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घुटनों की चोट हो या बार-बार कंधा उतरता हो, बस एक छोटा सा चीरा काफी है सर्जरी के लिए

ऑर्थोस्‍कोपी कॉनक्‍लेव-2019 एवं कैडेवरिक नी एंड शोल्‍डर कोर्स 10 व 11 को

लखनऊ। खेलते समय, जिम में व्‍यायाम के दौरान या‍ किसी अन्‍य कारणों से चोट लगने पर, जोड़ों के उपचार में मात्र छोटे चीरे से दूरबीन विधि से सर्जरी बहुत सफल है, इस सर्जरी का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें मरीज अगले दिन घर भी जा सकता है, संक्रमण की संभावना भी कम रहती है। सबसे अधिक घुटनों एवं कंधे की चोटों, लिगामेंट का फटना, कंधे का बार-बार उतरना इत्‍यादि की सर्जरी इसी विधि से की जाती है। इस विधि से सर्जरी का लाभ ज्‍यादा से ज्‍यादा मरीजों को मिले और ज्‍यादा से ज्‍यादा ऑथोपैडिक सर्जन इस सर्जरी को सीख सकें, इसके लिए दो दिन का वर्कशॉप 10 व 11 अगस्‍त को आयोजित किया गया है। इस वर्कशॉप में पहले दिन देश भर के एक्‍सपर्ट लाइव सर्जरी करके प्रशिक्षण देंगे, तथा दूसरे दिन कैडेवर पर सर्जरी का अभ्‍यास करने का भी प्रतिभागियों को मौका मिलेगा।

यह जानकारी ऑर्थोस्‍कोपी कॉनक्‍लेव-2019 एवं कैडेवरिक नी एंड शोल्‍डर कोर्स का आयोजन करने वाले केजीएमयू के ऑथोपैडिक एंड स्‍पोर्ट्स मेडिसिन विभाग के विभागाध्‍यक्ष प्रो विनीत शर्मा और प्रो आशीष कुमार ने शुक्रवार को आयोजित एक पत्रकार वार्ता में दी। पत्रकार वार्ता में डॉ कुमार शांतनु, डॉ अभिषेक अग्रवाल भी उपस्थित रहे। प्रो विनीत कुमार आयोजन अध्‍यक्ष तथा प्रो आशीष कुमार आयोजन सचिव हैं। उन्‍होंने बताया कि लगातार तीसरे वर्ष इस तरह के वर्कशॉप का आयोजन विभाग द्वारा किया जा रहा है। इसमें करीब 150 प्रतिभागी हिस्‍सा ले रहे हैं।

ज्ञात हो प्रो आशीष कुमार ने 2017 में ऑर्थोस्‍कोपी एसोसिएशन उत्‍तर प्रदेश (एएयूपी) की स्‍थापना की थी। प्रो आशीष इस एसोसिएशन के फाउन्‍डर सेक्रेटरी हैं।एएयूपी ने इस वर्ष से दो फैलोशिप भी आरम्‍भ की हैं जिसमें चार सर्जन प्रतिवर्ष देश के उच्‍च संस्‍थानों में जाकर ऑर्थोस्‍कोपी की ट्रेनिंग ले सकेंगे।

डॉ आशीष कुमार ने बताया कि इस वर्कशॉप के आयोजन में केजीएमयू के एनाटमी विभाग का पूरा सहयोग मिल रहा है। इसके अलावा लोहिया आयुर्विज्ञान संस्‍थान, उत्‍तर प्रदेश ऑर्थोपैडिक एसोसिएशन के चिकित्‍सक भी इस कार्यशाला में भाग ले रहे हैं। इनके अलावा डॉ कुमार शांतनु, डॉ अभिषेक अग्रवाल, डॉ नरेन्‍द्र कुशवाहा, डॉ धर्मेन्‍द्र कुमार, डॉ सचिन अवस्‍थी, डॉ उत्‍तम गर्ग, डॉ पीके शमशेरी, डॉ पुनीता मानिक, डॉ ज्‍योति चोपड़ा एवं डॉ अनीता रानी का भी इस आयोजन में बहुत योगदान है।