथ अजंता हॉस्पिटल लाया गया, जहां चिकित्सकों ने शल्य चिकित्सा करते हुए सफलतापूर्वक उसकी पेरिटोनियल डायलिसिस की। डायलिसिस के बाद बच्चा ठीक है। एक्यूट रीनल फेल्योर होने के कारण उम्मीद की जा रही है कि इलाज और समुचित देखरेख के बाद कुछ दिन में बच्चा पूरी तरह से ठीक हो जायेगा। तीन दिनों के अंदर यह दूसरा केस है जिसमें अजंता हॉस्पिटल में गंभीर रूप से बीमार बच्चे की डायलिसिस कर विशेषज्ञ चिकित्सकों ने बच्चों की जान बचायी है। आपको बता दें मंगलवार को भी दस वर्षीय बच्ची की हीमोडायलिसिस की गयी थी, जिसमें ट्यूब को काटकर छोटे बच्चे लायक बना कर डायलिसिस की गयी थी।
हॉस्पिटल के गुर्दा रोग विशेषज्ञ डॉ दीपक दीवान ने जानकारी देते हुए बताया कि डेढ़ वर्ष के (मेल) बच्चे को उसके परिजनों ने बुधवार को हॉस्पिटल में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ धनंजय सिंह की देखरेख में भर्ती कराया गया था। बच्चे को पतले दस्त, खून की कमी, सुस्ती के साथ ही मुंह से ब्लीडिंग हो रही थी। बच्चे का हीमोग्लोबिन मात्र 4 g/dl था। इसके बाद बच्चे को डॉ दीपक दीवान ने देखा। डॉ दीवान के अनुसार परिजनों ने बताया कि बच्चे को तीन दिन से पेशाब नहीं हुई थी। डॉ दीवान ने बताया कि अस्पताल में भर्ती करने के बाद भी देखा गया कि करीब 22 घंटों में सिर्फ 15 से 20 मिलीलीटर पेशाब हुई। ऐसे में तय किया गया कि अगर इसकी डायलिसिस न की गयी तो बच्चे की जान को खतरा हो सकता है।
डॉ दीवान ने बताया कि उम्र बहुत कम होने और हीमोग्लोबिन मात्र 4 g/dl होने के कारण बच्चे की पेरिटोनियल यानी पानी वाली डायलिसिस करने का फैसला किया गया, इसके लिए आज गुरुवार को उसकी शल्य चिकित्सा करते हुए डायलिसिस सफलता पूर्वक की गयी। उन्होंने बताया कि इतने छोटे बच्चे की शल्य चिकित्सा करते हुए पेरिटोनियल डायलिसिस करने में अत्यंत सतर्कता बरतनी पड़ती है, क्योंकि पेट में चीरा लगाते समय आंत में छेद या अन्य प्रकार नुकसान न हो, इसका विशेष रूप से ध्यान रखना पड़ता है। उन्होंने बताया कि बच्चे की सफलता पूर्वक डायलिसिस करने में उनके साथ उनकी टीम के डॉ पीएन मिश्र, डॉ आरयू खान के साथ ही डायलिसिस यूनिट और आर्इसीयू के स्टाफ का महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने उम्मीद जतायी चूंकि बच्चे को एक्यूट रीनल फेल्योर की दिक्कत हुई है, इसलिए उम्मीद है कि उपचार से रिकवरी हो जाये, और वह पूर्ण रूप से स्वस्थ हो सकता है।