Saturday , April 27 2024

भाजपा ही नहीं दूसरे दलों के दिग्‍गज भी मुक्‍त हृदय से करते थे डॉ एससी राय की प्रशंसा

-मुख्‍य वक्‍ता डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने भावपूर्ण श्रद्धांजलि देते हुए सुनाये संस्‍मरण

-पूर्व महापौर डॉ एससी राय की पुण्‍यतिथि की पूर्व संध्‍या पर व्‍याख्‍यानमाला आयोजित

-राम और लक्ष्‍मण की ‘नगरी’ के महापौरों का नववर्ष चेतना समिति के मंच पर समागम

 

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। राज्‍यसभा सांसद व भारतीय जनता पार्टी के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने समाजसेवी और लखनऊ के 10 वर्ष महापौर रह चुके डॉ एससी राय को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा है कि डॉ राय के व्‍यक्तित्‍व और उनकी स्‍वीकार्यता का आलम यह था कि भाजपा ही नहीं, दूसरे दलों के दिग्‍गज नेता भी उनकी मुक्‍त हृदय से प्रशंसा करते थे, ऐसी महान विभूति के लिए आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में आकर मैं अपने आपको धन्‍य मान रहा हूं।

डॉ सुधांशु डॉ राय की पुण्‍यतिथि की पूर्व संध्‍या (27 अगस्‍त) पर उनके व्‍यक्तित्‍व एवं कृतित्‍व को याद करने के लिए लखनऊ विश्‍वविद्यालय के समाज कार्य विभाग स्थित राधाकमल मुकर्जी सभागार में आयोजित व्‍याख्‍यानमाला में मुख्‍य वक्‍ता के रूप में सम्‍बोधित कर रहे थे। इसका आयोजन नववर्ष चेतना समिति द्वारा भारत विकास परिषद के सहयोग से किया गया। डॉ सुधांशु ने कहा कि डॉ राय का संगठन से लेकर ऊपर तक बहुत सम्‍मान था। इसके दो उदाहरण देते हुए डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने बताया कि डॉ राय का कद और व्‍यक्तित्‍व भाजपा में ही नहीं, दूसरी पार्टी के लोगों में भी बहुत ऊंचा था, दो ऐसे प्रकरण हैं जो उनके इस महत्‍व को दर्शाते हैं। उन्‍होंने कहा कि वर्ष 1977 में जनता पार्टी की सरकार में जब कल्‍याण सिंह स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री थे, उस दौरान डॉ राय का तबादला बलरामपुर अस्‍पताल से कर दिया गया। तबादले को रोकवाने के लिए बहुत से लोगों ने कल्‍याण सिंह से कहा लेकिन सूची बदली न जाने की नीति की निष्‍ठा से बंधे कल्‍याण सिंह इसके लिए तैयार नहीं हुए, उनका कहना था कि अगर एक का बदला तो यह गलत मैसेज जायेगा। बताते हैं कि इसके बाद इस विषय में चौधरी चरण सिंह ने कल्‍याण सिंह ने कहा कि डॉ राय तो आपकी ही पार्टी के हैं, उनका तबादला तो आप बदल ही सकते हैं, लेकिन कल्‍याण सिंह इसके लिए तैयार न थे। इसके बाद भाऊराव देवरस, जो कल्‍याण सिंह को संघ में लाये थे, से कहलाया गया तो उनसे भी कल्‍याण सिंह ने कहा कि आप मुझे बाल स्‍वयं सेवक के रूप में संघ में लाये थे, और आप मुझसे ऐसा करने को कह रहे हैं, तो भाऊराव ने कहा कि धर्मसंकट में न पड़ें, आपातकाल से लेकर बाद तक डॉ एससी राय की अथक सेवाओं को देखते हुए ऐसा करने में कोई हर्ज नहीं है, तब जाकर कल्‍याण सिंह इसके लिए राजी हुए।

डॉ सुधांशु ने बताया कि‍ इसी प्रकार दूसरे वाक्‍या है कि 1998 के लोकसभा चुनाव के दौरान अटल बिहारी बाजपेयी ने यहां स्‍थानीय स्‍टेट गेस्‍ट हाउस में प्रदेश भर में चुनावी समीक्षा के दौरान लखनऊ का नाम आने पर जिस तरह से डॉ एससी राय की प्रशंसा की, उसे सुनकर मैं अचंभित रह गया था। डॉ सुधांशु ने कहा कि ये दोनों किस्‍से डॉ राय की पीठ पीछे हुए, जो यह दर्शाता है कि उनकी छवि क्‍या रही होगी। उन्‍होंने कहा कि ऐसे महापुरुष को श्रद्धांजलि देने मैं यहां आया हूं, यह मेरे लिए सौभाग्‍य की बात है।

अवध, अयोध्‍या, राम का अर्थ समझाया

उन्‍होंने कहा कि डॉ राय को श्रद्धांजलि देने इस कार्यक्रम में यहां लखनऊ और अयोध्‍या दोनों स्‍थानों के महापौर उपस्थित हैं, यह अद्भुत संयोग है। यह अवध क्षेत्र है, आज उत्‍तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ है, पहले अवध (अयोध्‍या) ही थी, ऐसे में कहा जा सकता है कि इस कार्यक्रम का यह मंच अधनातन और पुरातन का संगम है। लखनऊ तहजीब और अदब के लिए मशहूर है तो अयोध्‍या के तो कहने ही क्‍या। इस क्षेत्र के नामों में गूढ़ अर्थ छिपे हुए हैं। अवध का अर्थ है जहां वध न होता हो, किसी के प्रति हिंसा न हो, अयोध्‍या, जहां कोई युद्ध न हो, और उस अयोध्‍या में हैं राम। उन्‍होंने कहा कि राम शब्‍द संस्‍कृति के रम धातु से बना है, जिसका अर्थ है किसी चीज में रम जाना। वह तत्‍व जिसमें सारी सृष्टि रमी हुई है, वह राम हैं। उन्‍होंने कहा कि हम लोग अवध क्षेत्र में हैं, यह हमारे लिए सौभाग्‍य की बात है। डॉ सुधांशु ने अयोध्‍या में बन रहे राम मंदिर के वर्तमान काल और भगवान राम के काल की तुलना करते हुए ऐसे-ऐसे तर्क प्रस्‍तुत किये कि पूरा सभागार जोरदार तालियों से गूंज उठा।

मोदी और योगी आज के विक्रमादित्‍य

समारोह के मुख्‍य अतिथि अयोध्‍या के महापौर गिरीश पति त्रिपाठी ने कहा कि यह संयोग है कि मैं नववर्ष चेतना समिति का संयोजक हूं और आज अयोध्‍या का महापौर हूं, तथा डॉ एससी राय जिन्‍होंने नववर्ष चेतना समिति की स्‍थापना की थी, उनको श्रद्धांजलि देने यहां उपस्थित हुआ हूं। उन्‍होंने बताया कि अयोध्‍या में जो राम मंदिर तोड़ा गया था, उसे दो हजार साल पूर्व सम्राट विक्रमादित्‍य ने बनवाया था, आज वह मंदिर पुन: बन रहा है। आज जो मंदिर बन रहा है, उसमें विक्रमादित्‍य की भूमिका में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यना‍थ हैं।

उन्‍होंने कहा कि विक्रम संवत का सभी के जीवन से बहुत महत्‍व है, उन्‍होंने कहा कि विवाह के लिए जो तिथि निेर्धारित होती है, वह विक्रम संवत से निर्धारित होती है, लेकिन इस तिथि को कोई याद नहीं रखता, विवाह की तारीख तो लोग याद रखते हैं, तिथि नहीं। यानी विक्रम संवत को हम लोग याद करने की कोशिश भी नहीं करते हैं। इसी प्रकार दीपावली की तारीख सब बता देंगे लेकिन यह नहीं बतायेंगे कि कार्तिक मास की अमावस्‍या को दीपावली मनायी जाती है, यानी निर्धारण किसी कैलेंडर से और स्‍मरण किसी कैलेंडर से, इसी विसंगति को दूर करने का काम नववर्ष चेतना समिति कर रही है। उन्‍होंने कहा कि आप लखनऊवासी अयोध्‍या के निकट सहोदर हैं, भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्‍मण की बसायी हुई नगरी के रहने वाले हैं। अयोध्‍या एक बड़ी सांस्‍कृतिक करवट ले रही है। अयोध्‍या और लक्ष्‍मणपुरी (लखनऊ) की सांस्‍कृतिक भूमिका बढ़ने जा रही है, इसके लिए अपने आप को तैयार करें। उन्‍होंने कहा कि कोई डॉक्‍टर कितना संवेदनशील हो सकता है, इसका अगर कोई उदाहरण है तो वह है डॉ एससी राय।

मंदिर तोड़ने वालों को सब जानते हैं, बनाने वालों को नहीं

इससे पूर्व समारोह की शुरुआत में आये हुए अतिथियों का स्‍वागत करते हुए नववर्ष चेतना समिति के अध्‍यक्ष डॉ गिरीश गुप्‍ता ने कहा कि वे डॉ राय के सम्‍पर्क में उत्‍तराखंड में आये हुए भूकम्‍प के दौरान आये। उस समय हम लोग उनके पास भूकम्‍प प्रभावित लोगों के लिए सहायता लेने गये थे, उसी समय उन्‍होंने भारत विकास परिषद से मुझे परिचित कराया। इसके बाद 2009 में यह विचार आया कि जिस भारतीय कैलेंडर से हमारे जन्‍म से लेकर मृत्‍यु तक की तिथियों की गणना की जाती है उसी भारतीय नववर्ष को नयी पीढ़ी भूलती जा रही है, विक्रम नववर्ष के प्रचार प्रसार के उद्देश्‍य से डॉ एससी राय ने नववर्ष चेतना समिति का गठन किया, और मुझे बुलाकर इसके अध्‍यक्ष पद की जिम्‍मेदारी सौंपी, इस प्रकार पिछले 14 वर्षों से हम लोग प्रत्‍येक वर्ष भारतीय नववर्ष समारोहपूर्वक मनाते आ रहे हैं। उन्‍होंने कार्यक्रम की अध्‍यक्षता कर रही लखनऊ की महापौर सुषमा खर्कवाल से आग्रह किया कि जिस प्रकार पूर्व के महापौरों ने इस कार्यक्रम को अपना सहयोग दिया है, उसी प्रकार के सहयोग की उनसे भी समिति को आशा है।

लखनऊ और अयोध्‍या में स्‍थापित हो सम्राट विक्रमादित्‍य की मूर्ति

डॉ गिरीश ने बताया कि हमारी समिति की ओर से राष्‍ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री से यह अनुरोध किया गया है कि सरकारी कामकाज में प्रयोग किये जाने वाले शक संवत कैलेंडर के स्‍थान पर विक्रम संवत वाले कैलेंडर का प्रयोग करें, क्‍योंकि शक वे लोग थे जो भारत के बाहर से हम पर हमला करके आये थे, इन्‍हीं शकों को सम्राट विक्रमादित्‍य ने भारत की सीमा तक खदेड़ा था। उन्‍होंने कहा कि मुझे विश्‍वास है कि जिस दिन प्रधानमंत्री मोदी या मुख्‍यमंत्री योगी तक यह बात पहुंच गयी तो उनके द्वारा शक संवत वाले कैलेंडर के स्‍थान पर विक्रम संवत वाले कैलेंडर को मान्‍यता मिल जायेगी। उन्‍होंने कहा कि मैंने इस‍ विषय में डॉ सुधांशु से भी बात की है, उन्‍होंने कहा कि मेरे विचार से इसका प्रस्‍ताव अयोध्‍या के महापौर, लखनऊ की महापौर की ओर से सरकार तक जाये।

उन्‍होंने दोनों महापौर से यह आग्रह किया कि राम मंदिर बनवाने वाले सम्राट विक्रमादित्‍य की एक मूर्ति अयोध्‍या में और एक मूर्ति लखनऊ में लगे, जिससे लोगों को यह स्‍मरण रहे कि अयोध्‍या में मंदिर किसने बनवाया था क्‍योंकि अयोध्‍या का राम मंदिर, काशी का विश्‍वनाथ मंदिर किसने तोड़ा यह तो सब जानते हैं, लेकिन इसे बनवाया किसने था, इसके बारे में शायद ही कोई जानता हो, क्‍योंकि इसका प्रचार प्रसार नहीं किया गया, जानबूझकर इति‍हास से इन बातों को अलग रखा गया, उन्‍होंने कहा कि ऐसे में इस तथ्‍य का प्रचार-प्रसार करने की आवश्‍यकता है कि अयोध्‍या का मंदिर दो हजार साल पूर्व उज्‍जैन से आकर सम्राट विक्रमादित्‍य ने बनवाया था। उसमें 84 खम्‍भे थे, ये 84 खम्‍भे इस बात का प्रतीक थे, कि सम्राट विकमादित्‍य की भगवान राम की 84वीं पीढ़ी के थे।

 

समारोह को सम्‍बोधित करते हुए विशिष्‍ट अतिथि रिटायर्ड आईएएस दिवाकर त्रिपाठी ने डॉ राय से जुड़े कई संस्‍मरण सुनाये, उन्‍होंने बताया कि किस प्रकार घोर विषम परिस्थितियों में डॉ राय द्वारा उनका मनोबल बढ़ाने का कार्य किया गया। दूसरे विशिष्‍ट अतिथि डॉ एससी राय के सुपुत्र समाजसेवी संदीप राय ने कहा कि मेरे पिता को गये हुए सात वर्ष हो गये, उनके वर्षों पूर्व महापौर पद पर रहने और ऐक्टिव चिकित्‍सीय प्रैक्टिस करने को इतना समय बीतने के बाद भी यदि आप लोग याद कर रहे हैं, यह इस बात को दर्शाता है कि सच्‍चाई, ईमानदारी, साधना का दीप जो उन्‍होंने प्रज्‍ज्‍वलित किया था वह आज भी जल रहा है। उन्‍होंने डॉ राय से जुड़े अनेक संस्‍मरण सुनाये।

 

महापौर ने नगर निगम को बताया काजल की कोठरी

कार्यक्रम की अध्‍यक्षता कर रही लखनऊ की महापौर सुषमा खर्कवाल ने अपने सम्‍बोधन में कहा कि डॉ एससी राय एक काबिल सर्जन के साथ एक कुशल नेता थे। मैं खुद को गौरवान्वित महसूस करती हूं कि सीधे जनता से चुने हुए पहले महापौर डॉ एससी राय जिस कुर्सी पर बैठते थे, उस पर मुझे बैठने का सौभाग्‍य मिला है।

उन्‍होंने कहा कि डॉ राय के कार्यकाल में ही लखनऊ को प्रथम वृद्धाश्रम मिला। उन्‍होंने कहा कि नगर निगम वाकई काजल की कोठरी है, यह मैंने तीन माह में ही जान लिया है, लेकिन जनता ने मुझे जो जिम्‍मेदारी सौंपी है, उस पर मैं पूरी तरह खरा उतरने का प्रयास करूंगी।

…परिंदों को नहीं दी जाती तालीम उड़ानों की

नववर्ष चेतना समिति की संरक्षक रेखा त्रिपाठी ने अपने सम्‍बोधन में कहा कि आज हम सब नववर्ष चेतना समिति के संस्‍थापक तथा अपने जीवन के अंतिम समय तक समिति के मुख्‍य संरक्षक के रूप में हम सबका मार्गदर्शन करने वाले डॉ एससी राय को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित व्‍याख्‍यानमाल में एकत्रित हुए हैं। उन्‍होंने डॉ राय के बारे में कई बातों को बताते हुए कहा कि डॉ राय शल्‍य चिकित्‍सा के लिए उपकरणों को हाथ में लेने से पूर्व महामृत्‍युंजय मंत्र का जाप करते थे। जब तक मरीज अपने पैरों पर खड़े होकर अस्‍पताल से चला नहीं जाता, तब तक अपनी पूरी जिम्‍मेदारी के साथ उसकी देखभाल करते थे। उन्‍होंने अपने कौशल से न सिर्फ लखनऊ बल्कि पूरे देश को गौरवान्वित किया है। वे हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत रहेंगे। उन्‍होंने कहा कि आज के मुख्‍य वक्‍ता डॉ सुधांशु त्रिवेदी के लिए मैं दो लाइन कहना चाहती हूं कि ‘वह खुद ही नाप लेते हैं बुलंदिया आसमानों की, परिंदों को नहीं दी जाती तालीम उड़ानों की’।

कठिन होना सरल है, सरल होना कठिन

मंच का कुशल संचालन करते हुए समिति के सचिव डॉ सुनील कुमार अग्रवाल ने किया। इस दौरान उन्‍होंने नववर्ष चेतना समिति के बारे में बताते हुए डॉ राय से जुड़े अनेक संस्‍मरणों को साझा किया। उन्‍होंने डॉ राय के लिए कहा कि व्‍यक्ति का कठिन (कठोर) होना सरल है जबकि सरल होना कठिन है। समिति द्वारा मंचासीन सभी अतिथियों का विशेष सम्‍मान के साथ ही आये हुए अन्‍य अतिथियों में पूर्व मंत्री डॉ महेन्‍द्र, लखनऊ विश्‍वविद्यालय के समाज कार्य विभाग के विभागाध्‍यक्ष डॉ अनूप भारतीय व डॉ एससी राय की सुपुत्री वंदना राय का भी विशेष सम्‍मान किया गया। आयोजन में रो. अजय सक्‍सेना का विशेष सहयोग रहा। इस मौके पर भारत विकास परिषद के मदन लाल अग्रवाल, दिनेश चन्‍द्र मिश्रा, आयोजन समिति के डॉ हरेन्‍द्र कुमार, श्‍याम जी त्रिपाठी व राकेश कुमार यादव सहित नववर्ष चेतना समिति के सभी पदाधिकारी के साथ लगभग दो सौ लोगों से ज्‍यादा की उपस्थिति‍ रही।

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