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अभी अगर सरकार ने कर्मचारियों की न सुनी तो चुनाव में कर्मचारी सरकार की नहीं सुनेंगे

-कोविड में किये गये कर्मचारियों के योगदान को जनता और जनप्रतिनिधियों को बतायेंगे

-एमएलए और एमएलसी को जिलों में सौंपेंगे मांगों को लेकर ज्ञापन

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। कर्मचारी-शिक्षक संयुक्त मोर्चा ने फ्रीज किये गये महंगाई भत्‍ते के एरियर के भुगतान, वेतन समिति की रिपोर्ट पर सार्थक निर्णय, रिक्तियों पर भर्ती, पदोन्‍नतियां सहित अन्‍य मांगों को लेकर विधायकों को ज्ञापन देने का फैसला किया है। मोर्चा आगामी 20 सितम्‍बर से 30 सितम्‍बर तक विधायकों, विधान परिषद सदस्यों को अपनी मांगों का ज्ञापन देकर मोर्चा की मांगों पर निर्णय कराने के लिए अनुरोध करेगा।  

यह निर्णय आज आज यहां नगर निगम स्थित मोर्चा कार्यालय पर आयोजित मोर्चा की बैठक में लिये गये। बैठक में लिये गये निर्णयों के बारे में निर्णयों की जानकारी आज आयोजित पत्रकार वार्ता में मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष वी पी मिश्रा एवं महामंत्री शशि कुमार मिश्रा ने दी। वीपी मिश्रा ने कहा कि सरकार को चाहिये कि कर्मचारियों की बात सुने, कोविड काल में कर्मचारियों द्वारा दिये गये योगदान को देखें। उन्‍होंने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार कर्मचारियों को इस हद तक मजबूर न करे कि प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों में कर्मचारी सरकार की बात न सुनें।

नेताद्वय ने बताया कि मोर्चा की बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि 30 सितंबर की बैठक में अगले आंदोलन की घोषणा की जाएगी जिसमें सी०एच०सी०, पी०एच०सी० ब्लॉक से मुख्यालय तक आम सभाएं करके जनता को भी बताया जाएगा कि कोविड-19 में महामारी में कर्मचारियों ने जान की बाजी लगाकर मरीजों/जनता की सेवा की और कर रहे हैं, जिसकी प्रशंसा प्रधानमंत्री भी करते हैं, परंतु खेद है कि उत्तर प्रदेश सरकार वेतन समिति की रिपोर्ट पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक करके सार्थक निर्णय नहीं करा रही है, जिसके कारण कर्मचारियों को आर्थिक क्षति हो रही है सिंचाई, नगर निकाय, विकास प्राधिकरण, राजकीय निगमों के कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग का पूरा लाभ नहीं मिल पाया है। सेवा नियमावली के लंबित होने से पदोन्नतियां नहीं हो पा रही हैं।

उन्‍होंने बताया कि हमारी अन्‍य मांगों में राजकीय निगमों के कर्मचारियों को घाटे के नाम पर सातवें वेतन आयोग का लाभ, भत्तों में समानता न रोका जाना,    रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद की मांगों पर तत्काल सार्थक निर्णय किया जाना, स्थानीय निकाय कर्मचारी संवर्ग को राज्य कर्मचारियों की भांति संवर्ग का पुनर्गठन करके समान वेतनमान दिया जाना, दिसंबर 2001 तक के दैनिक कर्मचारियों को विनियमित किया कर यही व्यवस्था विकास प्राधिकरण में भी लागू किये जाने, राजकीय शिक्षकों व शिक्षणेतर कर्मचारियों को राज्य कर्मचारियों की भांति ए०सी०पी० का लाभ दिया जाना,    आउटसोर्सिंग/संविदा कर्मचारियों की सेवा में रखने एवं विनियमित करने के संबंध में नीति बनाने, कैशलेस इलाज की नियमावली तत्काल लागू किये जाने, रिम्बर्समेन्ट क्लेम को रोका न जाना मांगें शामिल हैं।

दोनों नेताओं ने प्रदेश सरकार को आगाह किया है कि यदि मांगों पर 30 सितंबर तक निर्णय न किया गया तो प्रदेश के लाखों कर्मचारी ब्लॉक, पीएचसी, सीएचसी से लेकर मुख्यालय तक धरना प्रदर्शन करने की घोषणा कर दी जाएगी। जनता को भी बताया जाएगा कि कर्मचारियों के महत्वपूर्ण मांगों पर निर्णय न करके आंदोलन करने को बाध्य किया जा रहा है जिससे जनता को कष्ट उठाना पड़ेगा।

बैठक में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष सुरेश कुमार रावत, वरिष्ठ उपाध्यक्ष गिरीश मिश्र, महामंत्री अतुल मिश्रा, राज्य निगम महासंघ के अध्यक्ष मनोज कुमार मिश्र, महामंत्री घनश्याम यादव, स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष शशि कुमार मिश्र, विकास प्राधिकरण कर्मचारी संयुक्त संगठन के अध्यक्ष अवधेश सिंह, माध्यमिक शिक्षक संघ के महामंत्री नंदकुमार मिश्र, फेडरेशन ऑफ फार्मासिस्ट के सुनील कुमार यादव, फेडरेशन ऑफ फॉरेस्ट के महामंत्री आशीष पांडे, राजकीय शिक्षक संघ के केदारनाथ तिवारी, माध्यमिक शिक्षणेतर कर्मचारी संघ के अध्यक्ष विनोद कुमार विश्वकर्मा, सिंचाई कार्मिक महासंघ के अध्यक्ष प्रेमानंद चतुर्वेदी आदि शामिल थे।

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