केजीएमयू के दो शिक्षकों और दो मेडिकल छात्रों ने समूहगान में गाया वंदेमातरम
लखनऊ। संगीत एक ऐसा जादुई नशा है जिसे चढ़ाना नहीं पड़ता है, खुद-ब-खुद चढ़ जाता है। कुछ लोगों में यह नशा अपने आप ही बचपन से होता है, जो मौके-मौके पर अपना रंग दिखाता रहता है। ऐसे ही नशे के शिकार चिकित्सकों से आज केजीएमयू के चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा साइंटिफिक कन्वेन्शन सेंटर में पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान मुलाकात हुई।
आपको बता दें कि यहां व्याख्यान का आयोजन रखा गया था, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में मणिपुर एकेडमी ऑफ हायर एजूकेशन (एमएएचई) के कुलपति प्रो एच विनोद भाट आये थे। कार्यक्रम में जब वंदेमातरम गाने की तैयारी हुई तो आमतौर पर युवतियों का ग्रुप आकर इस औपचारिकता को अंजाम देता है लेकिन यहां देखा कि दो चिकित्सकों और दो भावी चिकित्सकों ने वंदेमातरम गाने की कमान संभाली। इन चिकित्सकों में एक पीडियाट्रिक विभाग के आईसीयू इंचार्ज डॉ सिद्धार्थ कुंवर तथा दूसरे फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के डॉ राजा रूपानी हैं।
कार्यक्रम के बाद इन दोनों डॉक्टरों के इस गुण के बारे में इन्हें एमबीबीएस में पढ़ा चुकीं डीन प्रो मधुमति गोयल ने भी जानकारी दी कि इस तरह के प्रोग्राम में गाने की शुरुआत पिछले दिनों टीचर्स डे के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम से हुई थी। उसमें यह कहा गया कि टीचर्स डे पर अगर टीचर्स ही परफॉर्म करें तो इससे अच्छी क्या बात हो सकती है। इस बारे में डॉ सिद्धार्थ और डॉ राजा रूपानी से बात की तो उन्होंने बताया कि यह शौक तो बचपन से ही था लेकिन डॉक्टरी की पढ़ाई करने के बाद एक तरह से लाइफ बदल गयी है, लेकिन मन के किसी कोने में संगीत के इस शौक ने जब उछाल मारा तो फिर हम लोगों ने सोचा कि अपने संस्थान के स्टेज पर भी उतर ही जायें।
आपको बता दें कि ये दोनों संस्थान में हर वर्ष आयोजित होने वाले रेपसोडी कार्यक्रम में बच्चों को गाना तैयार करवाने में अपनी अहम जिेम्मेदारी की भूमिका निभाते हैं। आज वंदेमातरम की प्रस्तुति के समय इन दोनों के साथ एमबीबीएस थर्ड इयर के छात्र हर्ष वर्मा और हर्षित शर्मा ने सिंथेसाइजर और तबले पर साज और आवाज के साथ अपने गुरुओं के साथ प्रस्तुति में अपनी प्रभावपूर्ण उपस्थिति दर्ज की।