-संस्थान में पूरी श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ आयोजित की गयी 112वीं सरस्वती पूजा
-रंगोली, पेंटिंग सहित विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं आयोजित
सेहत टाइम्स
लखनऊ। एक शताब्दी से ज्यादा वर्षों से दुनिया भर में अपना लोहा मनवाने वाले संस्थान किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (पूर्व में मेडिकल कॉलेज) में आज 14 फरवरी को मां सरस्वती की पूजा आराधना के पर्व वसंत का 112वां उत्सव पूरी श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस पर्व पर केजीएमयू स्थित विद्या की अधिष्ठात्री माता सरस्वती के मंदिर में विद्या देने वाले और विद्या लेने वालों के साथ ही संस्थान में कार्य करने वाले सभी लोग नतमस्तक हुए।
केजीएमयू के प्रशासनिक भवन के सामने स्थित पार्क और आसपास के क्षेत्र में बसंती छटा बिखरी हुई थी। रंगोली और विभिन्न प्रकार की सजावट दिल को छू रही थी। सरस्वती पूजा के मौके पर संस्थान में फीजियोलॉजी सोसाइटी द्वारा छात्र-छात्राओं के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया। इनमें रंगोली बनाना, रचनात्मक लेखन, फोटोग्राफी, पेंटिंग, स्केचिंग आदि शामिल थे। इन प्रतियोगिताओं में छात्राओं के साथ छात्रों ने भी पूरे जोश के साथ हिस्सा लिया।
बाद में प्रतियोगिताओं के विजेताओं की घोषणा की गई इसमें मनमोहक रंगोली बनाने की प्रतियोगिता में पहला स्थान स्वीटी और कुसुम शर्मा को मिला, वहीं दूसरे स्थान पर शालिनी चौधरी और हर्षिता तिवारी रही, जबकि तीसरे स्थान पर शिवानी राय और श्वेता राघवेंद्र को हासिल हुआ। इसी प्रकार रचनात्मक लेखन में पहला स्थान दीपांशी चौधरी, दूसरा स्थान संजना सिंह तथा तीसरा स्थान दिव्यांशु यादव को प्राप्त हुआ। कार्टून बनाने की प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पलक बरनवाल को, दूसरा स्थान नाबा को तथा तीसरा स्थान पल्लवी सिंह को मिला। प्रतियोगिताओं में शर्ट पर पेंटिंग करने की प्रतियोगिता भी शामिल रही, इनमें प्रथम स्थान हर्षित कुमार एवं देवराज तिवारी को द्वितीय स्थान दिव्य साहू एवं अंशिका सिंह को तथा तीसरे स्थान पर अभिनव सिंह और आदित्य वर्मा रहे। इसके अतिरिक्त स्केच प्रतियोगिता में प्रथम स्थान राशि वर्मा, द्वितीय स्थान देबारुण चक्रवर्ती तथा तीसरा स्थान काशिफा को मिला।
इस मौके पर कुलपति प्रो सोनिया नित्यानंद ने प्रतियोगी छात्र-छात्राओं की कला को देखा और सराहा। प्रतिकुलपति प्रोफेसर अपजित कौर ने भी छात्र-छात्राओं का उत्साह बढ़ाया। ज्ञात हो संस्थान में वसंतोत्सव पर सरस्वती पूजा का इतिहास बहुत पुराना है। पूर्व में सरस्वती माँ की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती थी, उसके बाद मूर्ति को गोमती में विसर्जित कर दिया जाता था। प्रो एमएलबी भट्ट के कुलपति के रूप में कार्यकाल में यहाँ मंदिर की स्थापना की गयी, तब से इसी में सरस्वती पूजा का आयोजन किया जाता है।