-नुकसानदायक हो सकता है बिना सोचे-समझे मास्क का चुनाव करना
-मास्क पर महत्वपूर्ण सुझाव डेंटिस्ट डॉ श्वेता खरे की कलम से
आज सम्पूर्ण विश्व कोविड-19 महामारी से जूझ रहा है। दिन प्रतिदिन संक्रमितों की संख्या में बढ़ोतरी होती जा रही है। विश्व की संप्रभुता प्राप्त अनेक शक्तियों ने इस महामारी के आगे घुटने टेक दिए हैं। कोरोना वायरस जैसे अदृश्य शत्रु का सामना करने में और उससे अपना बचाव करने के लिए जो सुझाव हैं उनमें प्रमुख हैं: सैनिटाइजेशन, भौतिक/शारीरिक दूरी, और मास्क का उपयोग। ध्यान रहे इस कोरोना काल में अगर आपको इस महामारी से कोई बचा रहा है तो वे यही तीन चीजें हैं।
आजकल बाजार में कई किस्म के मास्क मिल रहे हैं। सामान्य जन को यह ज्ञात ही नहीं है कि कौन सा मास्क उनके लिए उपयुक्त है और कौन सा नहीं। बाजार में उपलब्ध मास्क में प्रमुख है – एन 95, के एन- 95, एफ एफ पी-1, एफ एफ पी-2, एफ एफ पी-3, 3 प्लाई मास्क/सर्जिकल मास्क, कपड़े़ से बने मास्क आदि। जितने ज्यादा नाम हैं, उतनी ही ज्यादा अनिश्चितता कि कौन सा मास्क आपको आज की इस भयावह परिस्थिति में कोरोना वायरस से अधिकतम सुरक्षा प्रदान कर सकेगा। वस्तुतः सैनिटाइजेशन एवं भौतिक/शारीरिक दूरी के साथ साथ मास्क ही हमारे सुरक्षा कवच हैं जिनके सही उपयोग से वायरस के संक्रमण से बचाव किया जा सकता है, किन्तु लोग सही जानकारी किए बिना, अपने लिए उपयुक्तता की परख किए बिना कोई भी मास्क जो सरलता से उपलब्ध हो, प्रयुक्त करने लगते हैं।
यह जानना अत्यन्त आवश्यक है कि अलग-अलग प्रकार के मास्क की क्या विशेषताएं हैं, कौन से मास्क किन व्यक्तियों के लिए उपयुक्त हैं, उनका किस प्रकार उपयोग किया जाय, तथा उपयोग करने के पश्चात् किस प्रकार उनका निस्तारण किया जाय। अलग अलग प्रकार के मास्क अलग अलग तरीके से प्रदूषण एवं बैक्टीरिया को शरीर में प्रवेश करने से रोकने का कार्य करते हैं। यहां इसी सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी दी जा रही है जिससे कि आप अपनी आवश्यकता के अनुसार सही मास्क का चयन कर सकें।
एन-95 एवं के एन- 95 आजकल सबसे ज्यादा प्रचलन में ये दोनों ही मास्क हैं। एन-95 अमेरिका से और के एन- 95 चीन से मान्यता प्राप्त मास्क है। ये पॉलीप्रोपाइलीन से निर्मित होते हैं। ये मास्क सामान्य जनता के लिए नहीं अपितु स्वास्थ्य कर्मियों के लिए हैं। ध्यान रहे ये मास्क आम आदमी के लिए नहीं हैं, इसका प्रयोग सिर्फ और सिर्फ मरीज डॉक्टर-चिकित्सा कर्मी जो मरीज का इलाज कर रहे हैं, जो प्रतिदिन संक्रमित व्यक्तियों के सम्पर्क में आते रहते हैं। इस सम्बन्ध में भारत सरकार ने हाल ही में गाइडलाइन्स भी जारी की हैं। ये मास्क चेहरे पर थोड़ा टाइट फिट रहते हैं और देखने में कुछ अजीब से लगते हैं। इन मास्क में वायरस से बचाव की क्षमता उच्चतम (95 प्रतिशत) मानी जाती है।
एफ एफ पी मास्कः ये मास्क यूरोपियन यूनियन से प्रमाणित हैं। इसके तीन प्रारूप उपलब्ध हैं-
1. एफ एफ पी-1 यह मास्क पीले रंग का होता है। इसकी फिल्टरेशन क्षमता 80 प्रतिशत होती है।
2. एफ एफ पी- 2 यह मास्क सफेद एवं नीले रंग में उपलब्ध है। इसकी छनन (फिल्टरेशन) क्षमता 90 प्रतिशत होती है।
3. एफ एफ पी-3 यह मास्क लाल संग का होता है। यह सर्वाधिक उत्कृष्ट होता है क्यों कि इसकी छनन (फिल्टरेशन) क्षमता 97 प्रतिशत होती है।
एफ एफ पी मास्क की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि इसमें एक वॉल्व लगा होता है जिससे सांस द्वारा छोड़ी गई शरीर की दूषित हवा कार्बन डाई ऑक्साइड और नमी बाहर निकलती रहती है। इससे हमें सांस लेने और छोड़ने में आसानी होती है और इसको बिना किसी परेशानी के देर तक प्रयुक्त किया जा सकता है। ये मास्क भी स्वास्थ्य कर्मियों के उपयोग के लिए उचित होते हैं।
सर्जिकल मास्क अथवा 3 प्लाई मास्कः सामान्य तौर पर ये मास्क ही बाजार में सबसे अधिक उपलब्ध हैं। यह मास्क भी पॉलीप्रोपाइलीन से बने होते हैं और इस में तीन परतें होती हैं। ये मास्क आम लोगों के उपयोग के लिए सर्वाधिक उपयुक्त होते हैं। ये विविध रंगों एवं विविध आकार प्रकार में आते हैं। ये चेहरे पर कुछ ढीले फिट होते हैं अतः त्वचा से इनका गैप कुछ अधिक होता है, फलस्वरूप इनकी बचाव क्षमता अपेक्षाकृत कम होती है। बीमार व्यक्ति यदि इसे प्रयुक्त करता है तो ज्यादा ठीक रहता है क्यों कि यह खांसने अथवा छींकने से निकलने वाले बड़े जलबिन्दुओं को बाहर निकल कर वातावरण में फैलने से रोकता है। ये मास्क एक बार ही प्रयोग किए जाने चाहिए, दोबारा इनका उपयोग उचित नहीं होता।
एक्टिवेटेड कार्बन मास्कः जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है , इन मास्क में एक्टिवेटेड कार्बन फिल्टर लगा होता है जो कीटाणुओं एवं प्रदूषण को रोकने में सक्षम होता है जिससे आप शु़द्ध हवा में सांस ले पाते हैं। शोध से यह ज्ञात हुआ है कि ये मास्क आपकी श्वसन सम्बन्धी मांसपेशियों एवं फेफड़ों को भी मजबूती प्रदान करते हैं। अतः यदि आप किसी प्रदूषित इलाके में रहतें हैं अथवा आप को ऐसे क्षेत्र में जाना पड़ता है तो यह मास्क आपके लिए काफी उपयोगी हो सकता है।
ये मास्क प्रदूषण तथा बैक्टीरिया व फंगस जैसे छोटे कणों को रोकने में सक्षम है, जो हवा में मौजूद रहते हैं और सांस के द्वारा शरीर के अन्दर जाकर एलर्जी उत्पन्न करते हैं, किन्तु इनका उपयोग कोरोना वायरस से बचाव के लिए करना उपयुक्त नहीं है क्योंकि इनकी छनन (फिल्टरेशन) क्षमता केवल 10 से 20 प्रतिशत तक ही होती है।
कपड़े के बने मास्कः बाजार में मास्क की अनुपलब्धता के कारण अथवा अन्य किसी कारण से लोग घरों में बनाए हुए कपड़े के मास्क का उपयोग कर लेते हैं। एक परत वाले कपड़े के मास्क की प्रभावशीलता अपेक्षाकृत कम होती है। लेकिन यदि इन्हें कपड़े की तीन परतों से निर्मित किया जाय तो ये सर्जिकल मास्क के समान ही सुरक्षा प्रदान करते हैं। ये बैक्टीरिया एवं धूल आदि प्रदूषण से 50 प्रतिशत तक बचाव कर सकते हैं।
वैकल्पिक मास्कः मास्क की अनुपलब्धता की स्थिति में लोग रूमाल, गमछा अथवा दुपट्टे को चेहरे पर लपेट कर काम चलाते हैं, लेकिन ये अधिक प्रभावशील नहीं होते। इनसे प्रदूषण आदि को रोकने में थोड़ी मदद अवश्य मिलती है किन्तु कोरोना वायरस का सामना करने में इनकी उपयुक्तता प्रमाणित नही है।
एक बार गमछे अथवा दुपट्टे को चेहरे पर बांध लेने के बाद यदि आपने उसे खोल दिया है तो दोबारा पहनते समय यह सुनिश्चित करना अत्यन्त कठिन होता है कि पहली बार कपड़े की कौन सी परत आपकी त्वचा की ओर थी। यदि बाहर वाली परत को अन्दर करके आपने लगा लिया तो जितना भी प्रदूषण उस कपड़े की पर्त पर था वह सीधा आपकी त्वचा के सम्पर्क में आ जाएगा और फायदे के स्थान पर नुकसान ही पहुंचाएगा।
मास्क के उपयोग को लेकर कई प्रकार की भ्रान्तियां हैं। प्रायः लोग यह समझते हैं कि यदि कोरोना के संक्रमण से बचना है तो हर किसी को हर समय मास्क धारण किए रहना चाहिए। यह धारणा सही नही है। यदि आप घर पर हैं और घर में कोई बीमार या संक्रमित व्यक्ति नहीं हैं तो आपको घर पर मास्क लगाने की आवश्यकता नही है। जब किसी आवश्यक कार्य से बाहर जाते हैं तो मास्क अवश्य लगाएं। वे व्यक्ति जो भीड़ भाड़ वाली जगह पर काम करते हैं अथवा सैनिटाइजेशन, स्वास्थ्य व चिकित्सा सेवा से जुड़े हैं उनके लिए मास्क लगाना अनिवार्य है। संक्रमित व्यक्तियों के लिए भी मास्क का प्रयोग करना अनिवार्य है।
मास्क चाहे जिस प्रकार का भी प्रयुक्त किया जाय, उसको धारण करने का सही तरीका अपनाना चाहिए। मास्क इस प्रकार पहनना चाहिए कि नाक और मुंह पूरी तरह ढंका रहे। कुछ लोग केवल गले में लटका कर मास्क लगाने की औपचारिकता पूरी करते हैं। उन्हें स्वयं यह समझना होगा कि वे महामारी से सुरक्षा के लिए इसका उपयोग कर रहे हैं अथवा केवल प्रदर्शन के लिए।
मास्क के उपयोग के सम्बन्ध में यह जानना भी आवश्यक है कि किन मास्क को हम दोबारा इस्तेमाल कर सकते हैं। कपड़े के मास्क को धोकर और धूप मे सुखा कर पुनः उपयोग में लाया जा सकता है किन्तु सर्जिकल मास्क को तभी दोबारा इस्तेमाल कर सकते हैं जब वह प्रयोग के दौरान बिलकुल भी नम न हुआ हो, अन्यथा उसे एक बार ही प्रयुक्त करना उचित होता है। एन-95,के एन-95 तथा एफ एफ पी मास्क अधिकतम पांच बार प्रयुक्त किए जा सकते हैं, लेकिन प्रयोग मे लाते समय उनका पूर्ण रूप से सूखा होना अत्यन्त आवश्यक है। इन मास्क को धूप में बिलकुल भी नहीं सुखाना चाहिए क्यों कि ऐसा करने से उनके प्रतिरोधक अवयव विघटित हो जाते हैं। इन्हें ओवन में 70 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान पर 30 मिनट के लिए रख कर सुखाया जा सकता है किन्तु यह ध्यान रखना होगा कि किसी भी दशा में धातु से इसका सम्पर्क न हो।
मास्क के उपयोग के बाद उसका सही तरीके से निस्तारण करना भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है, अन्यथा यह स्वयं संक्रमण फैलाने का एक बहुत बड़ा कारक बन सकता है। मास्क को चेहरे से उतारने के पूर्व और निस्तारित करने के बाद हाथों को सैनिटाइज करना आवश्यक है। मास्क को सदैव कानों पर लगने वाली डोरी से पकड़ कर उतारना चाहिए। सामने वाले हिस्से को हाथ से नहीं छूना चाहिए। उतारने के बाद मास्क को इस प्रकार मोड़ना चाहिए कि संक्रमित सतह अन्दर की ओर हो। पुनः इसे मोड़ते हुए छोटे आकार में कर लें और फिर किसी टिशू अथवा पॉलीथिन में लपेट कर किसी ढक्कनदार डिब्बे/ कूड़ेदान में ही फेकें।
इस प्रकार सही जानकारी रखते हुए अपने लिए उपयुक्त मास्क का चयन कर, सही तरीके से उसका इस्तेमाल और निस्तारण कर हम काफी सीमा तक कोरोना वायरस के प्रकोप से अपने को सुरक्षित रख सकते हैं।
(लेखिका डॉ श्वेता खरे नौगांव, छतरपुर (मध्य प्रदेश) में डेंटिस्ट हैं)