Friday , November 22 2024

टीबी रोगियों का पोषण भत्ता हुआ दोगुना, अब मिलेगा एक हजार प्रतिमाह

-बढ़ोतरी से टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को मिलेगा बल : डॉ सूर्यकान्त

डॉ0 सूर्यकान्त

सेहत टाइम्स

लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, उप्र लखनऊ के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ0 सूर्यकान्त ने बताया कि टीबी मुक्त भारत हमारे प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है, टीबी रोगियों के लिए बढ़ाये गये पोषण भत्ता से टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को बल मिलेगा। उन्होंने कहा कि कुपोषण और टीबी एक सिक्के के दो पहलू हैं। कुपोषण से टीबी रोग के विकसित होने का जोखिम बढ़ता है, टीबी होने के कारण कमजोरी के साथ वजन घटता है इससे कुपोषण की स्थिति और खराब हो जाती है। इसलिए टीबी रोगियों में कुपोषण को दूर करने से उपचार के प्रति प्रतिक्रिया बेहतर होगी, मृत्यु दर कम होगी और लम्बे चलने वाले उपचार के परिणाम बेहतर होगें। इसलिए भारत सरकार ने 500 रुपये प्रतिमाह की जगह 1000 रुपये प्रतिमाह टीबी रोगियों का पोषण भत्ता कर दिया है।

यह वृद्धि 1 नवम्बर 2024 से प्रभावी होगी और सभी नए लाभार्थियों के साथ.साथ प्रभावी तिथि के बाद मिलने वाले लाभार्थियों पर भी लागू होगी। यह प्रोत्साहन 3000 रुपये की दो बराबर किस्तों में दिया जाएगा, जिसमें 3000 रुपये का पहला लाभ निदान के समय अग्रिम के रूप में दिया जाएगा और 3000 रुपये का दूसरा लाभ उपचार के 84 दिन पूरे होने के बाद दिया जाएगा। जिन लाभार्थियों के उपचार की अवधि 6 महीने से अधिक है, उन्हें 1000 रुपये प्रति माह का नया लाभ दिया जाएगा।

इसके अलावा परिवार के सदस्यों में कुपोषण से संबंधित टीबी के प्रति संवेदनशीलता को दूर करने के लिए टीबी रोगियों, परिवार के सदस्यों, घरेलू संपर्क को निःक्षय मित्र पहल के अंतर्गत शामिल करना, नए संक्रमणों को रोकना तथा टीबी से संबंधित मृत्यु दर को कम करना, प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान पीएमटीबीएमबीए को मंजूरी दी गई है। उपरोक्त सभी उपायों से पोषण संबंधी सुधार में सहायता मिलने की उम्मीद है। भारत में टीबी के उपचार और परिणामों में सुधार तथा इसके कारण होने वाली मृत्यु दर में कमी लाना है।

वर्तमान में डा0 सूर्यकान्त राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन प्रोग्राम के जोनल टास्क फोर्स (नॉर्थ जोन) के अध्यक्ष हैं। जोनल टास्क फोर्स (नॉर्थ जोन) के अन्तर्गत छह प्रदेश और तीन केन्द्र शासित प्रदेश आते हैं। उन्होंने बताया कि वह प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान में अपने स्तर से अहम भूमिका निभा रहे हैं। ड्रग रेजिस्टेन्ट टीबी के उपचार हेतु भारत में 5 सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स चिन्हित किये गये है, जिसमें से एक केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में है। इसका चयन विश्व की दो अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं इन्टरनेशनल यूनियन अगेंस्ट ट्यूबरकुलोसिस एण्ड लंग डिसीज एवं युनाईटेड स्टेस ऑफ एजेन्सी फॉर इन्टरनेशनल डेवलपमेन्ट एवं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से किया गया है। डा0 सूर्यकान्त ने बताया कि सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स के तहत ड्रग रेजिस्टेन्ट ट्यूबरकुलोसिस के खात्मे के लिए उ0प्र0 की 25 करोड़ जनता, 18 मण्डल के 75 जिले के डीआर.टीबी सेन्टर एवं जिला क्षय रोग केन्द्र, 56 जिला डीआर टीबी सेन्टर 24 नोडल डीआर.टीबी सेन्टर उप्र के 67 मेडिकल कॉलेज में डीआर टीबी के प्रशिक्षण मॉनिटरिंग एवं मैनेजमेन्ट एवं शोध का कार्य किया जा रहा है। सभी 75 जिलो में टीबी विशेषज्ञों एवं टीबी से सम्बन्धित स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को इस कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित किया जा रहा है। विगत कई वर्षों से टीबी उन्मूलन में उ0प्र0 व देश के अन्य प्रदेशो में नेतृत्व कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर जरूरत पड़ी तो उ0प्र0 के पड़ोसी राज्यों में भी टीबी उन्मूलन का कार्य करेंगे।

ज्ञात हो डा0 सूर्यकान्त ने अब तक 22 पुस्तकें लिखी हैं जिसमें टीबी के विषय पर 5 पुस्तकें हैं। नई शिक्षा नीति एनईपीए भारत की तीसरी वर्षगांठ के अवसर पर अखिल भारतीय शिक्षा समागम के दौरान प्रधानमंत्री द्वारा हिंदी में 100 पुस्तकों का विमोचन किया गया, जिसमें डॉ0 सूर्यकान्त की दो पुस्तकें टीबी और अस्थमा में योग की भूमिका भी शामिल है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.