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नवजात की खास सर्जरी को आसान बनाने वाली मेडिकल डिवाइस बनायी केजीएमयू ने, पेटेंट हासिल

-स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों को भी कई जांचों में मदद करेगी यह डिवाइस

सेहत टाइम्स

लखनऊ। यहां स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी को हाल ही में एक ऐसी मेडिकल डिवाइस का पेटेंट मिला है जो नवजात शिशुओं की सर्जरी में काफी सहायक साबित होगा। यह पेटेंट पीडियाट्रिक् सर्जरी विभाग के डॉ आनंद पांडेय और एस आई बी शाइन के प्रोग्राम टेक्निकल अफसर इंजीनियर सुमित कुमार वैश्य की कड़ी मेहनत से संभव हुआ है, जिसमें पीडियाट्रिक सर्जरी के विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर जे डी रावत और पूर्व फेलो मोहम्मद ज़ाहिद खान का भी सहयोग रहा है।

लगभग 5000 शिशुओं में एक शिशु को जन्मजात बीमारी इम्परफोरेट एनस (मलद्वार विकृति) होती है, ऐसे में सर्जरी की आवश्यकता होती है जिसमे मल द्वार न होने की दशा में सर्जरी द्वारा मलद्वार बनाया जाता है। इस प्रक्रिया में मलद्वार बनाने के लिए स्फिंक्टर मसल को ढूंढ़ना अतिआवश्यक होता है जिसके लिए अभी तक ऐसी कोई भी डिवाइस उपलब्ध नहीं थी, अब KGMU द्वारा बनायी गयी इस डिवाइस से पीडियाट्रिक सर्जन को स्फिंक्टर मसल खोज कर मल द्वार बनाने में बहुत आसानी होगी। इसके अतिरिक्त इस डिवाइस का उपयोग स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों द्वारा भी कई अन्य परीक्षण में किया जा सकता है।

मीडिया प्रवक्ता डॉ सुधीर सिंह द्वारा जारी विज्ञप्ति में यह जानकारी देते हुए बताया गया है कि वर्ष 2022 में KGMU के कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉक्टर ऋषि सेठी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में इंजीनियर सुमित की मुलाकात डॉक्टर आनंद पांडेय से हुई जहाँ इस समस्या की चर्चा डॉक्टर आनंद पांडेय ने की। इसके पश्चात ही सुमित ने डॉक्टर आनंद पांडेय के साथ मिल कर इस समस्या का समाधान निकालने पर कार्य करना शुरू किया। अगस्त 2023 तक उन्होंने कई प्रोटोटाइप बनाये और अंतिम प्रोटोटाइप का सफल परीक्षण किया तथा विश्वविद्यालय के इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी मैनेजमेंट सेल के माध्यम से पेटेंट के लिए आवेदन किया। पेटेंट आवेदन की प्रक्रिया को त्वरित करने में हिमांशी त्रिपाठी का योगदान रहा जिससे दो साल के भीतर पेटेंट प्राप्त हो गया।

डॉ सुधीर सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय मेडिकल इनोवेशन को लेकर सक्रिय है और हर संभव सहायता के लिए तैयार है। KGMU की वाइस चांसलर पद्मश्री प्रोफ़ेसर सोनिया नित्यानंद ने बधाई देते हुए कहा कि आने वाले समय में विश्ववियालय ऐसे अनेक डिवाइस की खोज करेगा।

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