प्रदेश भर के सरकारी डॉक्टरों ने फूंका विरोध का बिगुल, चरण्बद्ध तरीके से करेंगे विरोध
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ ने सरकार ने विरोध का बिगुल फूंक दिया है। संघ का कहना है कि सरकार ने चिकित्सक संवर्ग की छवि इतनी बद्तर बना दी है कि नये चिकित्सक आना नहीं चाह रहे हैं और जो पुराने हैं उनकी लंबित मांगों को सरकार पूरा नहीं कर रही है, ऐच्छिक सेवानिवृत्ति भी नहीं दे रहीं है, जिससे संवर्ग में रोष व्याप्त है। चिकित्सक की स्थिति ऐसी हो गयी है जैसे बंधुआ और गुलाम की होती है।
आज रविवार को राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के सभागार में प्रान्तीय चिकित्सा सेवा संघ उत्तर प्रदेश की राज्य कार्यकारिणी की बैठक, संघ के अधक्ष डॉ अशोक कुमार यादव की अध्यक्षता में सम्पन्न हुयी। बैठक में प्रदेश के 75 जिलों की शाखा के अध्यक्ष/सचिव ने भाग लिया। बैठक में जनहित में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने के लिए सरकार द्वारा स्वेच्छाचारी, अव्यावहारिक प्रयोग पर गहरा रोष प्रकट किया। संघ के अध्यक्ष डॉ अशोक कुमार यादव ने बताया कि चिकित्सा सेवा जैसे संवेदनशील संवर्ग पर सरकार असंवेदनशील रवैया अपना रही है जिससे संवर्ग की छवि इतनी खराब हो गयी है कि नये चिकित्सक संवर्ग को ज्वॉइन नहीं कर रहे हैं। दूसरी तरफ कार्यरत चिकित्सकों की प्रोन्नति, समयबद्ध वेतनमान, नान प्रैक्टिसिंग पे तथा अन्य भत्तों पर अनिर्णय की स्थिति से इनके अंदर भारी आक्रोश व्याप्त है। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ चिकित्साधिकारियों की अधिवर्षता आयु बिना उनकी सहमति और बिना विकल्प के बढ़ाया जाना तथा स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति का लाभ न देने की नीति अपना कर राजकीय चिकित्सकों को बंधुआ और गुलाम बना लिया गया है और इससे स्वास्थ्य सेवायें प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो रही हैं।
संघ के महामंत्री डॉ अमित सिंह ने बताया कि उच्च न्यायालय में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति पर हलफनामा देने की बात हुयी तो जनहित की दुहाई दुते हुए शासन सरकारी चिकित्सकों को अति विशिष्ट सेवा संवर्ग बताते हुए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति न देने की बात करता है और जब चिकित्सकों के अधिकारों पर निर्णय लेने की बात होती है तो ये विशिष्ट संवर्ग के चिकित्सकों को साधारण संवर्ग से भी ज्यादा उपेक्षित कर दिया जाता है। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि सरकार व शासन में बैठे लोगों की हठधर्मिता की वजह से चिकित्सक आन्दोलन की राह चुनने को मजबूर हो गये हैं।
आन्दोलन के प्रथम चरण में सरकार को जगाने के लिए तथा आम जनता को भी अपनी पीड़ा से अवगत कराने के लिए 17 सितम्बर को प्रेस कान्फ्रेंस, 24 सितम्बर को जिलाधिकारी के माध्यम से सभी जनपदीय शाखाओं द्वारा मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया जायेगा तथा 1 अक्टूबर को काला फीता बाँधकर विरोध प्रदर्शन किया जायेगा। इस बीच यदि सरकार द्वारा प्रभावी निर्णय नहीं लिया गया तो प्रान्तीय चिकित्सा सेवा संघ किसी भी तरह का आन्दोलन की राह चुनने को मजबूर होगा। बैठक में प्रदेश भर की जिला शाखाओं के प्रतिनिधियों ने केन्द्रीय कार्यकारिणी को आगे के आन्दोलन का प्रारूप तय करने के लिए पूर्ण अधिकार प्रदान किया।