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संजय गांधी पीजीआई में 8 मई से कोरोना संक्रमित व गैर कोरोना संक्रमितों के इलाज की नयी व्‍यवस्‍था

-गैर कोरोना संक्रमितों में फि‍लहाल डायलिसिस व कीमोथेरेपी वाले मरीजों को देखा जायेगा

-18 बेड का नॉन होल्डिंग एरिया बनाया गया,  कोरोना रिपोर्ट आने तक यहीं भर्ती रहेंगे मरीज

-संस्‍थान के मुख्‍य द्वार से घुसने के बाद से दो जगह होगी मरीज की स्‍क्रीनिंग

डॉ आरके धीमान

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। कोविड-19 महामारी से चल रही जंग पर विजय पाने के लिए कोविड-19 के मरीजों के साथ ही इमरजेंसी व अन्‍य रोगियों (फि‍लहाल डायलिसिस व कीमोथेरेपी के रोगियों) को आवश्‍यक इलाज देने के उद्देश्‍य से संजय गांधी पीजीआई कल 8 मई से संस्‍थान में पुख्‍ता व्‍यवस्‍था लागू कर रहा है। इसके तहत सभी मरीजों की कोविड-19 के लक्षणों को पहचानने के लिए जहां दो बार स्‍क्रीनिंग होगी वहीं 18 बेड का एक नॉन होल्डिंग एरिया बनाया गया है। जहां मरीज को उसकी कोरोना जांच रिपोर्ट आने तक रखा जायेगा। अगर रिपोट निगेटिव आयी तो उसे उसकी आवश्‍यकता वाले विभाग में भर्ती कर लिया जायेगा, और अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आयी तो उसे कोविड-19 के इलाज के लिए भेज दिया जायेगा।

यह जानकारी देते हुए संस्‍थान के निदेशक डॉ आरके धीमान ने बताया कि वैश्विक महामारी कोविड-19 (कोरोना वायरस) के संक्रमणकाल की मौजूदा चुनौतियों के बीच डायलिसिस और कीमोथेरेपी जैसी जरूरत वाले रोगियों को भी इलाज मिले, इसके लिए संस्‍थान ने यह व्‍यवस्‍था लागू  की है, जिससे कोविड-19 संक्रमण को फैलने से बचाते हुए कोरोना संक्रमित और गैर संक्रमित मरीजों को इलाज मिल सके, साथ ही हमारी मेडिकल टीम की भी सुरक्षा रहे।

डॉ धीमान ने बताया कि मुख्‍य चिकित्‍सा अधीक्षक डॉ अमित अग्रवाल की देखरेख में नयी व्‍यवस्‍था के तहत अब 8 मई से संस्‍थान में आने वाले मरीजों की संस्‍थान के मुख्‍य द्वार से घुसने के बाद ही स्‍क्रीनिंग काउंटर-1 पर बुखार और खांसी के लक्षणों को लेकर स्‍क्रीनिंग की जायेगी। इसके बाद स्‍क्रीनिंग काउंटर-2 पर भी ऐसी ही स्‍क्रीनिंग सी‍नियर रेजीडेंट्स द्वारा की जायेगी। उन्‍होंने बताया कि सीनियर रेजीडेंट्स की सलाह के बाद ही मरीज को कोविड-19 की जांच के लिए भेजा जायेगा, जहां जांच के लिए नमूना लेने के बाद मरीज को नॉन कोविड होल्डिंग एरिया में भर्ती कर लिया जायेगा।  

डॉ धीमान ने बताया कि स्‍क्रीनिंग के दौरान यदि मरीज में तेज बुखार, खांसी और सांस लेने में तकलीफ दिखायी दी तो ऐसे मरीजों को सीधे ट्रॉमा सेंटर वाली बिल्डिंग में बनाये गये संस्‍थान के राजधानी कोविड हॉस्पिटल भेज दिया जायेगा। उन्‍होंने बताया कि नॉन होल्डिंग एरिया में इसमें अभी डायलिसिस और कीमोथेरेपी के लिए आने वाले स्थिर हालत के रोगियों को ही तब तक रखा जायेगा जब तक उनकी कोरोना वायरस की जांच रिपोर्ट नहीं आती। उन्‍होंने बताया कि अगले चरण में मेडिसिन और सर्जरी के लिए आने वाले स्थिर हालत वाले रोगियों को भी ट्रीट किया जायेगा।

यह पूछने पर कि अगर मरीज इमरजेंसी की स्थिति में आया है और उसे तुरंत उपचार की आवश्‍यकता है तो ऐसे में उसे किस प्रकार इलाज मिलेगा, इस पर उन्‍होंने बताया कि ऐसे मरीजों के इलाज के लिए राजधानी कोविड हॉस्पिटल में ही नीचे के फ्लोर पर भर्ती कर पूरी सावधानी बरतते हुए उसे उपचार दिये जाने की व्‍यवस्‍था है, वहीं उपचार देते हुए उसकी कोविड-19 जांच करायी जायेगी।