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इंडियन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन देश भर में एक लाख जीवन रक्षक तैयार करेगी

-सड़क दुर्घटनाओं में घायल लोगों की त्‍वरित देखभाल के लिए दिया जायेगा प्रशिक्षण

-नेशनल बोन एंड ज्‍वॉइंट डे पर यूपी ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन ने आयोजित की पत्रकार वार्ता

डॉ अनूप अग्रवाल

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। इंडियन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन ने मार्ग दुर्घटना में होने वाली मौतों को बचाने के लिए मिशन वन लाख लाइफ सेवियर्स तैयार करने यानी एक लाख जीवन रक्षक तैयार करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, इन एक लाख लोगों को देश भर में जुड़े एसोसिएशन के सदस्‍यों द्वारा बेसिक लाइफ सपोर्ट की ट्रेनिंग दी जायेगी। ये ट्रेनिंग विद्यार्थियों, पुलिस कर्मियों व आमजनों को दी जायेगी ताकि दुर्घटना होने की स्थिति में व्‍यक्ति को डॉक्‍टरी मदद मिलने तक प्राथमिक सहायता देकर जान बचायी जा सके।

यह जानकारी बोन एंड ज्वॉइंट दिवस के मौके पर आज यहां उत्तर प्रदेश ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन द्वारा सुश्रुत हॉस्पिटल ने आयोजित पत्रकार वार्ता में अध्यक्ष डॉ संजय धवन तथा मंत्री डॉ अनूप अग्रवाल ने दी।  उन्होंने बताया कि नेशनल बोन एंड जॉइंट डे 2012 से प्रतिवर्ष 4 अगस्त को मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि इस मौके पर 1 अगस्त से 7 अगस्त तक सप्ताह भर एसोसिएशन द्वारा देशभर में गतिविधियां चलाई जाती हैं उन्होंने बताया इस वर्ष 2021 की थीम ‘सेव सेल्फ सेव वन’ रखी गई है।

डॉ संजय व डॉ अनूप ने बताया कि‍ विश्व के 199 देशों में सड़क यातायात दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों के मामले में भारत पहले स्थान पर है, भारत के बाद चीन और अमेरिका का स्थान है। उन्होंने बताया है कि कैलेंडर वर्ष 2019 में भारत के राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 449002 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, इनमें 151113 लोगों ने जान गंवाई जबकि 451361 लोग घायल हुए। इस प्रकार दुर्घटनाओं के शिकार वयस्कों में कुल 69.3% लोगों की उम्र 18 से 45 वर्ष के बीच थी जबकि कुल  सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में 18 वर्ष से 60 वर्ष के कामकाजी आयु वर्ग की हिस्सेदारी 84.3% थी। इसी प्रकार कुल दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या में पुरुषों की संख्या 86 प्रतिशत थी, जबकि महिलाओं की 14 प्रतिशत के आसपास रही।

डॉ अनूप ने बताया इनमें से अधिकांश मौतें दुर्घटना के बाद पहले स्वर्णिम घंटे (गोल्‍डेन आवर) में प्राथमिक चिकित्सा देखभाल की कमी के कारण हो जाती हैं। जबकि कई दुर्घटना पीड़ितों की जान दुर्घटना के तुरंत बाद उचित प्राथमिक चिकित्‍सा प्रदान करके बचाई जा सकती है। इसीलिए एक लाख लोगों को प्रशिक्षण देने का लक्ष्‍य एसोसिएशन द्वारा चुना गया है।

डॉ संजय ने बताया कि हमारे देश में ट्रॉमा, दुर्घटनाओं में इस प्रकार से प्राथमिक चिकित्‍सा देकर जान बचाने वालों की संख्या लगभग नगण्य है। इसी को ध्यान में रखते हुए इंडियन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन ने एक लाख लोगों को बेसिक लाइफ सपोर्ट की ट्रेनिंग देने का निर्णय लिया है जिससे कि जीवन रक्षक बन सकें। यह प्रशिक्षण पूरे भारत में भारतीय इंडियन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के सदस्यों द्वारा दिया जाएगा साथ ही इन सदस्यों द्वारा लोगों को हड्डियों को स्वस्थ और मजबूत रखने के तरीकों के बारे में भी बताया जाएगा।

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